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दोनों पैरों से विकलांग चम्बा के युवक को 2 साल ठोकरें खिलाने के बाद भी जिला प्रशाशन को नहीं आया रहम, मात्र 600 मीटर सड़क के लिए लड़ रहा अमित
चम्बा- विकलांगो के लिए भले ही सरकारे बेहतर सुविधाए देने का दावा करे, पर धरताल पर स्तिथि कुछ और ही है। विकास के तमाम बड़े बड़े दावों के विपरीत कड़वा सच यह भी है कि दोनों पैरों से दिव्यांग युवक अमित घर आने जाने को मात्र 600 मीटर सड़क निर्माण के लिए दो साल से दर -दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। इतने दिन में तो पत्थर भी पिघल जाये लेकिन जिला प्रशासन है की उसे रहम ही नहीं आ रही है।
जिला चम्बा उपमंडल सलूणी के तहत पड़ने वाली ग्राम पंचायत ठाकरी मट्टी के गांव मकडोगा के दिव्यांग (विकलांग) युवक का अब धैर्य जवाब देने लगा है। दिव्यांग अमित ठाकुर ने कहा कि वो जन्म से ही 60 प्रतिशत दोनों पैरों से दिव्यांग है और चलने में पूर्ण तय असमर्थ है तथा व्हीलचेयर पर है घर गांव सड़क से काफी ऊपर चढाई पर है जिसकी वजह से उन्हें दैनिक जीवन के व्यक्तिगत और पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने को कही भी आने-जाने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है तथा अपने चिकित्सा उपचार के लिए महीने में दो से तीन बार अस्पताल जाना पड़ता है ऐसे में दोनों पैर से दिव्यांग व्यक्ति के लिए सड़क तक और फिर सड़क से घर तक पहुचना लोहे के चने चबाने जैसा है।
सड़क नहीं होने के कारण उन्हें कई बार महीनो तक रिस्तेदारो के घर भी रुकना पड़ता है व अधिकतम समय घर से बाहर अपने पिताजी के साथ डलहौज़ी में रहना पड़ रहा है सड़क नहीं होने के कारण जीवन नारकीय हो गया है। पिछले अनेक वर्षों से वो सड़क निर्माण करने की मांग विभिन्न पत्रों के माध्यम से कर रहे हैं। उन्होंने बताया की लगभग ढ़ाई साल पहले पत्र लिख के आयुक्त विकलांगजन हिमाचल प्रदेश को समस्या से अवगत कराया था ओर आयुक्त विकलांगजन ने जिला उपायुक्त और जिला कल्याण अधिकारी को इस और विशेष ध्यान देने और अतिशीघ्र कार्यवाही करने के विशेष लिखित निर्देश थे उसके बाद लोक निर्माण विभाग ने गांव से निचे दरोल नाला से सर्वेक्षण किया और मात्र 600 मीटर सड़क का निर्माण किया जाना है।
गांव के लोग निजी भूमि देने को भी तैयार है और ग्रामीण लोक निर्माण विभाग को ब्यान हलफ़नामा (एफिडेविट) भी दे चुके हैं परन्तु अभी तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ और सिर्फ कागजी कार्रवाई चलती रही। अधौहस्ताक्षरी दोनों पैर की दिव्यांगता के वावजूद स्वयं दर्जनों बार एडीएम जिला उपायुक्त चम्बा, जिला कल्याण अधिकारी चम्बा, से मिल चूका है और अधिकारी उन्हें कभी लोक निर्माण विभाग तो कभी मनरेगा के अंतर्गत सड़क बनाने का आशवासन देकर टालते रहे।
इतना ही नहीं विकलांग व्यक्ति ने सांसद शांता कुमार को भी इस बारे पत्र लिख अवगत कराया पर उन्होंने भी राज्य सरकार का मसला बता कर निराश ही किया और एक पत्र मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को लिखा गया मुख्यमंत्री कार्यालय के सख्त आदेश आने के बाद फिर से दोबारा कार्यवाही हुई और अंत में इसे भी आगे टाल दिया गया। तदुपरांत त्रस्त होकर में इस संबंध में परिवार सहित डलहौज़ी की विधायक से भेट की और उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत ही सड़क निर्माण करवाने का आशवासन दिया और लोक निर्माण विभाग हर बार दो-तीन महीनों में सड़क निर्माण कार्य शुरू करने का आशवासन देता रहा। इसके बाद भी कोई प्रभावी कार्यवाही होती नहीं दिखी।
अन्त इस संबंध एक पत्र राष्ट्रपति और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को लिखा, राष्ट्रपति भवन ने कार्यवाही करते हुए मामला अपर मुख्य सचिव अनुपम कश्यप लोक निर्माण विभाग को भेजा व उचित कार्यवाही करने को लिखा और प्रधान सचिव राज्यपाल हिमाचल प्रदेश राज भवन शिमला से भी अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग को आवश्यक कार्यवाही करने का लिखित निर्देश हुआ परन्तु वावजूद इसके आज तक भी सड़क निर्माण नहीं हुआ तथा आज भी दोनों पैर से दिव्यांग व्यक्ति को मात्र 600 मीटर सड़क के लिए जगह-जगह भटकाया जा रहा हैं |
उन्होने बताया की लोक निर्माण विभाग हर बार दो महीने में निर्माण कार्य शुरू करने का आशवासन देता रहा है परन्तु लगभग तीन साल हो चुके है और निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ जबकि इस और विकलांग अधिकार अधिनियम-1995 के अनुसार विशेष ध्यान देने की जरूतर थी ये विकलांग अधिकार अधिनियम-1995 का खुला उल्लंघन हैं। इस सड़क लाभ मात्र एक विकलांग व्यक्ति को ही नहीं होगा बल्कि पुरे गांव को होगा।
बरहहाल उन्होंने थकहार कर जिला प्रशासन, हिमाचल सरकार, लोक निर्माण विभाग को अल्टीमेटम दिया और चेताया की यदि किसी भी सूरत में एक माह के भीतर लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत गांव मकडोगा के नीचे दरोल नाला से सड़क का निर्माण कार्य शुरू कराकर न्याय करें अन्यथा उन्हें अपने परिवार के साथ जिला प्रसाशन कार्यालय के बाहर “भूख हड़ताल” पर बैठने और निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं होने तक भूख हड़ताल पर बैठने के लिए विवश होना पड़ेगा । इस दौरान अगर 60 प्रतिशत विकलांगता वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार की घटना घटती हैं तो इसकी पूरी जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग, जिला प्रशासन और हिमाचल सरकार की होगी।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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