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युग हत्याकांड में चौकानें वाले खुलासे, नगर निगम और शिमला पुलिस की भी खुली पोल

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शिमला- शिमला के चर्चित युग अपहरण व हत्याकांड का सीआईडी ने करीब दो साल की जांच के बाद खुलासा करने का दावा किया है। दरिंदगी की जो कहानी सामने आई है वह दिल दहला देने वाली है। शुरूआती कहानी में शिमला पुलिस की स्मार्टनेस की पोल भी खुल गई है।

जून 2014 मे आरोपियों ने चार साल के मासूम का अपहरण किया और फिर उसके कारोबारी पिता भारी भरकम फिरौती की मांग की। शातिर और कोई नहीं बल्कि पिता के करीबी और जान पहचान वाले थे। अपहरण के बाद मासूम को एक घर में सात दिन तक बंद करके छिपाया गया।

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फोटो: अमर उजाला

इस दौरान फिरौती के लिए कई बार पत्र लिखे गए। लेकिन जब जब नहीं बनी तो मासूम की हत्या कर उसे शिमला में ही पानी के एक बड़े टैंक में फेंक दिया। अंदेशा यह भी जताया जा रहा है कि मासूम को जिंदा ही टैंक में फेंका गया। इसके बाद भी आरोपी मासूम के पिता से फिरौती की मांग करते रहे।

जानिए कैसे रची गई थी पूरी साजिश

अपहरणकर्ता के साथ ही जांच करती रही शिमला पुलिस

मासूम युग हत्याकांड मामले में शिमला पुलिस कई महीनों तक अपहरणकर्ता को साथ लेकर युग का पता खोजती रही। युग गुप्ता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार चंद्र शर्मा गुप्ता परिवार का पड़ोसी है। वह कानून की पढ़ाई कर रहा था। वह इस केस में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहा था इसलिए बहुत जल्द युग के परिजनों का विश्वासपात्र बन गया।

पड़ोसी होने के नाते गुप्ता परिवार की हर गतिविधि में भी चंद्र शामिल रहता। पुलिस और परिजन युग को अगवा करने वालों के खिलाफ क्या रणनीति बना रहे हैं, इसकी पूरी जानकारी मुख्य आरोपी को थी। चंद्र ने युग के रिश्तेदारों के घरों में पुलिस की दबिश दिलाकर जांच को भटकाने की भी बहुत कोशिश की।

गुप्ता परिवार के रिश्तेदारों के बीच दरार डालने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन जब चंद्र शर्मा ने युग के पिता विनोद कुमार की चल-अचल संपत्ति की जानकारी जुटाने में अधिक दिलचस्पी दिखाई तो परिजनों को उस पर शक हुआ।

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परिजनों के कहने पर ही विनोद गुप्ता ने चंद्र शर्मा पर संदेह हो गया। लेकिन चंद्र शर्मा की असलियत पता लगने में काफी वक्त लग गया। समय पर अगर चंद्र शर्मा का बेरहम चेहरा बेनकाब हो जाता तो शायद आज युग अपने परिवार के साथ होता।

उधर, युग की हत्या का दूसरा आरोपी तजिंद्र पाल सिंह कारोबारी है। इसकी भी रामबाजार में दुकान है। तीसरा आरोपी विक्त्रसंत बख्शी छोटा शिमला का रहने वाला है। विक्त्रसंत इन दिनों चंडीगढ़ में पढ़ाई कर रहा था। विक्त्रसंत को पुलिस ने रविवार रात चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया जबकि चंद्र और तजिंद्र को सोमवार दोपहर बाद रामबाजार से गिरफ्तार किया गया।

शुरू से पढ़िए, कैसे हुआ अपहरण

युग का अपहरण 14 जून 2014 शाम समय करीब साढ़े सात बजे अपने रिहायशी सेट द्वारका गढ़ बिल्डिंग की चौथी मंजिल के गेट पर अंतिम बार खड़ा हुआ देखा गया था। युग अक्सर इस भवन के टॉप फ्लोर में अपने हम उम्र दोस्त के पास भी खेलने जाता रहता था।

इसी मंजिल में चंद्र शर्मा रहता था। युग के दोस्त के घर के दरवाजे के साथ आरोपी चंद्र शर्मा के घर का दरवाजा है। युग की दो बहने टीशा व भूमि भी आरोपी चंद्र शर्मा के घर इसकी मां अंजना शर्मा से रोजाना टयूशन पढ़ने जाती थीं। घटना के दिन चंद्र शर्मा घटनास्थल के आसपास मौजूद था।

