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अब सोलन मे पीलिया का प्रकोप, 71 पीलिया से पीड़ित, नहीं की अश्वनी खड्ड के प्रदूषित पानी की सप्लाई बंद

राजधानी शिमला में पीलिया फैलने का कारण बताई जा रही अश्वनी खड्ड परियोजना के पानी से अब सोलन शहर में पीलिया फैल गया है। मल्याणा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी मिल जाने से अश्वनी खड्ड परियोजना का पानी दूषित हो गया था।
दो जनवरी को नगर निगम की टीम ने निरीक्षण के बाद पानी दूषित पाए जाने पर अश्वनी खड्ड से राजधानी के लिए पानी की सप्लाई बंद करवा दी, हालांकि सोलन के लिए पानी की सप्लाई बदस्तूर जारी रही। इतना ही नहीं शहर के लिए पानी की पंपिंग बंद होने के बाद सोलन के लिए सप्लाई बढ़ा दी गई।
पहले जहां रोजाना औसतन अश्वनी खड्ड से सोलन को आठ एमएलडी पानी की सप्लाई होती थी अब दस एमएलडी तक हो रही है। शिमला के बाद पीलिया सोलन में पांव पसार चुका है। शिमला में पीलिया पीड़ितों का आंकड़ा जहां एक हजार के पार हो गया है वहीं सोलन में 71 से अधिक लोग पीलिया से पीड़ित हैं। सोलन शहर के अलावा गांवों में भी अश्वनी के दूषित पानी की सप्लाई दी जा रही है।
दूषित होने के कारण जिस पानी की शिमला के लिए सप्लाई रोकनी पड़ी है वह सोलन के लिए कैसे उपयुक्त हो सकता है। इस सवाल को लेकर आईपीएच की दलील है कि शिमला से सोलन तक की दूरी तय करते हुए पानी प्राकृतिक तौर पर साफ हो जाता है।
सीधे सवाल: उपायुक्त मदन चौहान
सवाल:जिला प्रशासन के सामने अब तक पीलिया के कितने मामले सामने आ चुके हैं?
जवाब: अब तक पीलिया के 71 मामले सामने आ चुके हैं। प्रशासन अलर्ट है। उपमंडल स्तर पर इन मामलों पर नजर रखी जा रही है।
सवाल: पीलिया फैलने के बाद शिमला में अश्वनी खड्ड के पानी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है? सोलन में क्यों नहीं?
जवाब: सोलन में 30 से 35 फीसदी पानी अश्वनी खड्ड से आ रहा है। इस दौरान पानी पूरी तरह से साफ हो जाता है। अश्वनी का पानी बंद करने से सोलन में पानी की किल्लत होगी। पानी के ट्रीटमेट में आईपीएच को पूरे एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं। पानी बेहतर ढंग से ट्रीट हो रहा है।
सवाल: प्रशासन कब तक अश्वनी खड्ड के पानी पर प्रतिबंध लगा सकता है?
जवाब: प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है। शिमला का केस अलग है। क्योंकि सोलन में तीस किमी का सफर करके पानी आता है। पानी जितनी दूर से आता है, उतना साफ होता है। उसके बाद पानी का उपयोग सोलन में किया जाता है।
सवाल:टैंक रोड पर खुले टैंकों से पानी की सप्लाई की जा रही है। इनकी सुरक्षा के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए हैं?
जवाब: इस बारे में अमर उजाला के माध्यम से ही पता चला है। टैंक कवर होने चाहिए। जिसके लिए प्रशासन पूरा प्रयास करेगा।
सवाल: गंदी नालियों के भीतर पीने के पानी की पाइपों का जंजाल पूरे सोलन शहर में बिछा है। इसके बारे में क्या कहना है?
जवाब: प्रशासन के साथ-साथ सिविल सोसायटी को भी इस तरफ कदम उठाने चाहिए। क्योंकि प्रशासन सब कार्य नहीं कर सकता है। लोगों को भी इसके लिए कदम बढ़ाने की जरूरत है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में अभी तक कोई सुधार नहीं- शहर को पीलिया की सौगात देने वाली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जस का तस है। अश्वनी खड्ड से शहर को पानी की पंपिंग बंद होने के बाद भी प्लांट की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है।
प्लांट से स्लज उठाने के लिए अभी तक ट्राली नहीं लग पाई है। बताया जा रहा है कि अब प्लांट तक एप्रोज रोड बनाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। साथ लगते गांवों के लिए निकल रही सड़क से ही प्लांट को जोड़ने की योजना है। प्लांट में पावर बैकअप के लिए जनरेटर लगाने का अब तक एस्टिमेट ही बन पाया है।
प्लांट की सालों से खराब पड़ी फिल्टर प्रेस के लिए भी सरकार को एस्टिमेट भेजा जा रहा है। खराब पड़े क्लीयरिफायर को दुरुस्त करने के लिए मैकेनिक बुलाए हैं। नगर निगम की टीम को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निरीक्षण के दौरान पता चला था कि प्लांट सही काम नहीं कर रहा है। इसके अलावा प्लांट से स्लज (सुखा हुआ मल) उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
प्लांट में पावर बैकअप न होने के कारण बिजली गूल होने पर प्लांट में पहुंचने वाली सीवरेज सीधे नाले में बहाई जा रही है। इतना ही नहीं टीम ने निरीक्षण के दौरान प्लांट में 2014 के बने ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल होते पाया था। क्लोरिनेशन करने में भी लापरवाही बरती जा रही थी।
शिमला शहर में पीलिया के आए 66 नए मामले- शहर भर में बढ़ते पीलिया रोग के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीस जनवरी को पीलिया के 66 नए मामले सामने आए। स्टेट सर्विलेंस आफिसर डा. राकेश रोशन भारद्वाज ने बताया कि 21 जनवरी को अस्पतालों में आए पीलिया रोग के आंकड़ों को अगले दिन अपडेट किया जाएगा।
राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल छोटा शिमला मे वीरवार को पीलिया के 15 नए पॉजिटिव मामले सामने आए। अस्तपाल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल मेहता ने बताया कि अस्पताल में कुल 34 लोग पीलिया के लक्षणों को लेकर अस्पताल पहुंचे थे।
टेस्ट रिपोर्ट में सामने आया कि 15 लोगों रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने बताया कि छोटा शिमला, कसुम्पटी और आसपास के क्षेत्रों से मरीज उपचार के लिए आए थे। अस्पताल में डाक्टरों द्वारा लोगों को खाने की चीजों में परहेज बरतने और उबला पानी की सलाह दी।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।