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महिला कांग्रेस भाजपा की जनविरोधी नीतियों के प्रति लोगों को करेगी जागरूक, उपचुनावों में बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी रहेगी प्रमुख मुद्दा

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शिमला– हिमाचल प्रदेश महिला कांग्रेस ने भाजपा की जनविरोधी नीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी प्रदेश में होने जा रहें उपचुनावों में प्रमुख मुद्दा होगी। महिला कांग्रेस ने दावा किया है कि कांग्रेस इस उपचुनाव में भी जीतेगी और अगले साल 2022 में होने वाले चुनावों में भी जीत हासिल करेगी।

उन्होंने कहा कि आज जिस प्रकार से महंगाई बढ़ रही है उससे गृहणियों को घर चलाना मुश्किल हो गया है। आज खाना पकाने की गैस से लेकर तेल व दाल के मूल्य आसमान छू रहें हैं, और भाजपा सरकार सोई हुई है। आम लोगों को अपने परिवार के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो गया है।

जैनब चंदेल ने कहा कि देश व प्रदेश में महिलाओं पर अत्यचार लगातार बढ़ रहे है। भाजपा का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा पूरी तरह झूठा साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश मे बेटियों की सुरक्षा पूरी तरह राम भरोसे है। देश मे 28.53% बलात्कार के मामलें तथा 90.21% मामले अपहरण के बढ़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पूंजीपतियों के फायदे के लिए तीन काले कृषि कानून किसानों पर थोपे गए है। प्रदेश में कानून व्यवस्था का जनाजा निकलता जा रहा है।

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बिजली बोर्ड में पद समाप्ति के खिलाफ कर्मचारियों की राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी

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शिमला:  बिजली बोर्ड में चल रही पदों को समाप्त करने की प्रक्रिया पर बिजली बोर्ड कर्मचारी व अभियंता जॉइंट फ्रंट ऑफ़ ने पुरजोर विरोध जताया है। उन्होंने  सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस प्रक्रिया में आगे बढ़ती है तो कर्मचारी, अभियंता व पेंशनर्ज राज्यव्यापी आंदोलन की ओर बढ़ने के लिए मजबूर होंगे।

जॉइंट फ्रंट के संयोजक ई लोकेश ठाकुर और सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड़ में चल रहे इन घटनाक्रर्मो पर सयुंक मंच ने 11 फरवरी,2025 को हमीरपुर में विशाल जिला बिजली पंचायत बुलाई है। जिसके बाद अन्य जिला में भी कर्मचारी, अभियंता, पेंशनर व उपभोक्ता ऐसी जिला पंचायत का आयोजन कर इन नीतियों का विरोध करेंगे।

उन्होंने कहा बिजली बोर्ड पिछले दो दशकों से कर्मचारियों के अभाव से जूझ रहा है और बिजली बोर्ड के कर्मचारियों की संख्या मात्र 13,800 रह गई है जबकि नब्बे के दशक में बोर्ड में 43,000 कर्मचारी हुआ करते थे।

उन्होंने कहा कि आज बोर्ड लाइन, सबस्टेशन व अन्य ढांचे में कई गुना वृद्धि हुई है वहीं उपभोक्ताओं की संख्या 6 लाख से 30 लाख हो गई है। लेकिन हैरानी की बात है बिजली बोर्ड प्रबंधन व प्रदेश सरकार बिजली बोर्ड में भर्तियां करवाने की बजाय कर्मचारियों की संख्या नीचे लाने में युद्धस्तर पर कार्य कर रहे है।

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कार्बन बाजार से अतिरिक्त राजस्व जुटाएगा हिमाचल: मुख्यमंत्री

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शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार नें बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन की अध्यक्षता में कार्बन क्रेडिट समिति का गठन किया है। सरकार के अनुसार यह दस सदस्यीय समिति राज्य के लिए क्षेत्र-विशिष्ट अध्ययन विकसित करने के लिए मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू कार्बन बाजार का अध्ययन करेगी।

