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प्रदेश उपचुनाव 2021: जानिए इस ऑनलाइन सर्वेक्षण के मुताबिक ज्वलंत मुद्दों का परिणामों पर क्या होगा असर

शिमला- चुनावी प्रचार के शोर के बीच एक अनलाइन सर्वेक्षण सामने आया है, जिसमें कुछ ज्वलंत मुद्दों पर जनता की राय ली गई है और ये जानने कि कोशिश कि गई है कि इन मुद्दों का परिणामों पर कैसा असर पड़ेगा। अक्तूबर माह में आगामी 30 तारीख को हिमाचल प्रदेश में मण्डी लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों-जुब्बल कोटखाई, अर्की एवं फतेहपुर – के लिए होने वाले उप-चुनावों पर जनता की राय जानने के लिए आनलाईन सर्वेक्षण किया गया।
यह सर्वेक्षण डाॅ0 देवेंद्र शर्मा, सहायक आचार्य राजकीय महाविद्यालय संजौली, और डाॅ0 बलदेव सिंह नेगी, फैकल्टी, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला एंव के द्वारा किया गया।
यह सर्वेक्षण हिमाचल के 12 जिलों के 566 प्रतिवादियों पर किया गया। सर्वेक्षण का मुख्य उदेश्य आगामी चुनावों में लोगों के मतदान व्यावहार एवं सामान्य समझ को जानना था।
देश में समसामयिक ज्वलंत मुद्दों जैसे सेब एंव अन्य फसलों के बाजिब दाम न मिलना, राजनीतिक पार्टियों के अन्दर अंर्तकलह आदि का इन चुनावों पर क्या असर होगा, यह जानने की कोशिशकी गई। मुख्यतः अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर इस उप-चुनाव का क्या असर होगा, क्योंकि सामान्यतः जनता एंव राजनितिक गलियारों में इन चुनावों को सेमीफाईनल के रूप में देखने पर व्यापक बहस है, इसकी सत्यता को भी जानने का प्रयास किया गया है।
सर्वेक्षण में पूरे प्रदेश से कुल 566 उतरदाताओं ने भाग लिया जिसमें शिमला जिला से 51.4 प्रतिशत , मण्डी से 9.7 प्रतिशत, सोलन 9.5 प्रतिशत, चम्बा से 9.2 प्रतिशत, कुल्लू से 8.8 प्रतिशत, किन्नौर और लाहौल स्पिति से क्रमश: 0.7-0.7 प्रतिशत, हमीरपुर से 0.2 प्रतिशत, बिलासपुर व उना से क्रमश 1.1-1.1 प्रतिशत उतरदाता शामिल थे ।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले उतरदाता विभिन्न श्रेणी की पृष्टभूमि से थे जिसमें 72.1 प्रतिशत सामान्य श्रेणी, 15.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 7.8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति ओर 4.6 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग से थे।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले उतरदातोओं में शैक्षणिक पृष्टभूमि के मुताबिक 78.1 प्रतिशत स्नातक या उससे भी ज्यादा शिक्षित थे। जबकि 20.1 प्रतिशत बाहरवीं और 1.8 प्रतिशत उतरदाता दस पढ़े लिखे थे।
व्यवसायिक वर्गीकरण के हिसाब से उतरदाओं में 54.8 प्रतिशत छात्र, 29.3 प्रतिशत कर्मचारी, 8.5प्रतिशत किसान व वागवान और 7.4 प्रतिशत बेरोजगार युवा थे।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले उत्तरदाताओं से पूछे जाने वाले सवाल और प्रतिशत में उनके जवाब
प्रश्न.1 क्या एलपीजी, पेट्रोल, डीजल और अन्य बुनियादी वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतें मतदान व्यवहार को प्रभावित करेंगी?
जवाब: 61.5 प्रतिशत का दावा था कि बहुत अधिक असर होगा, 26.1 प्रतिशत मानते है कि प्रभाव होगा जबकि 7.8 प्रतिशत का मानना है कि कोई असर नहीं होगा।
प्रश्न2. क्या देश में चल रहे किसान आंदोलन/ विरोध से मतदान का व्यवहार प्रभावित होगा? जाहिर है, किसान गंभीर संकट में हैं और उन्हें सेब की फसलों और अन्य सब्जियों के उचित मूल्य नहीं मिल रहे हैं। तो उसका चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब: 43 प्रतिशत लोगों का मानना है कि किसान जिस तरह फसल के दामो को लेकर चिंतित हैं निश्चित रूप से किसानो में बढ़ रही एकता एवं किसान आंदोलन के लिए बढ़ रहा आकर्षण चुनावों में मतदान व्यवहार पर अवश्य दिखेगा जबकि 57 प्रतिशत उतरदाताओं ने माना की इसका चुनावों में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 3. सरकारी कर्मचारियों के पुरानी पेंशन प्रणाली के लिए मांग जिसमें करीब प्रदेश के 1.30 कर्मचारी हैं और नए वित आयोग की सिफारिशों को लागू करने हेतू मांग जो 2016 से लम्बित है जैसे मुद्दों पर क्या मतदाता के व्यवहार पर असर होगा ?
जवाब: इस पर 65.7 प्रतिशत उतरदाताओं की यह राय थी कि निश्चित तौर पर इसका प्रभाव पडे़गा। जबकि 24.3 प्रतिशत की राय के अनुसार इन मुद्दों का चुनावों में कम असर होगा।
प्रश्न 4. क्या यह उप-चुनाव अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल की तरह हैं?
जवाब: इस के उत्तर में 70.3 प्रतिशत लोगों की राय थी कि 2022 में होने वाले हिमाचल विधानसभा के चुनावों को देखें तो यह निश्चित तौर पर सेमीफाईनल है। जबकि 29.7 प्रतिशत लोगों की राय में यह उप-चुनाव कोई सेमीफाईनल नहीं है।
प्रश्न 5. क्या यह चुनाव मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रतिभा सिंह जैसे कुछ प्रतिष्ठित राजनेताओं के लिए युद्ध का मैदान है ? क्या यह चुनाव उनके राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे?
जवाब: 76.7 प्रतिशत लोगों की राय थी कि निश्चित रूप से इस उप-चुनावों में इन की साख दाव पर है, जिससे इन राजनीतियज्ञों के भविष्य पर महत्वपूर्ण असर होगा। हालांकि 23.3 प्रतिशत लोगों ने इस प्रश्न को सिरे से नकार दिया।
प्रश्न 6. इन राजनीतिक दलों के आंतरिक अंर्तकलह और अंतर्विरोध किस हद तक चुनावों के परिणामों को प्रभावित करेंगे?
जवाब: 84.5 प्रतिशत लोगों की राय थी कि निश्चित रूप से इन प्रमुख दलों को बहुत ज्यादा खामियाज उठाना पड़ेगा। इसके विपरीत 15.5 प्रतिशत का मानना था कि इसका कोई खास फर्क नही होगा।
प्रश्न 7. क्या कांग्रेस और भाजपा जैसी प्रमुख राजनितिक पार्टियों से बागी हुए नेता पार्टी के उम्मीदवारों के समकक्ष चुनावों में उतरने से उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाएगे?
जवाब: 31.1 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इसका चुनावों में काफी अधिक असर होगा, 26.1 प्रतिशत का मानना था कि प्रभाव पडे़गा लेकिन ज्यादा नहीं। 42.7 प्रतिशत का मानना था कि प्रभाव कम होगा।
सर्वेक्षण समन्वयकों के बारे में