सीआईडी ने चन्द्र व अन्य आरोपियों की मोबाइल जांच में पाया कि रात के समय करीब नौ से साढ़े नौ बजे चन्द्र की लोकशन उसके दोस्त तेजेंद्र पाल सिंह और विक्त्रसंत बख्शी के साथ घटनास्थल से बाहर संजौली की तरफ नवबहार की ओर पाई गई।

किडनेपिंग के बाद आया वापस, बना हमदर्द

नवबहार में एकांत स्थान फोरेस्ट रोड पर राम चंद्रा चौक के नजदीक एचआई जी फ्लैट नंबर 22 को आरोपी चंद्र शर्मा ने गुप्त रूप से किराये पर लिया हुआ था। सीआईडी को घटना वाले दिन इन तीनों के फोन की लोकेशन नवबिहार के उस गुप्त घर में की मिली।

करीब रात 11 से 11.50 बजे चंद्र शर्मा व तेजिंद्र पाल सिंह वापस घटनास्थल पर आ गए थे। वह यह जानने आए थे बच्चे के गायब होने के बाद घर का क्या माहौल है। इसके बाद से ही वह गुप्ता परिवार के साथ हो गया।

उसने घर वालों को यह भरोसा दिला दिया कि वह युग को खोजने में अपनी जान लगा देगा। वह हर वक्त युग के पिता के साथ रहने लगा। युग के बारे में जानकारी देने में वह पुलिस का सहयोग करता। बहुत जल्द पुलिस भी मानने लगी कि यह गुप्ता परिवार का असली हमदर्द है।

कैसे हुआ आरोपी चन्द्र पर शक

चंद्र शर्मा हर समय युग के पिता विनोद गुप्ता उर्फ बब्लू के साथ साथ रह रहा था। विनोद गुप्ता के पारिवारिक सदस्यों, स्थानीय लोगों तथा पुलिस को अपना परिचय इंटरनेशनल ह्यूमन राइटस कमिशन मेंबर के रूप में देकर युग की तलाश की प्रत्येक गतिविधि में भाग ले रहा था।

विनोद गुप्ता के पारिवारिक सदस्यों से पारिवारिक व्यवसाय और बंटवारे आदि के बारे में भी पूछताछ करता रहा। इस अवधि के दौरान चंद्र शर्मा विनोद गुप्ता के पारिवारिक सदस्यों और स्थानीय लोगों को साथ यह भी बता रहा था कि यह जल्दी ही विदेश जा रहा है। वहां पर इसे बहुत उच्च वेतनमान मिलना तय है।

इसी दौरान चंद्र शर्मा ने विनोद गुप्ता के परिवार के व्यवसाय और बंटवारे से संबंधित जानकारियां और पूछताछ करनी शुरू की दी। इससे पर विनोद गुप्ता के चाचा किशोर गुप्ता ने उसे डांटा और कहा इससे उसे क्या मतलब है? इसके बाद चंद्र शर्मा ने विनोद गुप्ता से न सिर्फ मिलना जुलना बंद किया बल्कि बातचीत बंद कर दी।

चार बार मांगी थी फिरौती, जानिए क्या था वो तरीका

शिमला के रामबाजार से मासूम युग को 14 जून 2014 को अगवा किया गया। हत्यारों ने युग को छुड़वाने के लिए परिजनों से चार बार फिरौती मांगी। घर वाले फिरौती देने को तैयार थे। बड़ी अजीब स्थिति थी। पुलिस भी उनके सम्पर्क में थी और अपहरणकर्ता भी।

घर में क्या-क्या चल रहा है इसकी पल पल की खबर अपहरणकर्ताओं को तत्काल मिल रही थी। असल मुश्किल युग को संभालने और उसे छुपाने की थी। यह काम मुश्किल हो गया तो उसे इन दरिन्दों ने 22 जून को ही मार डाला। लेकिन वे फिरौती मांगने की फिराक में लगे रहे।

पहली फिरौती

अपहरण के 14 दिन बाद पहली बार फिरौती का पत्र युग के जन्मदिन 27 जून 2014 को भेजा गया। सादे कागज पर हाथ से लिखकर पत्र को युग के पिता विनोद की दुकान के शटर के नीचे से डाला गया। इस पत्र में 3.60 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई।

