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हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक परियोजनाओं के लिए 200 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाएगी केन्द्र सरकार

“केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं के लिए राज्य को 200 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करवाएगा”
उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमण्डल ने आज नई दिल्ली स्थित उद्योग भवन में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनन्द शर्मा से भेंट कर प्रदेश में कार्यान्वित विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं एवं प्रस्तावित नई परियोजनाओं पर विचार विमर्श किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं के लिए राज्य को 200 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करवाएगा।
उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि बैठक में संशोधित औद्योगिक अधोसरंचना उन्नयन योजना के अन्तर्गत 218 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कांगड़ा जिले के कंदरौरी तथा ऊना जिला के पंडोगा में दो नए श्रेष्ठ औद्योगिक नगरों को स्वीकृति प्रदान की गई है। इन दो नगरों के विकास के लिए केन्द्र द्वारा 100 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की जाएगीए जिसे इस वित्त वर्ष के दौरान जारी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने बद्दी में निर्यात माल गोदामए निर्यात समूह बद्दी में सघन फार्मा जांच प्रयोगशाला स्थापित करनेए बद्दी में एक्सपोर्ट प्रमोशन पार्क में पावर ग्रिड के स्तरोन्यन तथा सिरमौर जिला के काला अम्ब में काॅमन एफ्लयूेंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए एएसआईडीई योजना के अन्तर्गत 72.17 करोड़ रुपये की लागत से औद्योगिक अधोसरंचना परियोजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान की।
अग्निहोत्री ने कहा कि केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने शिमला जिला के गुम्मा में 15 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एचपीएमसी द्वारा 10 हजार मीट्रिक टन क्षमता के एप्पल जूस कंसंट्रेट प्लांट स्थापित करने तथा परवाणू में 12 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एचपीएमसी के वर्तमान एप्पल जूस कंसंट्रेट प्लांट को स्तरोन्नत करने को भी स्वीकृति प्रदान की है। इसके तहतए परवाणू में एचपीएमसी इकाई की क्रशिंग क्षमता को 10 हजार मीट्रिक टन से बढ़ाकर 20 हजार मीट्रिक टन वार्षिक किया जाएगा। इन इकाइयों को स्थापित करने से सरकार द्वारा हर वर्ष मण्डी मध्यस्थता योजना के अन्तर्गत राज्य में उत्पादित समूचे सेब का प्रापण भी सुनिश्चित होगा। बैठक में शिमलाए हमीरपुर तथा चम्बा जिलों में सीए स्टोरए पैकेजिंग हाउसिज एवं सब्जी प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के लिए एचपीएमसी द्वारा प्रेषित अन्य परियोजनाओं पर भी विचार करने का निर्णय लिया गया। कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां तथा ऊना जिले में भी इस तरह की इकाइयां स्थापित करने को भी सैद्धांतिक तौर पर सहमति प्रदान की गई है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश में जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण एजेंसी को स्थापित करने के लिए ऐपेडा वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाएगा। ऐपेडा निर्यात उद्देश्य के लिए विभिन्न देशों में उत्पादों के पंजीकरण के लिए एचपीएमसी को 50 प्रतिशत पंजीकरण शुल्क भी उपलब्ध करवाएगा। वाणिज्य मंत्रालय राज्य की अनुकूल पारिस्थितिकीय के दृष्टिगत प्रदेश में वाईनरी स्थापित करने की क्षमता के मद्देनजर हमीरपुर, कुल्लू,लाहौल स्पीति जिलों के संभावित क्षेत्रों में शराब उत्पादन इकाइयों के साथ-साथ वाईनरीज स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रदेश सरकार को मद्द देगा। संख्याः 31/2014 .2. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा नादौन में स्पाइस पार्क स्थापित करने के लिए 10 एकड़ भूमि स्पाइस बोर्ड को देने का निर्णय लिया गया है तथा हमीरपुर जिले में आगामी फरवरी माह के दौरान 17 करोड़ रुपये की लागत से स्पाइस पार्क की आधारशिला रखी जाएगी।
केन्द्र सरकार ने कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां में 10 करोड़ रुपये की लागत से फल एवं सब्जी प्रसंस्करण इकाई के वित्त पोषण के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है। इस इकाई को स्थापित करने के लिए एचपीएमसी निर्धारित समयावधि में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्रालय ने केन्द्रीय निवेश उपदान प्राप्त करने के लिए पर्यटन सम्बन्धी परियोजनाओं के पूर्व पंजीकरण के सम्बन्ध में एक बार छूट प्रदान करने को भी सहमति प्रदान की है। प्रदेश सरकार इस सम्बन्ध में शीघ्र ही विस्तृत प्रस्ताव प्रेषित करेगी। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री ने केन्द्रीय निवेश उपदान के अन्तर्गत लम्बित देनदारियों को पूरा करने के लिए 25 करोड़ रुपये जारी करने तथा केन्द्रीय परिवहन उपदान के अन्तर्गत 36.83 करेाड़ रुपये जारी करने को भी सहमति प्रदान की है। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री ने चाय बागान यांत्रिकरण के लिए विशेष परियोजना तथा कांगड़ा जिले के विकास के लिए 561.76 लाख रुपये प्रदान करने को भी स्वीकृति प्रदान की है।
पालमपुर में कांगड़ा टी म्यूजियम को स्थापित करने के लिए 1.2 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। केन्द्र सरकार,अनुकूल काॅफी उत्पादन क्षेत्रों के चिन्हांकन के लिए सर्वेक्षण पर प्रदेश सरकार को सहायता देगी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय निवेश उपदान के विस्तार के लिए प्रदेश सरकार का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के विचाराधीन है, जिसके लिए शीघ्र ही सकारात्मक निर्णय लिया जा सकता है। अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न भागों में अंगूर की खेती एवं प्रसंस्करण के लिए नैदानिक अध्ययन करवाने का भी निर्णय लिया गया है ताकि निर्यात उद्देश्य के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शराब का उत्पादन किया जा सके। इसके लिए प्रदेश को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान का क्षेत्रीय केन्द्र को भी स्वीकृति प्रदान की गई हैए जो अप्रैलए 2014 से कार्य करना आरम्भ कर देगा।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।