सरकार के अनुसार यह समिति परियोजना डेवलपर्स, सलाहकारों, खरीदारों, व्यापारियों आदि को शामिल करने के लिए प्रक्रियाएं विकसित करने में मदद करेगी। इसके अलावा, यह भारतीय कार्बन बाजार और अन्य अंतरराष्ट्रीय कार्बन मानकों के प्रशासकों के साथ नियमित बातचीत की व्यवस्था भी करेगी।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इससे अतिरिक्त राजस्व जुटाने में भी सहायता मिलेगी

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गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड : सूरज हत्या मामले में आईजी जैदी समेत 8 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद

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शिमला : बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में गिरफ्तार आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या के मामले में आज चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत ने फैसला सुनाया है। न्यायालय ने तत्कालीन आईजी जहूर जैदी समेत सभी आठ पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

इससे पहले पिछली सुनवाई में न्यायालय ने तत्कालीन जहूर जैदी सहित DSP मनोज जोशी, राजिंदर सिंह, दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, रफीक मोहम्मद, रंजीत स्टेटा को दोषी ठहराया था। हालांकि तत्कालीन एसपी शिमला डीडब्लू नेगी को न्यायालय ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

क्या था गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामला :

6 जुलाई 2017 को कोटखाई में एक स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया था।  10वीं की छात्रा 4 जुलाई को अपने भाई के साथ स्कूल गई थी, लेकिन घर वापस नहीं लौटी। 5 जुलाई को लड़की का पता न चलने पर माता-पिता ने उसकी तलाश शुरू की। 6 जुलाई को किसी ने लिंक रोड से करीब 100 मीटर ऊपर दांडी जंगल में एक लड़की का शव नग्न अवस्था में पड़ा देखा और इस बारे में सभी को सूचित किया। घटनास्थल के पास से लड़की की वर्दी भी बरामद हुई। घटना की सूचना मिलते ही सैकड़ों ग्रामीण, उप-मंडल मजिस्ट्रेट और पुलिस उपाधीक्षक ठियोग मौके पर पहुंचे। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। शुरुआती जांच में यह कहा गया कि छात्रा की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।

इसके बाद अज्ञात आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 376 और पोस्को (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और अपराध की जांच के लिए तीन विशेष टीमें गठित की गई। 10 जुलाई 2017  को तत्कालीन आईजी जहूर जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी ( स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम ) गठित की गई जिसमें दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, मनोज जोशी, राजिंद्री सिंह, रफी मोहम्मद व रंजीत सतेता शामिल थे।

11 जुलाई 2017 की रात को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आधिकारिक और सत्यापित फेसबुक पेज पर कथित तौर पर चार तस्वीरें पोस्ट की गईं थी, साथ में लिखा था कि ये चार लोग स्कूली छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के भयावह मामले के पीछे के संदिग्ध हैं। लेकिन तस्वीरें वायरल होने के तुरंत बाद अचानक से हटा दी गईं थी

13 जुलाई 2017 को एसआईटी ने रेप-मर्डर के आरोप में छह लोगों ( आशीष चौहान उर्फ ​​आशु (29),  सुभाष सिंह बिष्ट (42) और दीपक उर्फ ​​देपू (38), राजिंदर सिंह उर्फ ​​राजू (32), सूरज सिंह (29) और  ​​छोटू (19)  को गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों को उनके निवास स्थान कोटखाई से गिरफ्तार किया गया था।

एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए छह आरोपियों पर पत्रकारों और अधिकांश लोगों ने संदेह जताया और कईं सवाल भी उठाए। लोगों को असली दोषियों को बचाने की साजिश का आभास हुआ और  केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग उठने लगी। वहीं पुलिस ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र की आधिकारिक फेसबुक वॉल पर शेयर की गई कुछ लोगों की तस्वीरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लोगों का सवाल था कि वह तस्वीरें अखिर क्यों हटा दी गई।

