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चित्र/वीडियो- कोटखाई रेप-मर्डर केस: गुम्मा और शिमला सहित कई स्थानों पर गुड़िया को इंसाफ दिलाने सड़कों पर उतरा जन सैलाब

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शिमला- कोटखाई में गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में गुड़िया को इंसाफ दिलाने के लिए हिमाचल में जनता का सैलाब सड़कों पर उतर आया है। गुम्मा, ठियोग और कोटखाई इलाके में आंदोलन तेज होता जा रहा है।

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पिछले कई दिन से जारी आंदोलन मंगलवार को भी जारी रहा। गम्मा में मंगलवार को विशाल रैलियां निकाली गई जिसमे स्थानीय लोगों के साथ साथ आस पास की पंचायतों से भी आम जन इस आंदोलन में शामिल हुए।

वीडियो

Kotkhai Rape-Murder Case: Ongoing Protest in Gumma, Shimla

From protest in Gumma, #Shimla over #Kotkhai rape-murder case

Himachal Watcher ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಸೋಮವಾರ, ಜುಲೈ 17, 2017

गुस्साए लोगों ने प्रदेश पुलिस और प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस आंदोलन में कई पार्टियों के नेता भी शामिल हुए।

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प्रदर्शन में नाबालिग गुड़िया के पिता और अन्य परिजनों ने भी हिस्सा लिया।

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गुम्मा में विरोध प्रर्दशन के दौरान गुडिया के परिवार से पिता,माता, बहनें व अन्य परिजन भी उपस्थित रहे। इस दौरान वहां माहौल काफी गमगीन हो गया था और वहां मौजूद लोग सभी लोगों की आंखों से आंसू छलक रहे थे। परिजनों और लोगों की यह मांग रही कि जब तक गुडिया के हत्यारों को फांसी नहीं मिलती उस समय तक न तो बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी न ही उनको चैन रहेगी। उन्होंने कहा दोषियों को फांसी की सजा मिलने पर ही इंसाफ नजर आएगा।

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प्रदर्शन के दौरान वहां पर यातायात पूरी तरह से ठप रहा। ठियोग-हाटकोटी मुख्य मार्ग पूरी तरह से बंद रहा और लोग सड़कों पर डटे रहे। वहां मौजूद हजारों लोगों ने एक स्वर से इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की और कहा कि पुलिस जांच पर जो सवाल उठ रहे हैं, उसे लेकर सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

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लोगों ने इस मामले में असली गुनाहगारों को पकड़ने की मांग की और कहा कि जो भी असली आरोपी है, उन्हें जल्द से जल्द सलाखों के पीछे पहुंचाया जाए। लोगों ने यह भी कहा कि उनका विश्वास पुलिस और पुलिस की एसआईटी की जांच रिपोर्ट से पुरे तरह से उठ गया है।

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जाम करीब 5 घंटे तक लगा रहा। वहां मौजूदा भीड़ ने एक गाड़ी का शीशा तक तोड़ दिया। गुम्मा में एसडीएम के आश्वासन देने पर भी लोग भड़के, प्रदर्शन में शामिल लोग धरना स्थल पर अड़े रहे। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने एसआईटी के अधिकारियों को सामने लाने की भी मांग की।

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भारी संख्या में महिलाओं स्कूल के छात्रों -छात्राओं ने इस प्रदर्शन में भाग लिया। सरकार व पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और गुड़िया को इंसाफ दिलवाने व असली आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ने की मांग की।

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ज्ञात हो कि कुछ समय पहले कोटखाई में छात्रा से रेप और हत्या का मामला में पूरा ठियोग बंद था और गुस्साए लोगों ने भरी संख्या में धरना
प्रदर्शन किया था और प्रदेश सरकार से इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी।

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लोगों द्वारा सीबीआई मांग इसलिए की गयी थी क्यूंकि पुलिस के बड़े अधकारियों द्वारा की गए प्रेससवार्ता में पुलिस द्वारा बताई गयी इस घटना की परिकल्पना लोगो को रास नहीं आ रही थी। लोगों ने यह आरोप लगाया था कि मामले में प्रभावशाली लोगों को पुलिस बचा रही है जबकि छोटे लोगों को फंसाकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की जा रही है।

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लोग शुरू से ही आरोप लगा रहे थे कि इस मामले में बड़े बड़ों को बचाया जा रहा है और छोटे लोगों को बलि का बकरा बनाया गया है। एसआईटी बनने के 55 घंटे बाद ही पुलिस इस सनसनीखेज मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। लेकिन पुलिस कई सवालों का जवाब नहीं दे रही थी, जिसकी वजह से लोगों का गुस्सा भड़कने लगा।

Gumma-Protest

इस केस की निष्पक्ष जाँच के लिए लोगों ने फिर से इस के लिए सीबीआई जांच की मांग उठाई है। लोगों के आक्रोश के सामने हिमाचल सरकार को झुकना पड़ा और यह केस पुलिस एसआईटी से लेकर सीबीआई को आदेश जारी कर इस मामले की जांच जल्द शुरू करने की मांग की थी।

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कोटखाई की दसवीं कक्षा की छात्रों से हुए बलात्कार और हत्या मामले की जांच को सीबीआई से करवाने की सिफारिश के बाद अब राज्य सरकार की ओर से मामले की सुनवाई जल्द करवाने बारे आवेदन दाखिल किया गया है जिसे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।

Protest-in-gumma

हिमाचल हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई बुधवार सुबह के लिए निर्धारित की है। प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई होगी।

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मंगलवार को इस आवेदन को दाखिल करने के दौरान पुलिस अधीक्षक शिमला भी हाईकोर्ट में मौजूद रहे। महाधिवक्ता ने न्यायालय से यह आग्रह किया कि सीबीआई को आदेश दिए जाएं ताकि सीबीआई जल्द ही जांच के लिए शिमला पुलिस से इस मामले का पूरा रिकॉर्ड ले।

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वहीं राजधानी में शिमला इसमें हजारों की तादाद में महिलाएं पुरूष व सैकड़ों बच्चों शामिल रहे। दोपहर बारह बजे रैली डीसी दफ्तर से स्कैंडल, मॉल रोड़ होते हुए लोग राजभवन पहुंचे।

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दूसरी ओर मल्याणा, चम्याणा, भट्टाकुफर के लोग ढली टनल से संजौली, नवबहार से छोटा शिमला पहुंचे। यहां पर लोगों ने सरकार व पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया की।

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सभी चित्र:तरुण शर्मा

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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