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दक्षिण एशियाई देशों की महिला एथलीटों ने साझा की धीरज और मज़बूत इरादे की हौसला देने वाली कहानियाँ

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भारत की राजधानी दिल्ली से दूर मणिपुर की रहने वाली साइखोम मीराबाई चानू के बारे में चंद दिनों पहले तक ज्यादातर भारतीय न के बराबर जानते थे

कुछ ऐसा ही हाल असम की लवलीना बोरगोहेन, पंजाब की कमलप्रीत कौर, हरियाणा की सविता पुनिया, पंजाब की गुरजीत कौर, झारखंड की सलीमा टेटे या निक्की प्रधान का था। ये सब ओलम्पिक में भाग ले रहीं महिला खिलाड़ी हैं।  हाँ, पीवी सिंधू को हम सब कुछ सालों से ज़रूर जानने लगे हैं। इन स्त्रियों में कोई वज़न उठा कर पटखनी दे रहा है तो कोई मुट्ठी की कला दिखा रहा है। तो किसी ने इतना ज़ोरदार चक्का फेंका कि सबकी आँखें खुली की खुली रह गयीं। किसी की फ़ुर्ती तो किसी की पैनी निगाहें सामने वाली हॉकी खिलाड़ी के हर वार को जब नाकाम करतीं तो लोग दाँतों तले अँगुलियाँ दबाने लगते तो किसी ने बिजली सी तेज़ी दिखाई और फ़िर सुनाई दिया गोल।  ये खिलाड़ी अब मशहूर हो गयी हैं।।

हालाँकि, इन महिला खिलाड़ियों को शोहरत के इस मुकाम तक पहुँचने के लिए जितनी बाधाएँ पार करनी पड़ी होंगी, उतनी किसी बाधा दौड़ के धावक को नहीं करनी पड़ती होगी। इसीलिए ये ओलम्पिक में खेल रही और झंडा गाड़ रही हमारी बेटियाँ सिर्फ़ भारत की ही नहीं, पूरे दक्षिण एशियाई खिते की स्त्रियों की फ़ख़्र की वजह हैं।  आज हमारे सभी पड़ोसी मुल्क भी गर्व कर रहे है इन बेटियों की कामयाबी से महिलाओं खिलाडी की इस शोहरत के पीछे की कहानी, मंजिल तक पहुचने के इनके संघर्ष, पूरे दक्षिण एशियाई खिते की एक है।

इसी विषय पर समझ बनाने के लिए, साउथ एशिया पीस एक्शन नेटवर्क (सपन – SAPAN) पिछले दिनों दक्षिण एशियाई देशों की अनेक महिला खिलाडीयों को एक साथ जोड़ा आर उनकी ऑनलाइन मीटिंग रखी गई। लगभग 14  खिलाड़ी एक साथ आयीं।इन्होंने अपने सामने आने वाली चुनौतियों और कामयाबियों पर चर्चा की. दिल को छू लेनी वाली कहानियाँ साझा कीं. हौसला देने वाली एकजुटता दिखायी।

इस ऑनलाइन मीटिंग का विषय था, ‘खेल में महिलाएँ: चुनौतियाँ और कामयाबियाँ.’ रविवार, 25 जुलाई को आयोजित यह चर्चा दो घंटे से ज़्यादा वक़्त तक चली।

इस बैठक में भविष्य में सहयोग के लिए कई विचार आये. इसमें एक किताब तैयार करने और दक्षिण एशियाई महिला एथलीटों का एक संघ बनाने की बात भी शामिल है।

 

मैंने हार नहीं मानी: ख़ालिदा पोपल

अफगानिस्तान की महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान ख़ालिदा पोपल ने कहा, ‘जंग ने हमसे सब कुछ छीन लिया है।’

उन्होंने कहा, ‘किसी न किसी को तो कदम उठाना पड़ता. मुझे परेशान किया गया. बहुत बुरा-भला कहा गया. हमला किया गया। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मेरी लड़ाई सिर्फ़ मेरे लिए नहीं थी। यह मेरी बहनों के लिए था। मेरे देश की बाकी दूसरी सभी स्त्रियों के लिए था।’

ख़ालिदा पोपल ने कहा,  ‘दक्षिण एशिया हमारे घर की तरह है. हमारा दर्द एक जैसा है। सिर्फ़ एक चीज़ की कमी है. वह है, हमारे बीच एकता नहीं है।’