वहीं 15 जुलाई 2017 को दो संदिगधों जिनकी फोटो मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर पोस्ट की गई थी , उन्हें पूछताछ और सैंपल के लिए पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। जिनके बारे में कहा जा रहा था कि वे दोनों बहुत प्रभावशाली परिवारों से जुड़े हैं। संदिग्धों को भारी पुलिस बल की तैनाती के तहत शिमला के रिप्पन अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए लाया गया जिसमें उनके सीरम और डीएनए प्रोफाइलिंग नमूने लिए गए । कथित तौर पर मेडिकल जांच के बाद संदिग्धों को छोड़ दिया गया। हालांकि,बाकी दो लोगों के बारे में कुछ नहीं कहा गया।

पुलिस हिरासत में अचानक हुई सूरज की मौत:

इसके बाद एक और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया। 17 और 18 जुलाई की रात के बीच पुलिस हिरासत में सूरज की अचानक हत्या हो गई। पुलिस ने हत्या की पुष्टि की और कहा कि आरोपी राजिंदर (32) ने  सूरज सिंह (29) को जमीन पर पटक कर उसकी हत्या कर दी। मारपीट और हत्या का समय आधी रात के आसपास का बताया गया। पुलिस ने सूरज की हत्या के लिए सह-आरोपी राजिंदर को दोषी ठहराया और तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी ने भी इसका समर्थन किया। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और रवैये पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया ।

इस घटना से लोगों में और रोष भर गया। स्थानीय लोगों द्वारा एसआईटी पर असली दोषियों को बचाने का संदेह और भी पक्का हो गया। सीबीआई जांच की मांग उठी। लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर उग्र विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मामले में न्याय की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदेश में कईं जगह उग्र प्रदर्शन हुए तो यह केस 19 जुलाई को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हवाले कर दिया। सीबीआई को दो दिनों के भीतर एक विशेष जांच दल गठित करने और कोटखाई बलात्कार और हत्या मामले की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया गया।

सूरज की हत्या के बाद उसकी पत्नी ने दिया चौंकाने वाला बयान :

वहीं मामले में एक और नया मोड़ आया ,सूरज की पत्नी ने हिंदी दैनिक भास्कर को दिए गए बयान में बताया कि उसके पति ने उसे 9 जुलाई को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले उसके साथ हुई बातचीत का खुलासा न करने को कहा था। उसकी पत्नी के अनुसार सूरज ने उसे भरोसा दिलाया था कि वह छह महीने में जेल से वापस आ जाएगा और फिर वे गरीब नहीं रहेंगे। उसने उससे कहा था कि उसके लौटने के बाद वे नेपाल में रहेंगे। उसकी पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति को इस जाल में फंसाने के लिए पैसे का लालच दिया गया था और इसमें उच्च अधिकारी शामिल हैं। पत्नी को डर था कि इस खुलासे  के बाद उनके पति की तरह उनकी भी हत्या कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अपने बच्चों की जान के डर से वह अब तक चुप थी।

सूरज हत्या मामले में अधिकारी गिरफ्तार :

22 जुलाई को सीबीआई ने दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। एक नाबालिग लड़की के बलात्कार और हत्या की जांच से संबंधित और दूसरा नेपाली आरोपी सूरज सिंह की रहस्यमय परिस्थितियों में पुलिस हिरासत में मौत की जांच से संबंधित।

29 अगस्त 2017 को सीबीआई ने सूरज की हिरासत में हत्या के लिए एसआईटी के प्रमुख जहूर एच जैदी, आईजी, दक्षिणी रेंज, डीएसपी, ठियोग, मनोज जोशी और छह अन्य सहित नौ पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में, सीबीआई ने शिमला के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को भी नवंबर 2017 में गिरफ्तार कर लिया।

