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हिमाचल पर तबाही के संकेत, 4 तीव्रता वाले भूकंप के 5 झटकों से लोग दहशत में
शिमला– हिमाचल के पहाड़ों से प्रकृति के खतरनाक संकेत मिल रहे हैं। हफ्ते के भीतर बुधवार को चंबा की धरती तीसरी बार हिल गई। बुधवार को 4 तीव्रता वाले भूकंप के झटकों से हैरान लोग किसी अनहोनी को लेकर दहशत में हैं। हफ्ते के भीतर बुधवार को चंबा की धरती तीसरी बार थर्राई।
4 तीव्रता वाले भूकंप के पांच झटकों से लोग दहशत में हैं। एक घर को आंशिक नुकसान भी हुआ है। पहला झटका सुबह 11:14, दूसरा 11:24, तीसरा 11:29, चौथा 11:31 और पांचवां 12:03 बजे महसूस किया गया। सिलसिले वार झटकों से भयभीत होकर लोग घरों से बाहर निकल आए।
कई घंटे ये लोग घरों से बाहर ही रहे। इससे पहले 4 फरवरी को तीन, 9 फरवरी को रात करीब नौ बजे 4.4 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। बीते मंगलवार रात 8:43 बजे लाहौल में भी 4.4 तीव्रता का भूकंप आया है। हिमाचल के पहाड़ों से प्रकृति के खतरनाक संकेत मिल रहे हैं। हफ्ते के भीतर बुधवार को चंबा की धरती तीसरी बार हिल गई।
बदल रहा पहाड़ों पर बर्फबारी का ट्रेंड
वहीं, पहाड़ों पर बर्फबारी का ट्रेंड बदल रहा है। नई सदी में अब दिसंबर के बजाय फरवरी-मार्च माह में ज्यादा बर्फबारी हो रही है। बर्फबारी के दस साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। साल 2000 से 2015 तक दिसंबर महीने में सिर्फ 13 दिन बर्फ गिरी।
वहीं, इस दौरान फरवरी में 44 दिन और मार्च में 15 दिन बर्फ गिरी। वैज्ञानिक इसे खतरनाक संकेत मान रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के असर ने पहाड़ों पर बर्फबारी का ट्रेंड बदल दिया है। अब नवंबर-दिसंबर के मुकाबले फरवरी-मार्च में ज्यादा बर्फबारी हो रही है।
शिमला शहर में बर्फबारी के दस साल के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। हिमाचल में बीते दस साल से बर्फबारी भी कम हो रही है। नब्बे के दशक में जहां औसतन हर साल 130 से 262 सेंटीमीटर बर्फ रिकॉर्ड की गई।
वहीं वर्ष 2000 के बाद कभी साल में 120 सेंटीमीटर से अधिक बर्फ नहीं गिरी। साल 2001 में 186, 2006-07 में 120, 2007-08 में 34, 2008-09 में 43, 2010-11 में 31.5 और 2014-15 में 83 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई। 2011-12 में 119 सेंटीमीटर बर्फ गिरी थी।
पहाड़ों पर बर्फबारी के बदलते ट्रेंड के लिए मौसम विशेषज्ञ अधिकतम तापमान में हो रही वृद्धि को जिम्मेदार मानते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अंधाधुंध भवन निर्माण, बढ़ता प्रदूषण और पेड़ कटान इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसी कारण बर्फबारी के ट्रेंड में बदलाव आ रहा है।
साल 2015 में लाहौल स्पीति और किन्नौर जिला की ऊंची चोटियों में तो अप्रैल और मई महीने में भी बर्फबारी हुई थी। राजधानी शिमला में साल 2005 के नवंबर, दिसंबर और साल 2006 के जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में बर्फबारी नहीं हुई थी। साल 2009-10 में नाममात्र 1.8 सेंटीमीटर पूरे सीजन में बर्फबारी रिकॉर्ड की गई।
शिमला में साल 1995 में नवंबर महीने के दौरान बर्र्फ गिरी थी। उस समय 7.8 सेंटीमीटर बर्फ रिकॉर्ड की गई। इसके बाद अभी तक नवंबर में बर्फबारी नहीं हुई है। मौसम विभाग के निदेशक डॉ मनमोहन सिंह की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग के चलते पहाड़ों में बर्फबारी का ट्रेंड बदल रहा है।
बीते कुछ सालों से फरवरी और मार्च में बर्फबारी हो रही है। दिसंबर की जगह जनवरी में अधिक बर्फबारी हो रही है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान बढ़ने से ऐसा हो रहा है।
