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पढ़ें क्या हैं विधायकों की अपने क्षेत्रों की 2022-23 बजट सत्र के लिए प्राथमिकताएं

शिमला- मंगलवार को विधायकों के साथ बजट 2022-23 की प्राथमिकताओं के सायंकालीन सत्र में ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और सिरमौर जिलों के विधायकों के साथ बजट 2022-23 की प्राथमिकताओं को अंतिम रूप देने के लिए करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में एक बैठक हुई।
इस सायंकालीन सत्र में प्रदेश के सात जिलों के 30 विधायकों ने इस बैठक में अपने सुझाव दिए।
पढ़िए किस विधायक ने अपने क्षेत्र की कौन सी प्राथमिकताओं को रखा सामने
ऊना
चिंतपूर्णी के विधायक बलबीर सिंह ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र को जल जीवन मिशन के अन्तर्गत एक जल शक्ति मण्डल प्रदान किया गया है, जिसने क्षेत्रवासियों को पेयजल और सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि कस्बे के सौंदर्यीकरण के लिए चिन्तपूर्णी में कुछ दुकानों का अधिग्रहण आवश्यक है। उन्होंने विधानसभा क्षेत्र के ऊंचाई वाले क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की बात मुख्यमंत्री के सा,समक्ष रखी। उन्होंने अम्ब को अधिसूचित क्षेत्र कमेटी बनाने के लिए सरकार का धन्यवाद किया।
गगरेट के विधायक राजेश ठाकुर ने कहा कि किसानों को लाभान्वित करने के लिए क्षेत्र में अधिक ट्यूबवेल लगाए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड के तहत ट्यूब वेल लगाने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए।
विपक्ष के नेता और हरोली के विधायक मुकेश अग्निहोत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में शीघ्रता लाने का आग्रह किया। उन्होंने क्षेत्र में अवैध खनन पर रोक लगाने की भी बात की। उन्होंने चिन्तपूर्णी और हरोली विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ने के लिए पुल के निर्माण की आवश्यकता और हरोली विधानसभा क्षेत्र को शिवा परियोजना के अन्तर्गत अधिक उपयुक्त धनराशि प्रदान की बात पर बल दिया ।
ऊना के विधायक सतपाल रायजदा ने कहा कि विधायकों को विधायक प्राथमिकताओं वाले शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रमों में आमन्त्रित किया जाना चाहिए।
हमीरपुर
भोरंज विधायक कमलेश कुमारी ने कहा कि क्षेत्र के लोगों को सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए भोरंज अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध करवाने के अलावा ऑक्सीजन संयंत्र भी स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से भोरंज में अग्निशमन केन्द्र खोलने का भी आग्रह किया।
सुजानपुर के विधायक राजेन्द्र्र राणा ने कहा कि सुजानपुर में टाउन हॉल के निर्माण कार्य में तेजी लाई जानी चाहिए तथा नागरिक अस्पताल सुजानपुर में विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध करवाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि 33 के० वी० उपकेन्द्र जिसकी आधारशिला पूर्व राज्य सरकार ने रखी थी, उसका कार्य शीध्र ही आरम्भ किया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपने क्षेत्र में राजकीय महाविद्यालय तथा टौणी देवी क्षेत्र में उपमण्डलाधिकारी (नागरिक) कार्यालय खोलने का भी आग्रह किया।
हमीरपुर के विधायक नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र के अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
बड़सर के विधायक इन्द्रदत्त लखनपाल ने कहा कि दियोटसिद्ध में रज्जुमार्ग का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिझड़ी के भवन निर्माण का कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के आयुर्वेदिक औषधालय में चिकित्सकों के उपयुक्त पदों का प्रावधान किया जाना चाहिए।
कुल्लू
कुल्लू से विधायक सुन्दर सिंह ठाकुर ने कहा कि बिजली महादेव रज्जुमार्ग का कार्य शीघ्र प्रारम्भ किया जाए ताकि क्षेत्र में पर्यटन विकास को गति मिल सके। उन्होंने कहा कि शाड़नी-पीणी सड़क का कार्य शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए।
बंजार के विधायक सुरेन्द्र शौरी ने कहा कि बन्जार अस्पताल और आयुर्वेदिक अस्पताल बजौरा के कार्य को तेजी लाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि डीएफओ (वन्य जीव) को शमशी से लारजी लाया जाए। उन्होंने कहा कि सोझा और तीर्थन घाटी को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।
आनी के विधायक किशोरी लाल ने कहा कि सड़कों की लम्बित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्राथमिकता के आधार पर तैयार की जाए।
सिरमौर
नाहन से विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि मुख्यमंत्री की सभी घोषणाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि परियोजनाओं को शीघ्र पूर्ण किया जा सके। उन्होंने मुख्यमंत्री से नाहन कस्बे में मल-निकासी सुविधा प्रदान करने का भी आग्रह किया। उन्होंने डॉ. यशवंत सिंह परमार राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान नाहन के भवन के निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए कहा।
पच्छाद से विधायक रीना कश्यप ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में सराहां और राजगढ़ दो चिकित्सा खण्ड हैं। उन्होंने कहा कि नारग में एक आईटीआई और राजगढ़ में एक अग्निशमन केन्द्र खोला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिरगुल देवता मन्दिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाना चाहिए।
श्री रेणुका जी से विधायक विनय कुमार ने लगभग 7,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले रेणुका डैम परियोजना परियोजना से होने वाले सामाजिक प्रभाव का उचित आकलन किया जाना चाहिए ताकि इस डैम के विस्थापितों के पुनर्वास में कोई कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि रेणुका चिड़ियाघर में बाघों का जोड़ा लाया जाना चाहिए और चिड़ियाघर में दो बैटरी कारों की मुरम्मत की जानी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो बदल देनी चाहिए।
शिलाई से विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में महाविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पावंटा-शिलाई सड़क के कार्य में तेजी लाई जानी चाहिए क्योंकि यह सड़क क्षेत्र के लोगों की जीवन रेखा है।
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजे के मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिलाई विधानसभा क्षेत्र के लिए नाबार्ड के तहत पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाने का भी आग्रह किया। उन्होंने वन स्वीकृतियों में तेजी लाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि विकासात्मक परियोजनाओं को शीघ्र पूर्ण किया जा सके।
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।