सपनकी मासिक शृंखला

खालिदा उन दर्जन भर महिला खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने इस वेबिनार में भाग लिया। साउथ एशिया पीस एक्शन नेटवर्क (सपन) के बैनर तले   ‘इमेजिन! नेबर्स इन पीस,’ मासिक शृंखला के तहत यह चौथा वेबिनार था।  इस शृंखला का शीर्षक मशहूर वेबसाइट चौक डॉट कॉम के अप्रकाशित संग्रह से लिया गया है। रविवार का यह वेबिनार ‘साउथ एशिया वीमेन इन मीडिय’ (एसएडब्ल्यूएम) के सहयोग से आयोजित किया गया. कार्यक्रम का संचालन ‘ई-शी’  पत्रिका की संपादक एकता कपूर ने किया।

भाग लेने वाले एथलीटों के साथ चर्चा का संचालन एथलीटों के अधिकारों की वकालत करने वाली प्रमुख कार्यकर्ता और जिनेवा स्थित ‘सेंटर फॉर स्पोर्ट एंड ह्यूमन राइट्स’ की निदेशक और ट्रस्टी पायोशनी मित्रा और कराची की खेल पत्रकार नताशा राहील द्वारा  संयुक्त रूप से किया गया।

मैं तो लड़के के भेष में क्रिकेट खेलती थी: नूरेना

अंतरराष्ट्रीय स्क्वैश खिलाड़ी नूरेना शम्स, पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के मलाकंद इलाके की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला एथलीट हैं।  खालिदा पोपल की तरह नूरेना भी जंग के बीच पली-बढ़ी हैं। नूरेना ने कहा, ‘ मेरे कानों में अब भी बमों के धमाके गूँजते हैं।’ उन्होंने कहा कि उन्हें लगता था कि वे मर जायेंगी और  कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा था कि वे स्क्वैश खेलेंगी। वह भी इतने बड़े स्तर पर।

नूरेना ने कहा कि ऐसे क्षेत्र में जहाँ लड़कियों के लिए तालीम हासिल करना ही बहुत बड़ी जद्दोजेहद है, वहाँ कोई खेल खेलना तो कठिन ही कठिन है। उन्होंने बताया, ‘मुझे पेशावर में क्रिकेट खेलने के लिए ख़ुद को एक लड़के के भेष में छिपाना पड़ता था।।’

नूरेना का सुझाव था, ‘…दक्षिण एशियाई लोगों को एक- दूसरे के लिए लगातार  खड़े रहना चाहिए. यह किसी ट्रॉफी जीतने की बात नहीं है या इस बारे में भी नहीं है कि पहले किसने क्या किया। हमें  जो करना है, मिल-जुलकर एक साथ करना है. एक-दूसरे के लिए खड़े रहना है।’

महिलाओं के लिए खेल का मुद्दा अहम है

‘सपन’ दक्षिण एशिया में अमन, इंसाफ़, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के सिद्धांतों को मज़बूत करने और आगे बढ़ाने वाले व्यक्तियों और संगठनों का एक गठबंधन है. इसकी शुरुआत इसी साल मार्च में हुई.  अपने जन्म के बाद से ही ‘सपन’ सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के तौर पर सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा पर काम कर रहा है. ‘सपन’ खेल – और संघर्ष – को, खासकर महिलाओं के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के तौर पर ही देखता है.

इस बीच, टोक्यो में ओलंपिक शुरू हो चुका था.  एक तरफ़  ‘सपन’ के कार्यक्रम में महिला खिलाड़ी, खेल को एक पेशे के रूप में अपनाने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में बात कर रही थी और दूसरी ओर  भारत की झोली में पहला पदक एक महिला खिलाड़ी ने दिलाया. यह एक ऐसा संघर्ष है जिसका अधिकांश महिला खिलाड़ियों ने सामना किया है… और अक्सर यह संघर्ष  घर से शुरू होता है.