निशानी के तौर पर युग का लॉकेट भेजा गया। इस पत्र में घर में काम करने वाले नौकर हरी का नाम लिखकर उसके पास ही 3.60 करोड़ रुपये अंबाला भेजने को कहा। बच्चे की याद में बिलख रहे परिजनों ने पत्र मिलते ही नौकर को 27 जून की शाम अंबाला रवाना कर दिया लेकिन अंबाला में कोई नहीं मिला।

बात नहीं बनी तो फिर दूसरी और तीसरी फिरौती

हत्यारों ने दूसरी बार भेजे फिरौती के पत्र में चार करोड़ रुपये की मांग की। मांग स्वीकार होने की स्थिति में परिजनों से घर के बाहर सफेद रंग का कपड़ा लटकाने को कहा। इस पत्र में फिरौती कहां लानी है, इसकी जानकारी नहीं दी गई।

तीसरी फिरौती

तीसरी बार फिरौती का पत्र रक्षाबंधन से पहले भेजा गया। इस पत्र में फिरौती की राशि को चार करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ कर दिया। लेकिन पैसा कहां लेकर आना है, यह नहीं बताया। मांग मंजूर होने पर फिर घर के बाहर किसी अन्य रंग का कपड़ा लटकाने को कहा। लेकिन कोई फिरौती लेने नहीं आया।

चौथी फिरौती

चौथी बार फिर फिरौती का पत्र भेजा गया। इस बार धनराशि को दस करोड़ से घटाकर चार करोड़ कर दिया। दूसरी, तीसरी और चौथी बार भेजे गए फिरौती के पत्र चौड़ा मैदान पोस्ट ऑफिस की मुहर लगे थे। चार बार फिरौती का पत्र भेजने के बावजूद अपहरणकर्ताओं ने परिजनों से कोई संपर्क नहीं किया। चौथी बार फिरौती का पत्र आने के बाद मामला सीआईडी के पास चला गया।

किराये के घर में छिपाया था युग को, सीआईडी के हाथ लगे सबूत

दो साल पहले युग अपहरण कांड की जांच के दौरान आरोपियों की हर दलील वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीक आधारित जांच के आगे धरी रह गई। आरोपी अपने गुनाह से लाख इनकार करते रहे लेकिन उनकी हैंड राइटिंग, मोबाइल कॉल डिटेल, लैपटॉप व अन्य उपकरणों ने उनकी करतूत से पर्दा हटा दिया।

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फोटो: अमर उजाला

सूत्र बताते हैं कि जांच में जुटे क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) को कई ऐसे वैज्ञानिक आधार वाले सबूत हाथ लगे हैं जिनकी वजह से आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इन्हीं साक्ष्यों की वजह से अब आरोपियों का कोर्ट में भी बच पाना मुश्किल है।

दरअसल, आरोपी तेजेंद्र और चंद्र की गिरफ्तारी के बाद से ही सीआईडी इनके लाई डिटेक्टर टेस्ट की कोशिश कर रहा था। लेकिन दोनों ही बहाने बनाकर टेस्ट से बच रहे थे। इस बीच सीआईडी ने लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने का दबाव तो बनाए रखा लेकिन तय रणनीति के तहत आरोपियों के हैंड राइटिंग सैंपल लेकर जांच के लिए एफएसएल लैब भेज दिए।

मोबाइल रिकॉर्ड भी बने सबूत, यकीन में बदल गया शक

आरोपियों के मोबाइल के ढाई साल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड को भी छाना गया। इस बीच आरोपियों से मिले लैपटॉप के डाटा को भी रिकवरी के लिए भेजा गया। एक-एक कर सभी जगह से ऐसी रिपोर्ट आने लगीं, जिससे आरोपियों पर शक यकीन में बदलता चला गया।

रिमांड के दौरान पूछताछ के बीच आखिरकार आरोपी टूट गए और उन्होंने युग के अपहरण और हत्या की बात कबूल ली। आरोपियों के कबूलनामे से वैज्ञानिक आधार पर जुटाए सबूतों को अब सीआईडी मिलाने की कवायद कर रहा है।

पानी के टैंक से मिला कंकाल, निगम ऐसे करता है सफाई

टैंकों की सफाई के लिए नगर निगम की ओर से निर्धारित शेड्यूल के तहत हर छह महीने में टैंक साफ करना अनिवार्य है। शहर में नगर निगम के कुल 42 टैंक हैं, नगर निगम के कनिष्ठ अभियंता की मौजूदगी में टैंक की सफाई की जाती है।