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मंत्रिमंडल के निर्णय: वन मित्रों की भर्ती को मंजूरी, 10 अंकों के व्यक्तिगत साक्षात्कार की शर्त समाप्त
शिमला – मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता मंत्रिमंडल की कैबिनेट बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में वन मित्रों की रूकी हुई भर्ती को मंजूरी प्रदान की गई, इंदौरा में फायर स्टेशन को मंजूरी, लाहौल स्पीति के शिंकुला में पुलिस पोस्ट की मंजूरी इसके अलावा अन्य मामलों पर स्वीकृति प्रदान की गई।
बैठक में वन विभाग में 2,061 वन मित्रों की नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की गई, जिसमें 10 अंकों के व्यक्तिगत साक्षात्कार की शर्त को समाप्त कर दिया गया है। बैठक में वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) 2023 में हाल ही में किए गए संशोधन के अनुरूप ईको टूरिज्म नीति-2017 में संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया है।
हमीरपुर में 150 नर्सिंग कर्मियों के भरें जाएंगे पद : –
बैठक में डॉ. राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, हमीरपुर में 150 नर्सिंग कर्मियों के पद सृजित कर भरने का भी निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर में जनरल मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपैडिक्स, एनेस्थीसिया और रेडियोलॉजी विभागों में एसोसिएट प्रोफेसर के छह पद और असिस्टेंट प्रोफेसर के 10 पद सृजित कर भरने का निर्णय भी लिया गया।
इन विभागों में भी भरें जाएंगे पद :-
हमीरपुर जिला के नादौन में एक नया उप-मंडल पुलिस अधिकारी कार्यालय खोलने के साथ-साथ विभिन्न श्रेणियों में पांच पदों को सृजित कर भरने को स्वीकृति प्रदान की गई।
कांगड़ा जिला के इंदौरा में एक नई अग्निशमन चौकी की स्थापना को मंजूरी दी गई। इसके सुचारू संचालन के लिए विभिन्न श्रेणियों के 13 पद सृजित कर भरने को भी मंजूरी प्रदान गई।
लाहौल-स्पीति जिला के केलांग पुलिस स्टेशन के अंतर्गत शिंकुला में एक नई पुलिस चौकी की स्थापना के साथ-साथ विभिन्न श्रेणियों में छह पदों को सृजित कर भरने को भी मंजूरी दी।
राज्य के छह हरित गलियारों के साथ ई.वी चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क का विस्तार :-
मंत्रिमंडल ने राज्य के छह ग्रीन कॉरिडोर के साथ ईवी चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क को निजी हितधारकों को शामिल करने को स्वीकृति प्रदान की। वर्तमान में, ग्रीन ग्रीन कॉरिडोर पर 77 ईवी चार्जिंग स्टेशन पहले से ही कार्यशील हैं। मंत्रिमंडल ने वाहन फिटनेस आकलन के लिए स्वचलित परीक्षण स्टेशन की स्थापना को भी मंजूरी दी, जिसमें उन्नत स्वचलित उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।
शोंगटोंग कड़छम विद्युत परियोजना के संबंध में मंत्रिमंडल उप-समिति की सिफारिशें स्वीकार : –
बैठक में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में 450 मेगावॉट शोंगटोंग कड़छम विद्युत परियोजना के संबंध में मंत्रिमंडल उप-समिति की सिफारिशों को स्वीकृति प्रदान करने का निर्णय लिया गया। इसमें कम्पनी को वित्त वर्ष 2026-27 तक परियोजना को पूरा करना सुनिश्चित करने के निर्देश शामिल हैं।
पार्किंग सुविधाओं के संचालन की समीक्षा के लिए कैबिनेट उपसमिति का गठन :–
शिमला शहर में पीपीपी मॉडल के अन्तर्गत संचालित पार्किंग सुविधाओं के संचालन की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडल उप-समिति के गठन को मंजूरी प्रदान की गई। समिति की अध्यक्षता राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी करेंगे। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह और नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी इस समिति के सदस्य होंगे। शिमला के विधायक हरीश जनारथा विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। यह समिति लिफ्ट पार्किंग, छोटा शिमला पार्किंग, संजौली पार्किंग, न्यू बस स्टैंड पार्किंग और टुटीकंडी पार्किंग की समीक्षा करेगी।