लड़कियाँ खेल में आयें, सब सोचें: अशरीन

बांग्लादेशी बास्केटबॉल खिलाड़ी अशरीन मृधा ने जोर देकर कहा कि लड़कियों को खेलों में लाने की जिम्मेदारी केवल खेल संघों और खेल संगठनों की नहीं है. यह ज़िम्मेदारी दोस्तों, परिवारीजनों, चाचाओं-मामाओं, चाचियों-मामियों और भाइयों की भी है. इन सबको महिला खिलाड़ियों को बढ़ाने के लिए आगे आने की ज़रूरत है.  उन्होंने कहा, ‘जेंडर/ लैंगिक असमानता को केवल महिलाओं की समस्या मानकर सुलझाने की ज़रूरत नहीं है.’

विकलांग एथलीटों के सामने और कठिन संघर्ष

विकलांग एथलीटों को और भी कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ता है.  गुलशन नाज़ को आंशिक तौर पर देख सकने में दिक़्क़त है.  गुलशन, भारत के उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर  सहारनपुर की रहने वाली हैं.

वे कहती हैं, ‘देख सकने में मजबूर यानी दृष्टि बाधित एथलीट को कोई भी प्रायोजित नहीं करना चाहता है.’

महिलाओं खिलाड़ियों के सामने पैसे का संकट

एक बड़ा मुद्दा पैसे या संसाधन का है. बांग्लादेश की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान रूहमाना अहमद सहित अनेक दक्षिण एशियाई एथलीटों ने महिला एथलीटों के सामने इस वजह से आने वाली चुनौतियों और मुश्किलों पर रोशनी डाली.

पाकिस्तान महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान सना मीर ने कहा, ‘महिलाओं को पैसा हासिल करने के लिए ख़ुद को साबित करना पड़ता है. दूसरी ओर, पुरुष न भी जीतें तो उन्हें पैसे की पूरी मदद दी जाती है.’

यहां तक कि जब महिला एथलीट पदक के मामले में पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं,  तब भी उन्हें वह शोहरत या पैसा नहीं मिलता जैसा पुरुष खिलाड़ियों को मिलता है.  इस मामले में भारत की महिला खिलाड़ियों को हम देख सकते हैं.

महिला खिलाड़ी खेल न छोड़ें: निशा

वेबिनार में भाग लेने वालों ने जेंडर स्टीरियोटाइप तोड़ने की ज़रूरत और अहमियत के बारे  में भी चर्चा की.  भारत की ओलंपियन तैराक निशा मिलेट जुड़वाँ बेटियों के साथ इस बैठक में शामिल थीं. उन्होंने महिलाओं से अपील की कि प्रतिस्पर्धी खेल छोड़ने के बाद भी वे खेल न छोड़ें. वे खिलाड़ियों की अगली पीढ़ी को बनाने के लिए और उन्हें कोचिंग देने, सलाह देने, बढ़ावा देने में योगदान देने के लिए आगे आयें.

कौनकौन शामिल हुआ

इस कार्यक्रम में बोलने वाली खिलाड़ियों में भारत की एथलीट और खेल निवेशक आयशा मनसुखानी, श्रीलंका की कार्यकर्ता और पूर्व नेटबॉल खिलाड़ी कैरिल टोज़र, बांग्लादेश की क्रिकेटर चंपा चकमा, बांग्लादेश की पुरस्कार विजेता भारोत्तोलन चैंपियन माबिया अख़्तर शिमांटो, भारत/संयुक्त अरब अमीरात की क्रिकेटर कोच और भारत ए टीम के पूर्व खिलाड़ी रूपा नागराज और नेपाल की राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी  प्रीति बराल शामिल थीं.

मैं इनकी बातें सुनकर दंग हूँ: नजम सेठी

प्रमुख विश्लेषक नजम सेठी ने इन सबकी बात सुनने के बाद कहा, ‘मैं बहुत ही मुश्किल हालात में आगे बढ़ने वाली इन खिलाड़ियों के साहस और दृढ़ संकल्प की बातें सुन कर दंग हूँ.  कैसे इन्होंने मुस्कुराते हुए अपनी आपबीती सुनायी. मैं बेहत प्रभावित हूँ.’

नजम सेठी ने कहा कि दक्षिण एशिया की सभी महिला एथलीटों को  लीडरशिप के मुद्दे, आर्थिक संकट, भेदभाव, स्टीरियोटाइप जैसी समस्याओं से लड़ना-जूझना पड़ रहा है. लेकिन उन्होंने दो और चिंताओं की तरफ़ ध्यान दिलाया. वे चिंता हैं- महिलाओं का वस्तुकरण और यौन उत्पीड़न. उनका कहना था कि इस पर और ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है.

