अन्य खबरे
15 माह के तनिष्क को बचाने लिए चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन, पिता ने लगाई मदद की गुहार

शिमला- राजस्थान के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने मंगलवार को सरकार के सामने मांग रखते हुए दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का मुद्दा उठाया है। बेनीवाल ने अपने संसदीय क्षेत्र के इसी बीमारी से पीड़ित बच्चें का जिक्र करते हुए कहा कि उसके इलाज के लिए इंजेक्शन की जरूरत है जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि इंजेक्शन उपलब्ध कराने वाली कंपनीयो की मोनोपॉली के चलते इसकी कीमत बहुत अधिक है। इस वजह से चाहते हुए भी ऐसे जरूरतमंदो की सहायता नहीं कर पा रहे है। उन्होंने कहा है कि ऐसे बच्चों का मुफ्त में इलाज कराया जाये।
उन्होंने इस बीमारी के बारे में बताया कि स्पाइन मस्कुलर एट्रोफी टाइप 1 से, बच्चे के शरीर में पानी की कमी होने लग जाती है, बच्चा स्तनपान नही कर पाता, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में धीरे-धीरे इंसान के शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं तथा एक समय ऐसा आता है जब बच्चा मौत के आगोश में आ जाता है।
साथ ही सांसद ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में सरकार के प्रस्तुत आंकडों और लोकसभा में इसी मामले में प्रस्तुत जवाब में व्याप्त विसंगति को लेकर भी स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान आकर्षित किया साथ ही ऐसी बीमारियों के इलाज के लिए भारत में अनुसंधान को बढ़ावा देने की मांग रखी, ताकि ऐसी बीमारियों की दवाओं का निर्माण भारत में भी हो।
बेनिवाल ने कहा कि वह स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया से नागौर जिले की परबतसर तहसील के छोटे से गांव नड़वा के रहने वाले शैतान सिंह राजपूत के 15 माह के पुत्र तनिष्क सिंह की दुर्लब बिमारी के इलाज के लिए मदद की गुहार भी लगा चुके है। मगर उन्हें केवल आश्वासन मिला है इलाज नहीं।
आज लोक सभा में लाईलाज बीमारी मस्कुलर एट्रोफी व डिस्ट्राफी से झुंझ रहे बीमार बच्चो व वयस्को की समस्या व उनके इलाज की मांग को लेकर मामला उठाया व PM @narendramodi जी तथा स्वास्थ्य मंत्री @mansukhmandviya जी ऐसे पीड़ित लोगों का मुफ्त इलाज करवाने की मांग की !@RLPINDIAorg pic.twitter.com/heqwH6SsYM
— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) December 14, 2021
इस बीमारी से ग्रसित तनिष्क, 15 महीने का है, लेकिन अब तक सहारा देने के बाद भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। यहां तक कि सीने की मांसपेशियों में इतनी ताकत भी नहीं बची है कि वह अच्छे से पूरी सांस ले सके। ईश्वर ने उसे मस्तिष्क दिया है, बोली भी दी है, लेकिन एक जीन नहीं दिया। यह जीन शरीर में खास किस्म का प्रोटीन बनाता है, जिससे शरीर की सारी मांसपेशियां काम करती हैं। इस जीन के बिना तनिष्क का जीवन अधूरा है। केवल एक इंजेक्शन, तनिष्क की सारी समस्या का समाधान है, लेकिन इस एक इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपये है, जो तनिष्क के माता-पिता के लिए जुटा पाना आसान नहीं है।
@narendramodi जी, @ashokgehlot51 जी मेरे बेटे तनिष्क को SMA type1 जैसी दुर्लभ बीमारी है, जिसके इलाज के लिए 16 करोड़ का इंजेक्शन चाहिए, मुझे आशा है कि आप मेरे बेटे को बचा लोगे।@PMOIndia @RajCMO https://t.co/t83zpbfum1 pic.twitter.com/gDdOUhTBhW
— Shaitan Singh (@Shaitan96269406) June 19, 2021
परबतसर जैसे छोटे से कस्बें में वकील के तौर पर काम करने वाले शैतान सिंह ने बताया कि जब उनका बच्चा चार-पांच महीने का था, तभी से यह समस्या शुरू हई थी। पहले बीमारी का हमें पता नहीं चला, लेकिन बाद में जे.के. लोन हॉस्पिटल जयपुर के पीडियाट्रिक डॉ. प्रियांशु माथुर ने देखा तो बता दिया कि तनिष्क सिंह एसएमए की बीमारी से पीड़ित है।
शैतान सिंह ने कहा कि अभी तक तनिष्क को व्यायाम के सहारे से हम नियंत्रण करके रखे हुए हैं, ताकि उसके शरीर की सभी मांसपेशियां सक्रिय रहे, पूरे दिन में तीन से चार घंटे फेमिली वाले बारी-बारी से उसके शरीर की मांसपेशियों की एक्सरसाइज कराते हैं। शैतान सिंह ने कहा कि इसका इलाज दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन जोल्गेन्स्मा ( Zolegensma ) है।
शैतान सिंह ने कहा कि हैदराबाद के तीन साल के अयांश गुप्ता जो दुर्लभ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से जूझ रहा था नौ जून को अयांश को जिंदगी का उपहार मिला है। उसके लिए क्राउड फंडिंग से पैसा जुटाया गया था उसके बाद से ही तनिष्क के माता-पिता के हिम्मत के साथ उम्मीद जगी है। यह देश दयालु और कृपालुओं का है और उन्हें उम्मीद है कि सभी लोग उनके बेटे की जान बचाने के लिए जरूर मदद करेंगे। तनिष्क के माता-पिता ने सोशल मिडिया के जरिये देश की जनता के साथ-साथ पीएम मोदी, सीएम अशोक गहलोत, समाज सेवी सोनु सूद, जैसे लोगों से मदद की गुहार लगाते लगाते थक चुके है, मगर अभी तक कही से कोई मदद नही मिली है।
@SonuSood जी,आप सभी जरुरमंदो की मदद कर रहे हो, मेरे बेटे तनिष्क जिसको SMA-1 दुर्लभ बिमारी है , जिसका इलाज 16 करोड़ का इंजेक्शन है प्लीज मेरी मदद करें।https://t.co/t83zpbfum1#TanishkFightsSMA #savetanishk @Sma #Zolgensma #tanishkSingh #RareDisease #spinalmuscularatrophy pic.twitter.com/uSMApkkzVm
— Shaitan Singh (@Shaitan96269406) June 20, 2021
तनिष्क के परिवार वालों ने क्राउड फंडिंग के लिए एक लिंक तैयार किया है, जिसमें बीमारी से जुड़ी जानकारियां हैं। यदि कोई मदद करना चाहे तो इस लिंक पर जाकर मदद भी कर सकता है। लिंक पर उसकी बीमारी के डॉक्युमेंट्स और डोनेशन के तरीके भी मिल जाएंगे।
अन्य खबरे
सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
अन्य खबरे
बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
अन्य खबरे
हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।