उस वक्त हिमाचल की जनता के अनुसार सीबीआई देवदूत बनकर आई थी। लोगों को उम्मीद थी की सीबीआई की जांच से गुड़िया को इंसाफ जरुर मिलेगा।

लकड़हारा नीलू दोषी करार :

सीबीआई ने अदालत को बताया कि एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए शेष पांच आरोपी निर्दोष हैं और उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया और प्रताड़ित किया गया। सीबीआई की टीम ने अगले ग्यारह महीनों तक जांच की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 28 मार्च 2018 को हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई। अंततः सीबीआई से निराश होकर अदालत ने सीबीआई की क्षमता पर सवाल उठाया और इसके निदेशक को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होने को कहा।

इस समन के तुरंत बाद ही सीबीआई ने दावा किया कि इस मामले को सुलझा लिया गया है, जिसमें एक लकड़हारे नीलू को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने सीबीआई द्वारा आरोपी के खिलाफ दिए गए 14 में से कम से कम 12 सबूतों को सही पाया। घटनास्थल से लिए गए नमूने के साथ उसके डीएनए का मिलान सबसे महत्वपूर्ण सबूतों में से एक माना।

28 अप्रैल 2021 को सीबीआई जज राजीव भारद्वाज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आरोपी नीलू को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (आई), 376 9 (ए) और 302 और पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत सभी चार आरोपों में दोषी ठहराया। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई और इसके बाद मामले को बंद माना गया।

लकड़हारे नीलू का बयान :

हालांकि नीलू ने मीडिया से कहा कि वह निर्दोष है और उसे सीबीआई ने फंसाया है। उसने सीबीआई पर जान से मारने की धमकी समेत कई गंभीर आरोप लगाए। उसने न्यूज 18 को बताया कि उसे धमकी दी गई कि उसे भी 18 जुलाई 2017 को  पुलिस हिरासत में मारे गए आरोपी सूरज की तरह ही मार दिया जाएगा। न्यूज 18  की खबर के अनुसार उसने यहां तक ​​कहा कि उसे फंसाने के लिए उसकी मां को बंधक बना लिया गया था। उसने कहा कि वह इस फैसले को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा।

सीबीआई जांच से परिवार और स्थानीय लोग असंतुष्ट :

2018 में ग्यारह महीने की जांच के बाद सीबीआई ने दावा किया था कि उसने मामले को सुलझा लिया है और गुड़िया के साथ बलात्कार और हत्या के लिए एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। इसने इस रिपोर्ट से इनकार किया कि यह सामूहिक बलात्कार था। गिरफ्तार आरोपी एक लकड़हारा था। परिवार और जनता सीबीआई के निष्कर्षों से संतुष्ट नहीं थे और उनका मानना ​​था कि असली अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।

इससे सीबीआई की जांच संदेह के घेरे में आ गई थी, जब दो फोरेंसिक विशेषज्ञों ने अदालत में गवाही दी थी कि फोरेंसिक परीक्षण की विश्लेषण रिपोर्ट से पता चला है कि गुड़िया के बलात्कार और हत्या में एक से अधिक लोग शामिल थे।

लोगों को आज भी इस जांच पर संदेह है। लोग आज भी सीबीआई द्वारा की गई इस जांच से असंतुष्ट है। आज भी सवाल उठते है कि मामले में अचानक से सिर्फ एक व्यक्ति लकड़हारे नीलू को आरोपी कैसे ठहराया गया। जहां तक इस मामले को सामूहिक दुष्कर्म माना जा रहा था वहां सीबीआई ने इस मामले में सिर्फ एक आरोपी को कैसे गिरफ्तार कर लिया।

उन फोटो का क्या जो तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए थे और कुछ देर बाद ही हटा दिए गए थे ? एसआईटी की टीम ने क्यूं छह लोगों को झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया था ? आखिर किसे बचाने की कोशिश की जा रही थी ? यह सवाल ऐसे है जिनका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है।

 

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