नजम सेठी एक प्रकाशन भी चलाते हैं. उन्होंने कहा कि इस चर्चा में उन्होंने जो कहानियाँ सुनीं, इन सब बातों को तो एक किताब की शक्ल में सामने आना चाहिए.  ‘सपन’ टीम इस परियोजना पर काम करने के लिए सहमत हुई है.

इस आयोजन में दक्षिण एशियाई महिला एथलीटों का संघ बनाने का भी विचार आया. अनेक प्रतिभागियों को यह विचार पसंद आया.

वीज़ा मुक्त दक्षिण एशिया

प्रख्यात शिक्षाविद् बायला रज़ा जमील ने कार्यक्रम के दौरान ‘सपन’ के घोषणापत्र को  पढ़कर सुनाया. इस घोषणापत्र में वीज़ा मुक्त दक्षिण एशिया के साथ ही व्यापार, पर्यटन और यात्रा में आसानी देने की माँग की गयी है.  उन्होंने मौजूद लोगों से इस घोषणापत्र का समर्थन करने का आह्वान किया.

पिछले वेबिनार की तरह ही ‘सपन’ ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिनके आदर्शों को संगठन आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. इनमें आईए रहमान, आसमा जहाँगीर, निर्मला देशपांडे, डॉ. मुब्बशीर हसन, मदनजीत सिंह जैसे लोग शामिल हैं.  प्रतिभागियों ने उन प्रमुख दक्षिण एशियाई लोगों को भी याद किया, जिनका पिछले एक महीने में निधन हो गया है. साथी ही उन परिवारों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की जिनके परिवारीजन कोरोना वायरस महामारी के शिकार हुए हैं.

व्यंग्य नाटक कैप्टन समीनाकी प्रस्तुति

वेबिनार में शोएब हाशमी ने खेल में महिलाओं पर एक छोटा व्यंग्य नाटक “कैप्टन समीना” की भी प्रस्तुति की.  1980 के दशक में पाकिस्तान में जनरल जियाउल हक की दमनकारी सैन्य तानाशाही के दौरान इस नाटक का प्रदर्शन हुआ था. हालाँकि, ख़तरों को भाँपते हुए इसे कभी रिकॉर्ड नहीं किया गया था. तब से चीजें बहुत बदल चुकी हैं. इसके बाद भी इस नाटक में महिलाओं के खेल को दबाने का मुद्दा जिस तरह से उठाया गया है,  वह आज भी प्रासंगिक है.

वेबिनार के प्रतिभागी इस बात पर एकमत थे कि आगे बढ़ने का रास्ता एकता, एकजुटता और दक्षिण एशियाई सहयोग में है.

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गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड : सूरज हत्या मामले में आईजी जैदी समेत 8 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद

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शिमला : बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में गिरफ्तार आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या के मामले में आज चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत ने फैसला सुनाया है। न्यायालय ने तत्कालीन आईजी जहूर जैदी समेत सभी आठ पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

इससे पहले पिछली सुनवाई में न्यायालय ने तत्कालीन जहूर जैदी सहित DSP मनोज जोशी, राजिंदर सिंह, दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, रफीक मोहम्मद, रंजीत स्टेटा को दोषी ठहराया था। हालांकि तत्कालीन एसपी शिमला डीडब्लू नेगी को न्यायालय ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

क्या था गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामला :

6 जुलाई 2017 को कोटखाई में एक स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया था।  10वीं की छात्रा 4 जुलाई को अपने भाई के साथ स्कूल गई थी, लेकिन घर वापस नहीं लौटी। 5 जुलाई को लड़की का पता न चलने पर माता-पिता ने उसकी तलाश शुरू की। 6 जुलाई को किसी ने लिंक रोड से करीब 100 मीटर ऊपर दांडी जंगल में एक लड़की का शव नग्न अवस्था में पड़ा देखा और इस बारे में सभी को सूचित किया। घटनास्थल के पास से लड़की की वर्दी भी बरामद हुई। घटना की सूचना मिलते ही सैकड़ों ग्रामीण, उप-मंडल मजिस्ट्रेट और पुलिस उपाधीक्षक ठियोग मौके पर पहुंचे। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। शुरुआती जांच में यह कहा गया कि छात्रा की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।