डॉ. देवेंद्र शर्मा: राजनीति विज्ञान में सहायक प्रोफेसर, वर्तमान में यह गवरन्मेंट कॉलेज संजौली में कार्यरत हैं। और इससे पहले यह गवरन्मेंट कॉलेज कुमारसैन में सेवाएँ दे चुके हैं और शिमला की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी (आईआईएस) में यूएनडीपी ( UNDP) की एक परियोजना में काम कर चुके हैं।

डॉ. बलदेव सिंह नेगी:हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में परियोजना अधिकारी सह संकाय, ग्रामीण विकास के रूप में कार्यरत हैं।प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के रूप में उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में प्रशिक्षित किया गया है, जैसे लोकनीति, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति विज्ञान संघ (आईपीएसए) आदि के साथ, (मोबाइल नंबर 9418485352)
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सनवारा टोल प्लाजा पर अब और कटेगी जेब, अप्रैल से 10 से 45 रुपए तक अधिक चुकाना होगा टोल

शिमला- कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर वाहन चालकों से अब पहली अप्रैल से नई दरों से टोल वसूला जाएगा। केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई दरों पर टोल काटने के आदेश जारी हो गए हैं। जारी आदेश के अनुसार कालका-शिमला एनएच-5 पर सनवारा टोल प्लाजा पर 10 से 45 रुपए तक की वृद्धि हुई है।
टोल प्लाजा संचालक कंपनी के मैनेजर ने बताया कि 1 अप्रैल से कार-जीप का एक तरफ शुल्क 65 और डबल फेयर में 95 रुपये देने होंगे।
लाइट कामर्शियल व्हीकल, लाइट गुड्स व्हीकल और मिनी बस को एक तरफ के 105, बस-ट्रक (टू एक्सेल) को एकतरफ के 215, थ्री एक्सेल कामर्शियल व्हीकल को एक तरफ के 235, हैवी कंस्ट्रक्शन मशीनरी को एकतरफ के 340 और ओवरसीज्ड व्हीकल को एकतरफ के 410 रुपये का शुल्क नई दरों के हिसाब से देना होगा।
सनवारा टोल गेट से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वाहन चालकों को पास की सुविधा भी नियमों के अनुसार दी जाती है। इस पास के लिए अब 280 की जगह 315 रुपये प्रति महीना चुकाना पड़ेगा।
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बच्चों से खतरनाक किस्म की मजदूरी कराना गंभीर अपराध:विवेक खनाल

