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पीने के लिए साफ पानी को तरस रहे करसोग पंचायत के लोग,आरोप प्रत्यारोप पर हावी हो रही गांव की सियासत

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Gram panchayat bagaila karsog himachal

तरुण शर्मा|शिमला: जिला मंडी की करोसग तहसील की बगैला पंचायत जिसके अंतर्गत आने वाले पंडैहर के स्थानीय निवासी पिछले कई वर्षो से साफ पानी पीने से महरूम है। बगैला पंचायत के निवासियों ने हिमाचल वॉचर से संपर्क किया और बताया कि उनकी पंचायत में पिछले कई वर्षो से पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है।

लोगों ने बताया कि पंचायत में लगाए गए पानी के टैंक की भी कई सालों से सफाई नहीं हुई है,और ना ही कोई अधिकारी इसे साफ करने आता है।

ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें गंदा पानी पिलाया जा रहा है और उन्हें जो पानी पीने को मिला है उससे बदबू आती है। लोगों ने बताया कि जिस स्रोत से पानी आता है उसमे ना तो कोई फ़िल्टर लगा है और ना ही टैंक की सफाई होती है।

लोगों ने यह भीआरोप लगाया है कि बगैला पंचायत की प्रधान भुवनेश्वरी, उप -प्रधान नानक चंद, और उनके साथी ना ही लोगो से ठीक से बात करते हैं और ना ही उनका व्यवहार लोगों के साथ अच्छा है।

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई वर्षो से हम गंदा पानी पी रहे हैं जिससे बीमारियां भी फैल रही है। 2016 में इसी गांव के सिचांई विभाग के एक कर्मचारी की पीलिये से मौत हो गयी थी और काफी लोग पीलिये की चपेट में आ गए थे।

बगैला पंचायत की प्रधान भुवनेश्वरी ने हिमाचल वॉचर से फोन पर बात कर बताया कि पानी की समस्या काफी समय से पंचायत में है। प्रधान ने कहा कि उन्होंने आईपीएच विभाग से इस समस्या के बारे में बात की है। विभाग के अधिकारी भी आये थे(मैं उनसे खुद नहीं मिली,प्रधान)। लेकिन हमे ढंग से पानी नहीं मिलता।

प्रधान का कहना है कि वे खुद अपने घर में पानी के लिए टुल्लू पंप का इस्तेमाल करती है, ताकि पानी भरा जा सके। बिजली जाने पर पंप काम नहीं करते। उन्होंने कहा यह समस्या पूरी पंचायत की है। उन्होंने कहा कि वित् आयोग और मनरेगा के अंतर्गत पानी की समस्या को जल्द ही दुरुस्त किया जायेगा। इस पर काम होना बाकि है जो कि अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जायेगा।

पंचायत प्रधान का पति लोगों के साथ करता है गाली गलोच

ग्रमीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि पंचायत प्रधान का पति रूपलाल जो शोरशन स्कूल में पेशे से शिक्षक है वो भी लोगों को धमकाता है और यह कहता है कि तुम लोग मेरी बीवी के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते। लोगो ने कहा कि पंचायत प्रधान ने पंचायत के सभी सदस्यों,उप प्रधान और सेक्रेटरी को धमका कर रखा हुआ है।

इसके जवाब में पंचायत प्रधान ने कहा कि यहां के कुछ लोगों को हमसे परेशानी है।उप-प्रधान मेरे और मेरे पति के खिलाफ लोगों को भड़काते हैं। मेरे पति पेशे से एक शिक्षक हैं और मेरे पति को स्कूल में काम रहता है। वे एक शिक्षक होकर पंचायत की मीटिंग में क्यों दखल देंगे।

मैं हूँ इस पंचायत का डीसी,तुम मेरा कुछ नही कर सकते

गांव वालों ने प्रधान के पति पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा कि वो ग्रामीणों से बतमीजी से बात करता है और गली गलोच करता है। लोगों ने बताया कि 17 जून को मण्डी के जिलाधीश संदीप कदम बगैला पंचायत का दौरा करने आए थे। उन्होंने कुफरीधार नामक स्थान पर जनसभा को सम्बोधित किया जहाँ पर वीडीओ करसोग, एसडीएम, तहसीलदार,ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि और अन्य सम्बधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी मौजूद थे।

जिलाधीश संदीप कदम ने जनता की समस्याओं को सुना और समाधान का आश्वासन भी दिया गया। वहीं मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत दस लाख की राशि प्रदान की गई है। इस मे गली निर्माण, सडक, स्ट्रीट लाइट, व पानी भण्डारन टैंक का निर्माण होना दर्शाया गया था। लोगों ने कहा कि यह काम पिछले 9 महीने पहले शुरू किया गया था,लेकिन काम कछुआ चाल से चला हुआ है। व आज कल यह कार्य बन्द पडा हुआ है।

जिस काम को शरू करने के लिए जिलाधिश महोदय से गुजारिश की तो उस समय प्रधान भुवनेश्वरी देवी के घर वाले रूपलाल ने उन लोगों के साथ गाली-गलोच व अभद्र शब्दों का प्रयोग करके धमकीयां देने लगा व कहने लगा कि इस पंचायत का डीसी मै खुद हूं, तुम मेरा कुछ नही उखाड सकते है। जब मै चाहूं तब काम करवाऊंगा। जबकि यह स्वयं एक सरकारी कर्मचारी है व शिक्षा विभाग मे एक शिक्षक के पद पर कार्यरत है। यह पंचायत ग्राम सभा की मिटिंग मे भी लोगों के साथ मे उलझ जाता है।