इसके बाद अज्ञात आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 376 और पोस्को (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और अपराध की जांच के लिए तीन विशेष टीमें गठित की गई। 10 जुलाई 2017  को तत्कालीन आईजी जहूर जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी ( स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम ) गठित की गई जिसमें दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, मनोज जोशी, राजिंद्री सिंह, रफी मोहम्मद व रंजीत सतेता शामिल थे।

11 जुलाई 2017 की रात को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आधिकारिक और सत्यापित फेसबुक पेज पर कथित तौर पर चार तस्वीरें पोस्ट की गईं थी, साथ में लिखा था कि ये चार लोग स्कूली छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के भयावह मामले के पीछे के संदिग्ध हैं। लेकिन तस्वीरें वायरल होने के तुरंत बाद अचानक से हटा दी गईं थी

13 जुलाई 2017 को एसआईटी ने रेप-मर्डर के आरोप में छह लोगों ( आशीष चौहान उर्फ ​​आशु (29),  सुभाष सिंह बिष्ट (42) और दीपक उर्फ ​​देपू (38), राजिंदर सिंह उर्फ ​​राजू (32), सूरज सिंह (29) और  ​​छोटू (19)  को गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों को उनके निवास स्थान कोटखाई से गिरफ्तार किया गया था।

एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए छह आरोपियों पर पत्रकारों और अधिकांश लोगों ने संदेह जताया और कईं सवाल भी उठाए। लोगों को असली दोषियों को बचाने की साजिश का आभास हुआ और  केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग उठने लगी। वहीं पुलिस ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र की आधिकारिक फेसबुक वॉल पर शेयर की गई कुछ लोगों की तस्वीरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लोगों का सवाल था कि वह तस्वीरें अखिर क्यों हटा दी गई।

वहीं 15 जुलाई 2017 को दो संदिगधों जिनकी फोटो मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर पोस्ट की गई थी , उन्हें पूछताछ और सैंपल के लिए पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। जिनके बारे में कहा जा रहा था कि वे दोनों बहुत प्रभावशाली परिवारों से जुड़े हैं। संदिग्धों को भारी पुलिस बल की तैनाती के तहत शिमला के रिप्पन अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए लाया गया जिसमें उनके सीरम और डीएनए प्रोफाइलिंग नमूने लिए गए । कथित तौर पर मेडिकल जांच के बाद संदिग्धों को छोड़ दिया गया। हालांकि,बाकी दो लोगों के बारे में कुछ नहीं कहा गया।

पुलिस हिरासत में अचानक हुई सूरज की मौत:

इसके बाद एक और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया। 17 और 18 जुलाई की रात के बीच पुलिस हिरासत में सूरज की अचानक हत्या हो गई। पुलिस ने हत्या की पुष्टि की और कहा कि आरोपी राजिंदर (32) ने  सूरज सिंह (29) को जमीन पर पटक कर उसकी हत्या कर दी। मारपीट और हत्या का समय आधी रात के आसपास का बताया गया। पुलिस ने सूरज की हत्या के लिए सह-आरोपी राजिंदर को दोषी ठहराया और तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी ने भी इसका समर्थन किया। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और रवैये पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया ।

इस घटना से लोगों में और रोष भर गया। स्थानीय लोगों द्वारा एसआईटी पर असली दोषियों को बचाने का संदेह और भी पक्का हो गया। सीबीआई जांच की मांग उठी। लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर उग्र विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मामले में न्याय की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदेश में कईं जगह उग्र प्रदर्शन हुए तो यह केस 19 जुलाई को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हवाले कर दिया। सीबीआई को दो दिनों के भीतर एक विशेष जांच दल गठित करने और कोटखाई बलात्कार और हत्या मामले की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया गया।

सूरज की हत्या के बाद उसकी पत्नी ने दिया चौंकाने वाला बयान :

वहीं मामले में एक और नया मोड़ आया ,सूरज की पत्नी ने हिंदी दैनिक भास्कर को दिए गए बयान में बताया कि उसके पति ने उसे 9 जुलाई को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले उसके साथ हुई बातचीत का खुलासा न करने को कहा था। उसकी पत्नी के अनुसार सूरज ने उसे भरोसा दिलाया था कि वह छह महीने में जेल से वापस आ जाएगा और फिर वे गरीब नहीं रहेंगे। उसने उससे कहा था कि उसके लौटने के बाद वे नेपाल में रहेंगे। उसकी पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति को इस जाल में फंसाने के लिए पैसे का लालच दिया गया था और इसमें उच्च अधिकारी शामिल हैं। पत्नी को डर था कि इस खुलासे  के बाद उनके पति की तरह उनकी भी हत्या कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अपने बच्चों की जान के डर से वह अब तक चुप थी।