शिमला- बच्चों से खतरनाक किस्म की मज़दूरी कराना गंभीर अपराध है। 14 साल के अधिक आयु के बच्चों से ढाबे में 6 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। उन्हें तीन घंटे के बाद एक घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है। यह बात वह उमंग फाउंडेशन द्वारा “मज़दूरों के कानूनी अधिकार, समस्याएं और समाधान” विषय पर वेबिनार में वरिष्ठ सिविल जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव विवेक खनाल ने कही।
उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के शोषण का खतरा ज्यादा होता है। देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा असंगठित मजदूरों के योगदान से ही अर्जित होता है।
विवेक खनाल ने संगठित एवं असंगठित श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक किस्म के कामों में नहीं लगाया जा सकता। इनमें औद्योगिक राख, अंगारे, बंदरगाह, बूचड़खाना, बीड़ी, पटाखा, रेलवे निर्माण, कालीन, पेंटिंग एवं डाईंग आदि से जुड़े कार्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे रेस्टोरेंट या ढाबे में काम के तय 6 घंटे तक ही काम कर सकते हैं। शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच उन से काम नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने बताया कि भवन निर्माण एवं अन्य कामगार बोर्ड में पंजीकृत होने के बाद श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा मिल जाती है।
विवेक के अनुसार असंगठित मजदूरों के लिए कानून भी काफी कम हैं। जबकि उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली महिला मजदूरों के बच्चों को संभालने के लिए उन्हीं में से एक वेतन देकर आया का काम भी दिया जाता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि कि प्राधिकरण की ओर से समाज के जिन वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है उसमें एक श्रेणी मजदूरों की भी है।
इसके अतिरिक्त महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, और तीन लाख से कम वार्षिक आय वाले बुजुर्ग इस योजना में शामिल हैं। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बद्दी में मजदूरों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है।
इसके अलावा विभिन्न जिलों में वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक अलग पोर्टल पर सरकार ई-श्रम कार्ड भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।
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हिमाचल कैबिनेट के फैसले:प्रदेश में सस्ती मिलेगी देसी ब्रांड की शराब,पढ़ें सभी फैसले

शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक में आज वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस नीति में वर्ष के दौरान 2,131 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की परिकल्पना की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 से 264 करोड़ रुपये अधिक होगा। यह राज्य आबकारी राजस्व में 14 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है।
बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 राज्य में प्रति इकाई चार प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त बढ़ोतरी प्राप्त करना और पड़ोसी राज्यों में दाम कम करके होने वाली देसी शराब की तस्करी पर रोक लगाना है।
लाइसेंस फीस कम होने के कारण देसी शराब ब्रांड सस्ती होगी। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता की शराब उपलब्ध होगी और उन्हें अवैध शराब खरीदने के प्रलोभन से भी बचाया जा सकेगा और शुल्क चोरी पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देसी शराब के निर्माताओं और बॉटलर्ज के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय से खुदरा लाइसेंसधारी अपना कोटा अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से उठा सकेंगे और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता की देसी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। देसी शराब का अधिकतम खरीद मूल्य मौजूदा मूल्य से 16 प्रतिशत सस्ता हो जाएगा।
इस वर्ष की नीति में गौवंश के कल्याण के लिए अधिक निधि प्रदान करने के दृष्टिगत गौधन विकास निधि में एक रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये किया गया है।
राज्य में कोविड-19 के मामलों में कमी को देखते हुए कोविड उपकर में मौजूदा से 50 प्रतिशत की कमी की गई है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरों की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने और होटल उद्यमियों को राहत प्रदान करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में बार के वार्षिक निर्धारित लाइसेंस शुल्क की दरों में काफी कमी की गई है।
शराब के निर्माण, संचालन, थोक विक्रेताओं को इसके प्रेषण और बाद में खुदरा विक्रेताओं को बिक्री की निगरानी के लिए इन सभी हितधारकों को अपने प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है।
विभाग की ओर से हाल ही में शराब बॉटलिंग प्लांटों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं में पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम, 2011 को और सख्त किया गया है।
राज्य में एक प्रभावी एंड-टू-एंड ऑनलाईन आबकारी प्रशासन प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें शराब की बोतलों की ट्रैक एंड टेक्स की सुविधा के अलावा निगरानी के लिए अन्य मॉडयूल शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022-23 के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य पथकर नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है जिसमें राज्य में सभी पथकर बेरियर की नीलामी व निविदा शामिल हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान टोल राजस्व में गत वर्ष के राजस्व के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान की जिसमें मधुमक्खी, हॉरनेट और वैस्प के काटने से होने वाली मृत्यु, दुर्घटनाग्रस्त डूबने, और वाहन दुर्घटना मंे होने वाली मृत्यु के मामलोें को राहत नियमावली के अंतर्गत शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजस्व विभाग में नियमित आधार पर सीधी भर्ती के माध्यम से तहसीलदार श्रेणी-1 के 11 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।