इस पर पंचायत प्रधान भुवनेश्वरी ने हिमाचल वॉचर को अपने पति के व्यवहार के प्रति सफाई देते हुए कहा कि जिस कार्यक्रम में डीसी साहब आये थे वो कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा था। जिन लोगों ने मेरे पति के खिलफ झगडे और गली गलोच का आरोप लगाया है उस पर प्रधान ने कहा कि वो लोग शराब पी कर कार्यक्रम में आये थे।

उन लोगों का वार मेरे प्रति नहीं था बल्कि मेरे पति के प्रति था। प्रधान भुवनेश्वरी ने स्पष्ट कहा कि मेरे पति पिछले 14 सालों से पढा रहे हैं वे एक शिक्षक हैं वे इस तरह की ओछी हरकत नहीं कर सकते। ग्राम सभा में आने से किसी को भी मना नहीं कर सकते।

एक ग्रामीण का कहना है कि पंचायत के उप-प्रधान नानक चंद को लोगों ने चुनाव में इसलिए मौका दिया था कि शायद इस बार वो पंचायत के लिए काम करेंगे। लेकिन जैसा रवैया उप-प्रधान का चुनाव से पहले का था वो चुनाव के बाद भी नहीं बदला। ग्रामीण का कहना है कि यह सब लोग आपस में ही बहस करते हैं और लोगों की समस्यायों की ओर यह कोई चर्चा नहीं करते।

पंचायत सदस्य ने भी पंचायत प्रधान व उनके पति पर लगाए आरोप

पंचायत सदस्य ने भी पंचायत प्रधान व उनके पति पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधान उन्हें अपने वार्ड में विकास कार्य करने से वंचित कर रही है, प्रधान केवल मनरेगा के काम को छोड़ कर बाकी के कार्य उनके वार्ड मे खुद कर रही है और वार्ड सदस्य को कुछ नहीं करने देती।

सदस्य ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधान ने उनके चरित्र पर भी सवाल उठाये थे और न ही प्रधान का व्यवहार मेरे साथ अच्छा है।

हिमाचल वॉचर से फोन पर बात के दौरान वार्ड सदस्या ने यह भी कहा कि कुछ समय पहले हुई वार्ड की आम सभा में प्रधान के पति ने उनसे किसी बात को लेकर बहस की थी और कहा था कि जब तक मैं हूँ अपनी मनमानी करूँगा। इसकी शिकायत सदसय ने डीसी को भी की थी। वार्ड की मेंबर ने बताया कि डीसी की और से चिट्ठी में पूरी पंचायत के लिए यह संदेश आया है कि पंचायत में जितनी भी महिला प्रधान है उनके पति पंचायत की सभा में दखलअंदाजी न करें।

ग्रामीणों का कहना है कि साल में होने वाली आम सभा अधिकतर रविवार या छुट्टी के दिन की जाती है जिसमे पंचायत प्रधान, उप प्रधान,पंचायत सदस्य, सेक्रेटरी और गांव के स्थानीय निवासी शामिल होते है। लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस सभा में सबको बुलाया जाता है लेकिन सभा की मीटिंग में फिज़ूल की बातें की जाती हैं। प्रधान, उप प्रधान और सभी सदस्य आपस में लड़ते रहेत है बहस करते हैं। सभा के दौरान ना तो किसी की समस्या सुनी जाती है न ही उसका समाधान निकाला जाता है।

अधुरा पडा है पानी टैंक का निर्माण

ग्रामीणों ने यह बताया कि पानी के इस टैंक का निर्माण लगभग 2 साल से अधुरा पडा हुआ है। यह टैंक लाल सिह गांव घलोग ग्राम पंचायत बगैला के नाम से इशु हुआ है। जो कि पिछले 2 साल से अधुरा पडा हुआ है। जिस के लिए प्रधान ने सिमेंट के 32 बैग दिए थे। जब कि 68 बैग सिमेट इशु हुए है। जो कि कागजों मे भी है। जब कि वास्तव मे टैंक के लिए 30 बैग ही मिल पाए है।

Karsog Panchayat

बाकी सिमेंट कहाँ गया यह मालुम नही है। जिस से 2 बैग बापिस उठा लिए। जबकि टैंक का आकार बहुत बडा है। इतना सिमेंट इस के लिए पर्याप्त नही है। जब भी बाकी मटीरियल के देने के लिए कहते हैं तो प्रधान आना कानी कर रही है। या टाल मटोल कर रही है। इसी तरह के कई अन्य टैंक भी है। जो कि अभी अधुरे पडे है। या फिर इसमे एक या दो बैच ही लगे हुए है। आजकल पानी की वैसे ही कमी चल रही है। ऐसे मे टैकं का निर्माण अति आवश्यक था।

इसके उतर में प्रधान ने कहा कि पिछले सीमेंट के बैग वार्ड मेंबर्स को दिए गए थे और इस बार व्यक्तिगत तौर पर भी सीमेंट लोगों को दिया गया है।इन सब की रसीदें मेरे पास है। कुल मिलकर 266 सीमेंट के बैग हमे दिए गए है जिसमे से कुछ लेना बाकि है। उन्होंने बतया कि 12 अधिक टैंक है जिसे टैंक निर्माण के उपयोग में लाया जायेगा। प्रधान ने कहा कि पंचायत में कुछ लोग हैं जो काम चाहते है लेकिन कुछ शरारती तत्व हैं जो काम नहीं होने देते।

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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