सूरज हत्या मामले में अधिकारी गिरफ्तार :

22 जुलाई को सीबीआई ने दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। एक नाबालिग लड़की के बलात्कार और हत्या की जांच से संबंधित और दूसरा नेपाली आरोपी सूरज सिंह की रहस्यमय परिस्थितियों में पुलिस हिरासत में मौत की जांच से संबंधित।

29 अगस्त 2017 को सीबीआई ने सूरज की हिरासत में हत्या के लिए एसआईटी के प्रमुख जहूर एच जैदी, आईजी, दक्षिणी रेंज, डीएसपी, ठियोग, मनोज जोशी और छह अन्य सहित नौ पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में, सीबीआई ने शिमला के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को भी नवंबर 2017 में गिरफ्तार कर लिया।

उस वक्त हिमाचल की जनता के अनुसार सीबीआई देवदूत बनकर आई थी। लोगों को उम्मीद थी की सीबीआई की जांच से गुड़िया को इंसाफ जरुर मिलेगा।

लकड़हारा नीलू दोषी करार :

सीबीआई ने अदालत को बताया कि एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए शेष पांच आरोपी निर्दोष हैं और उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया और प्रताड़ित किया गया। सीबीआई की टीम ने अगले ग्यारह महीनों तक जांच की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 28 मार्च 2018 को हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई। अंततः सीबीआई से निराश होकर अदालत ने सीबीआई की क्षमता पर सवाल उठाया और इसके निदेशक को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होने को कहा।

इस समन के तुरंत बाद ही सीबीआई ने दावा किया कि इस मामले को सुलझा लिया गया है, जिसमें एक लकड़हारे नीलू को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने सीबीआई द्वारा आरोपी के खिलाफ दिए गए 14 में से कम से कम 12 सबूतों को सही पाया। घटनास्थल से लिए गए नमूने के साथ उसके डीएनए का मिलान सबसे महत्वपूर्ण सबूतों में से एक माना।

28 अप्रैल 2021 को सीबीआई जज राजीव भारद्वाज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आरोपी नीलू को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (आई), 376 9 (ए) और 302 और पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत सभी चार आरोपों में दोषी ठहराया। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई और इसके बाद मामले को बंद माना गया।

लकड़हारे नीलू का बयान :

हालांकि नीलू ने मीडिया से कहा कि वह निर्दोष है और उसे सीबीआई ने फंसाया है। उसने सीबीआई पर जान से मारने की धमकी समेत कई गंभीर आरोप लगाए। उसने न्यूज 18 को बताया कि उसे धमकी दी गई कि उसे भी 18 जुलाई 2017 को  पुलिस हिरासत में मारे गए आरोपी सूरज की तरह ही मार दिया जाएगा। न्यूज 18  की खबर के अनुसार उसने यहां तक ​​कहा कि उसे फंसाने के लिए उसकी मां को बंधक बना लिया गया था। उसने कहा कि वह इस फैसले को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा।

सीबीआई जांच से परिवार और स्थानीय लोग असंतुष्ट :

2018 में ग्यारह महीने की जांच के बाद सीबीआई ने दावा किया था कि उसने मामले को सुलझा लिया है और गुड़िया के साथ बलात्कार और हत्या के लिए एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। इसने इस रिपोर्ट से इनकार किया कि यह सामूहिक बलात्कार था। गिरफ्तार आरोपी एक लकड़हारा था। परिवार और जनता सीबीआई के निष्कर्षों से संतुष्ट नहीं थे और उनका मानना ​​था कि असली अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।

इससे सीबीआई की जांच संदेह के घेरे में आ गई थी, जब दो फोरेंसिक विशेषज्ञों ने अदालत में गवाही दी थी कि फोरेंसिक परीक्षण की विश्लेषण रिपोर्ट से पता चला है कि गुड़िया के बलात्कार और हत्या में एक से अधिक लोग शामिल थे।