मंत्रिमंडल ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) का प्रशासनिक नियंत्रण अतिरिक्त महानिदेशक (होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा) को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त, एसडीआरएफ का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए अधिकतम दो वर्षों की अवधि के लिए होमगार्ड की प्रतिनियुक्ति को भी मंजूरी दी गई।
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गोबिंद सागर झील में क्रूज़ ट्रायल शुरू, अक्तूबर के अंत तक उपलब्ध होगी सुविधा
बिलासपुर-जिला बिलासपुर में इस वर्ष अक्तूबर के अंत तक पर्यटकों को क्रूज की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। इस बारे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जानकारी देते हुए कहा कि गोविंद सागर झील में क्रूज चलाने का ट्रायल आरम्भ कर दिया गया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिलासपुर से मनाली या कुल्लू तक हेली टैक्सी सेवा शुरू करने पर भी विचार कर रही है।
वहीं जिला ऊना के अंदरौली में गोविंद सागर झील में जल क्रीड़ा गतिविधियां भी शुरू होने वाली हैं। जिसे शुरू करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं और संभवतः इस माह के अंत तक इन्हें जारी कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत तक जल क्रीड़ा गतिविधियों, पैराग्लाइडिंग और अन्य संबद्ध गतिविधियों सहित साहसिक खेलों को शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन साहसिक गतिविधियों को औपचारिक रूप से शुरू करने के लिए शीघ्र ही अंदरौली में गोविंद सागर झील कार्निवल का आयोजन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला कांगड़ा के पौंग बांध में भी साहसिक खेल गतिविधियां शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस दिशा में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के मतियाल और जसवां- परागपुर विधानसभा क्षेत्र के नंगल चौक क्षेत्र में पौंग बांध में जल क्रीड़ा– गतिविधियां शुरू करने की अनुमति मिल गई है।
पर्यटन विभाग जून, 2025 तक शिकारा, क्रूज फ्लोटिंग रेस्तरां, हाउस बोट तथा अन्य जल आधारित खेल गतिविधियों का संचालन शुरू करने की योजना बना रहा है।
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शिमला में एचआरटीसी ने शुरू की मोबिलिटी कार्ड की सुविधा,जानिए कहां बनेगा कार्ड
शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम ने अपने तीन काउंटर, बुकिंग काउंटर मॉल रोड शिमला, पुराना बस अड्डा शिमला व अन्तर्राज्य बस अड्डा टूटीकंडी शिमला में नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) यात्रियों को जारी करने हेतू सुविधा उपलब्ध करवा दी है।
अब इच्छुक व्यक्ति हिमाचल पथ परिवहन निगम के उपरोक्त बुकिंग काउंटर से अपने नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड जारी करवा सकते हैं।
इस कार्ड का मूल्य 100 रु होगा और इसका उपयोग यात्री हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में यात्रा पत्र लेने के लिए कर सकेंगे।
इस कार्ड के उपयोग के लिए किसी प्रकार की इंटरनेट सुविधा की आवश्यकता नहीं होगी। शुरुआत में यह कार्ड शिमला लोकल की बसों में उपयोग किया जा सकेगा तथा अगले चरण में यह सुविधा हिमाचल पथ परिवहन निगम के अन्य क्षेत्रों की बस सेवा में भी उपलब्ध करवा दी जाएगी।
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