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फोटो: अमर उजाला

सफाई के लिए सबसे पहले एग्जिट प्वाइंट से टैंक खाली करवा दिया जाता है। खाली होने के बाद टैंक में झाड़ूू लगाया जाता है। पानी से सफाई के बाद सिल्ट और कूड़ा कचरा आउट लेट से बाहर निकाल दिया जाता है। इसके बाद ब्लीचिंग पाउडर से टैंक की सफाई होती है।

टैंक से यहां होती है सप्लाई

पुलिस लाइन भराड़ी, भराड़ी बाजार, तारा बाड़ी, लोअर भराड़ी, मिडल कुफ्टाधार, मिनी कुफ्टाधार, कुफ्टाधार आदि क्षेत्र।

युग गुप्ता के हत्यारों को फांसी होनी चाहिए: वीरभद्र

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि युग गुप्ता के हत्यारों को फांसी होनी चाहिए। यह मामला मासूम बच्चे के अपहरण और हत्या दोनों का है। इसमें फांसी की सजा हो सकती है। मुख्यमंत्री ने यह बात भावुक होकर मंगलवार को युग गुप्ता के पिता विनोद गुप्ता को विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में कही।

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फोटो: अमर उजाला

ढांढस बंधाते हुए मुख्यमंत्री भारी मन से बोले – इस दुख की घड़ी में मैं आपके साथ हूं। मुख्यमंत्री ने इस दौरान डीजीपी सहित सीआईडी प्रमुख को मामले की गहनता से जांच के आदेश भी दिए।

हाईकोर्ट पहुंचा पानी के टैंक में युग का कंकाल मिलने का मामला

प्रदेश हाईकोर्ट ने युग गुप्ता का कंकाल नगर निगम के टैंक में पाए जाने की खबरों पर संज्ञान लेते हुए पीलिया मामले के सभी प्रतिवादियों से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने युग मामले की जांच कर रहे सीआईडी के जांच अधिकारी को भी विस्तृत हलफनामा दायर करने आदेश दिए।

शिमला शहरवासियों को सीवरेज युक्त पानी पिलाने के मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने यह आदेश दिए। हाईकोर्ट ने पीलिया मामले को युग अपहरण की जांच से जुड़े एक अन्य मामले के साथ लगाये जाने के आदेश भी दिए।

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फोटो: अमर उजाला

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि नगर निगम बार-बार हलफनामे दायर कर शिमलावासियों को साफ पानी पिलाने की बातें करता रहा। शपथ पत्रों के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि वह नगर निगम अपने टैंकों को साफ करता आ रहा है।

जबकि युग के कंकाल का निगम के टैंक में दो सालों से पाया जाना यह दर्शाता है कि निगम कोर्ट की आंखों में हर बार धूल झोंकता रहा। कोर्ट ने कहा कि इससे जाहिर होता है कि निगम ने अब तक जो भी शपथपत्र दायर किये वो सब झूठे थे। मामले पर अगली सुनवाई 27 सितंबर को निर्धारित की गई है।

मासूम युग को इंसाफ दिलाने सड़कों पर उतरे कारोबारी

राजधानी शिमला के मासूम युग को इंसाफ दिलाने मंगलवार को शहर के सैकड़ों कारोबारी सड़कों पर उतरे। शिमला कार्ट रोड से लेकर लोअर बाजार तक कारोबारियों ने रैली निकाल कर रोष प्रदर्शन किया।

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युग के पिता विनोद गुप्ता और परिजनों की अगुवाई में कारोबारियों ने राज्य विधानसभा में जाकर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और हाईकोर्ट में जाकर मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात की। कारोबारियों ने मासूम युग के हत्यारों को फांसी देने और उनके परिजनों का सामाजिक बहिष्कार करने की मांग की।

कारोबारियों ने उपायुक्त आफिस शिमला के बाहर भी प्रदर्शन किया। युग गुप्ता की हत्या होने की खबर शहर में फैलते ही सोमवार रात से लोग रामबाजार स्थित द्वारका गढ़ में जुटना शुरू हो गए। मासूम युग के परिजनों को लोग ढांढस बंधाते रहे।

फोटो: अमर उजाला

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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