लोगों को आज भी इस जांच पर संदेह है। लोग आज भी सीबीआई द्वारा की गई इस जांच से असंतुष्ट है। आज भी सवाल उठते है कि मामले में अचानक से सिर्फ एक व्यक्ति लकड़हारे नीलू को आरोपी कैसे ठहराया गया। जहां तक इस मामले को सामूहिक दुष्कर्म माना जा रहा था वहां सीबीआई ने इस मामले में सिर्फ एक आरोपी को कैसे गिरफ्तार कर लिया।

उन फोटो का क्या जो तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए थे और कुछ देर बाद ही हटा दिए गए थे ? एसआईटी की टीम ने क्यूं छह लोगों को झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया था ? आखिर किसे बचाने की कोशिश की जा रही थी ? यह सवाल ऐसे है जिनका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है।

 

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कांगड़ा में फरवरी 2026 तक तैयार हो जाएगा दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र, 35,000 से अधिक दुग्ध उत्पादक होंगे लाभान्वित

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कांगड़ा: वीरवार को ढगवार में 1.50 लाख लीटर प्रतिदिन (एलएलपीडी) क्षमता वाले अत्याधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र की आधारशिला रखी गई। प्रदेश सरकार के अनुसार इसका निर्माण कार्य फरवरी 2026 तक पूरा हो जाएगा। संयंत्र की प्रारंभिक प्रसंस्करण क्षमता 1.50 एलएलपीडी है, जिसे भविष्य में तीन एलएलपीडी तक बढ़ाया जा सकता है। इस संयत्र के क्रियाशील होने के बाद कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, चंबा और ऊना जिलों के किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी जिससे 35,000 से अधिक दुग्ध उत्पादक लाभान्वित होंगे।

 

प्रदेश सरकार के अनुसार इससे दुग्ध उत्पादकों की आय में वृद्धि होगी और दुग्ध संग्रहण, प्रसंस्करण, गुणवत्ता नियंत्रण और वितरण में रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इससे लोगों को परिवहन, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और रखरखाव सेवाओं जैसे क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे। संयत्र के क्रियाशील होने के बाद किसानों को प्रतिदिन 40 लाख रुपये के भुगतान किए जाएंगे।

प्रदेश सरकार के अनुसार दूध की दरों में पहले ही वृद्धि कर दी गई है, जिसके बाद मिल्कफेड की दैनिक दूध खरीद क्षमता 1,40,000 लीटर से बढ़कर 2,10,000 लीटर हो गई है। सरकार के अनुसार इस अत्याधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र में प्रतिदिन 1.50 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण किया जाएगा जिससे दही, लस्सी, मक्खन, घी, पनीर, फ्लेवर्ड मिल्क, खोया और मोजरेला चीज सहित विभिन्न प्रकार के डेयरी उत्पाद तैयार किए जाएंगे।

सरकार के अनुसार शिमला के दत्तनगर स्थित दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र की क्षमता को 20,000 लीटर से बढ़ाकर 70,000 लीटर प्रतिदिन कर दिया है जिसके लिए 25.67 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। इससे शिमला, कुल्लू, मंडी और किन्नौर जिलों के डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ मिल रहा है। सरकार का कहना है कि 271 डेयरी सहकारी समितियों से जुड़े लगभग 20,000 किसान इसका लाभ उठा रहे हैं।

प्रदेश सरकार पहले ही गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 32 रुपये से बढ़ाकर 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 47 रुपये से बढ़ाकर 55 रुपये प्रति लीटर कर चुकी है।

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हि.प्र. मंत्रिमंडल के निर्णय: भांग की खेती पर पायलट अध्ययन को मंजूरी,सरकार ने बदले दो संस्थानों के नाम

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कांगड़ा : धर्मशाला में आज मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में कईं अहम निर्णय लिए गए।

तांदी गांव में आग प्रभावित परिवारों के लिए विशेष राहत पैकेज:

मंत्रिमंडल ने वर्ष 2023 में आपदा प्रभावित परिवारों के लिए लाए गए विशेष राहत पैकेज को जिला कुल्लू के तांदी गांव में आग की घटना से प्रभावित परिवारों के लिए प्रदान करने का निर्णय लिया। पैकेज के तहत तांदी गांव के प्रभावित परिवारों को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए 7 लाख रुपये, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए एक लाख रुपये और गौशालाओं के नुकसान के लिए 50,000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, प्रभावित परिवारों को 30 जून, 2025 तक मकान के किराए के भुगतान के लिए 5,000 रुपये की मासिक सहायता प्रदान की जाएगी।

