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हिमाचल प्रदेश बजट 2017-18: सरकार द्वारा पेश किये गए बजट के अहम फैसले
शिमला- हिमाचल प्रदेश बजट 2017 -18 के बजट में खास तौर पर तीन समुदायों पर विशेष धयान दिया है। पहला युवाओं,दूसरा कृषक,और तीसरा सरकारी कर्मचारी। यह तीनो समुदाय प्रदेश के वोट बैंक का एक अहम हिस्सा है। हिमाचल में इस साल की अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को धयान में रखते हुए और युवाओं की नाराजगी से बचने के लिए प्रदेश सरकार ने बेरोजगारी भत्ते की घोषणा भी कर डाली।
इस साल हिमाचल विधानसभा में पेश हुए बजट में प्रदेश सरकार ने किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं बढ़ाया है और यह बजट युवाओं, कृषकों, सरकारी कर्मचारियों के लिए काफी अहम रहा।
बजट के अहम फैसले
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी साल टैक्स फ्री बजट पेश किया। सरकार के करीब 40 हजार करोड़ से अधिक कर्ज में डूबा होने के बावजूद उन्होंने टैक्स का बोझ किसी खास वर्ग पर नहीं डाला। उल्टा तमाम वर्गों को राहत देने का ही प्रयास किया।
लोहे, स्टील और प्लास्टिक की चीजें सस्ती होंगी। उद्योगों को संजीवनी देने के लिए सरकार ने कई प्रावधान किए। कई चीजों के कच्चे माल और निर्मित माल पर लगने वाले अतिरिक्त वस्तु कर को कम किया जाएगा। उद्योगों पर प्रवेश शुल्क को एक से घटाकर आधा प्रतिशत किया गया।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लाखों बेरोजगारों के लिए बेरोजगारी भत्ता देने की अहम घोषणा की। सरकार 12वीं और इससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता वाले बेरोजगार युवाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता प्रदान करेगी। विकलांग बेरोजगार युवाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह का भत्ता दिया जाएगा।
बजट में बेरोजगार युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी दी। करीब 19 हजार से ज्यादा पद भरने की घोषणा हुई जिनमें पुलिस और पटवारी के पद भी शामिल हैं। शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न श्रेणी के शिक्षकों के 4600 पद के अलावा 3000 अंशकालीन जलवाहकों के पद भी भरे जाएंगे।
सरकार ने कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के तौर पर 2 प्रतिशत डीए देने का एलान किया था। अब बजट में उन्हें 3 प्रतिशत अतिरिक्त महंगाई भत्ता असंशोधित वेतन पर देने की घोषणा की है। यह वृद्धि अप्रैल 2017 के वेतन के साथ ही दी जाएगी। महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लाभ राज्य सरकार के पेंशनर्स को भी मिलेगा।
अनुबंध कर्मचारियों के वेतन में ग्रेड पे 50 प्रतिशत की बजाय 75 प्रतिशत बढ़ाई जाएगी। 31 मार्च को 5 साल पूरा करने वाले अनुबंध कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। वहीं, दैनिक वेतन भोगियों एवं अंशकालीन कर्मियों को नियमित करने की तिथि को भी मार्च और सितंबर 2017 किया जाएगा।
एसएमसी पर नियुक्त शिक्षकों के पारिश्रमिक में 30 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। 6000 रुपये का मासिक पारिश्रमिक प्राप्त करने वाले शिक्षकों को अब 7800 रुपये मिलेंगे। इनके पारिश्रम में 1800 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। 4500 रुपये का मासिक पारिश्रमिक प्राप्त करने वाले के लिए 1350 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। अब इन्हें 5850 रुपये मिलेंगे।
विस्तार से बजट पढ़ने के लिए के यह क्लिक करें
मानसिक रुप से अविकसित 9 हजार व्यक्तियों को भी सरकार ने पेंशन देने का फैसला लिया है। सभी मानसिक रूप से अविकसित व्यक्तियों को बिना किसी आय सीमा के पेंशन दी जाएगी। प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों के वर्तमान 3 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने की घोषणा की है।
मातृ शक्ति बीमा योजना के तहत 10 से 75 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं की अपंगता एवं मृत्यु होने पर 1 लाख की बीमा राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया है। यह राशि लड़की और महिलाओं के मृत्यु के संदर्भ में या उनके पत्तियों के मृत्यु व पूर्ण अपंग होने की स्थिति में दिया जाएगा। अंगहीन होने पर 1 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।
मनरेगा कार्यकर्ताओं, कृषि, बागवानी, मजदूरों, दुकानदारों और दुकानों में काम करने वालों, आंगनबाड़ी कर्मियों और असंगठित क्षेत्र में कार्यरत अन्य कामगारों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान की जाएगी। अब प्रदेश सरकार जुदाई के अंश का 50 प्रतिशत लेकिन 2000 रुपये तक अंशदान दिया जाएगा।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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