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टुटू की सड़कें खस्ताहाल, न पार्किंग न टैक्सी, न खेल का मैदान न सीवरेज प्लांट, कहाँ गई ग्रांट: विकास समिति टुटू
शिमला-लगभग दो महीने के अंतराल के पश्चात विकास समिति टुटू ने चुप्पी तोड़ी है ! विकास समिति टुटू के अध्यक्ष नागेन्द्र गुप्ता ने निगम प्रशासन व स्थानीय प्रशासन पर मुख्यमंत्री निर्वाचन क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाया है ! प्रेस को जारी एक ब्यान में समिति अध्यक्ष गुप्ता ने कहा की पिछले 4 वर्षों से सरकार के गठन के बाद शिमला निर्वाचन क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पास मांगे रखने के बाबजूद भी प्रशासन टुटू वासियों की जायज मांगों को निपटाने में असफल रहा है !
नागेन्द्र गुप्ता ने कहा की टुटू क्षेत्र की भिन्न -भिन्न सामाजिक संगठनो व सत्ता पक्ष के स्थानीय नेताओं के माध्यम से उठाई गई सभी मांगे ठंडे बस्ते में हैं जबकि सरकार को बने हुये चार वर्ष बीत चुके हैं ! उन्होने कहा की जनहित में मुख्यमंत्री ने अगस्त 14 में पी.एच.सी.टुटू के लोकार्पण के समय एक्सरे प्लांट लगाने की घोषणा की थी लेकिन मामला आजतक खटाई में पड़ा हुआ है और मार्च 2015 से एक्सरे मशीन पेटियों में बंद जंग खा रही है और स्थानीय बुजुर्ग व मरीज शिमला के अस्पतालों में या प्राईवेट क्लीनिकों के धक्के खा रहे हैं !
गुप्ता ने कहा की एक विश्वास एजुकेशन मंच के नाम से गठित एक संगठन ने टुटू में बच्चों के लिए खेल मैदान बनाने की मांग की थी और वन विभाग व जिला प्रशासन को खाली पड़ी भूमि का भी मौका मुआयना करवा दिया था लेकिन वो भी मांग आजतक पूरी नहीं हुई !
मार्केट वेलफ़ेयर कमेटी टुटू के पूर्वाध्यक्ष सहित वर्तमान कमेटी बार-बार टुटू चौक पर बस स्टेंड पर खाली भूमि में बहुमंजिला भवन बना रेनशेलटर इत्यादि की सुविधा की मांग कर रहा है लेकिन प्रशासन से आजतक आशवासनोंके सिवा कुछ नहीं मिला !
उन्होने स्थानीय नेताओं पर भी आरोप लगाते हुये कहा है की सत्ता पक्ष से सीधे जुड़ कुछ नेताओं ने सिर्फ जनता के सामने सरकार को ज्ञापन देकर अपना हित साधने की कोशिश की है जबकि सरकार गठन के प्रथम दौर के दौरान तारघर को टैक्सी चलाने की मांग की गई थी और आजतक शिमला के सभी इलाकों से मालरोड को टैक्सी चलाई गई है लेकिन इस इलाके की अनदेखी की गई -क्या इस क्षेत्र में वरिष्ठ नागरिक /बुजुर्ग व अपंग नहीं रहते –?
मुख्यमंत्री द्धारा पिछले वर्ष जुलाई महीने में सीवरेज प्रणाली का नींव पत्थर रखने के बाबजूद भी आजतक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसे निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाये हैं ! समिति अध्यक्ष ने कहा की जब नगर -निगम प्रशासन से इलाके के लिए सीवरेज सुविधा देने की बात की जाती है तो उनकी ओर से एक टूक जवाब दिया जाता है की निगम ने सरकार के संबधित विभाग को सीवरेज के लिए ग्रांट ट्रांसफर कर दी है और प्लांट बनाने का कार्य राज्य सरकार के अधीन जन-स्वास्थ्य विभाग का है !
समिति अध्यक्ष गुप्ता ने कहा की इलाके की सड़कों व सड़क किनारे बनी नालियों की दशा भी बहुत खराब है और विभाग कभी स्टाफ की कमी और कभी बरसाती और सर्दी -गर्मी के मौसम के अनेकों बहाने बना कर सड़कों के सुधार में गंभीर नहीं है ! अभी पिछले वर्ष टुटू -नालागढ़ सड़क किनारे निगम द्धारा नाली के ऊपर सीढ़ियाँ बनाने के कारण नाली ब्लाक हो गई है और अब सड़क किनारे की नाली का पानी बीच सड़क में बह रहा है !
विकास समिति टुटू के अध्यक्ष नागेन्द्र गुप्ता ने कहा की वीरभद्र सिंह से स्थानीय जनता को प्रदेश का मुखिया व स्थानीय विधायक होने के नाते इलाके में विकासात्मक कार्यों की काफी उम्मीदें थी लेकिन प्रदेश के मुखिया के बार-बार आदेश जारी करने पर भी स्थानीय प्रशासन व संबन्धित विभाग कार्यों को पूर्ण करने के लिए गंभीर नहीं है !
टुटू क्षेत्र में शौचालयों के निर्माण के लिए गंभीर नहीं निगम प्रशासन और चौक में स्थित एकमात्र शौचालय भी खस्ता हालत में है !
उन्होने प्रदेश के मुख्यमंत्री से तुरंत हस्तक्षेप कर प्रशासन को चुस्त-दरुस्त करने की मांग की है ताकि टुटू क्षेत्र में जनहित में मूलभूत सुविधाएं मिला सके !
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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