रोबोटिक सर्जरी के लिए मशीनरी और उपकरणों की खरीद :

मंत्रिमंडल ने एम्स, नई दिल्ली की तर्ज पर अटल सुपर स्पेशिएलिटी आयुर्विज्ञान संस्थान (एआइएमएसएस) चमियाणा और डॉ राजेंद्र प्रसाद राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय टांडा, कांगड़ा में रोबोटिक सर्जरी के लिए 56 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक मशीनरी और उपकरणों की खरीद को भी स्वीकृति प्रदान की।

कशमल एक्सटरेक्शन की अनुमति :

मंत्रिमंडल ने वन विभाग के पिछले आदेश में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर 15 फरवरी, 2025 की कट-ऑफ तिथि के साथ कश्मल की जड़ों के एक्सटरेक्शन की अनुमति प्रदान की। इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश वन उपज पारगमन (लेंड रूटस) नियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार 4 जनवरी, 2025 से पहले खुले स्थानों से निकाले गए वन उत्पादों के परिवहन के लिए 15 फरवरी, 2025 तक की अनुमति प्रदान की।

सुपर लग्जरी बसों की खरीद को मंजूरी :

बैठक में दो नए मंडल ननखड़ी और खोलीघाट के साथ खराहन सेक्शन बनाकर लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग वृत शाहपुर को पुनर्गठित करने का निर्णय लिया गया।
मंत्रिमंडल ने यात्रियों की सुविधा के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम के लिए 24 वातानुकूलित सुपर लग्जरी बसों की खरीद को मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल ने बेहतर प्रवर्तन और औचक निरीक्षण सुनिश्चित करने के लिए राज्य कर एवं आबकारी विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों को 100 मोटरसाइकिलें प्रदान करने को भी मंजूरी दी।

भांग की खेती पर एक पायलट अध्ययन को मंजूरी:

मंत्रिमंडल ने चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, जिला कांगड़ा और डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, जिला सोलन द्वारा संयुक्त रूप से भांग की खेती पर एक पायलट अध्ययन को मंजूरी दी। यह अध्ययन भांग की खेती के विषय में भविष्य की रूपरेखा का मूल्यांकन और सिफारिश करेगा। इसके अतिरिक्त, कृषि विभाग को इस पहल के लिए नोडल विभाग नामित किया गया।

कर्मचारियों को राज्य कैडर के दायरे में लाने को मंजूरी:

मंत्रिमंडल ने उपायुक्त कार्यालयों में चालकों, सभी तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के साथ-साथ तीन मंडलायुक्तों, निदेशक भूमि अभिलेख, राजस्व प्रशिक्षण संस्थान जोगिंद्रनगर (मंडी), भू-एकत्रीकरण निदेशालय (शिमला), बंदोबस्त कार्यालय कांगड़ा और बंदोबस्त कार्यालय शिमला के कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों को राज्य कैडर के दायरे में लाने को मंजूरी दी।

इन संस्थानों के बदले गए नाम:

बैठक में जिला शिमला में राजकीय महाविद्यालय सीमा का नाम राजा वीरभद्र सिंह राजकीय महाविद्यालय सीमा, जीजीएसएसएस, खेल छात्रावास (कन्या) जुब्बल को श्री रामलाल ठाकुर जीजीएसएसएस खेल छात्रावास (कन्या) और ऊना जिला के राजकीय महाविद्यालय खड्ड का नाम मोहन लाल दत्त राजकीय महाविद्यालय खड्ड रखने को भी मंजूरी दी गई। बैठक में रूकी हुई जल विद्युत परियोजनाओं को शुरू करने और शिक्षा विभाग के निदेशालयों के पुनर्गठन पर भी विस्तृत प्रस्तुति दी गई।

कुल्लू में रोपवे की स्थापना :

कुल्लू बस स्टैंड और पीज पैराग्लाइडिंग प्वाइंट के बीच एक रोपवे की स्थापना को बैठक में मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल ने ग्रामीण विकास विभाग में खंड विकास अधिकारियों के 9 पद भरने को भी स्वीकृति प्रदान की।

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