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कुल्लू जिले में आग से 27 घर और 26 गौशालाएं जलकर राख, सड़क न होने से नहीं पहुँच पाया अग्निशमन वाहन
कुल्लू– कुल्लू जिले की सैंज घाटी की गाड़पारली पंचायत के मझाण गांव में शनिवार को आग लगने से 27 घर और 26 गौशालाएं जलकर राख हो गई हैं। यह आग शनिवार सुबह करीब 11:30 बजे लगी थी। इस गांव में सड़क की सुविधा न होने से नुकसान ज्यादा हो गया है। इस गाँव से सड़क काफी दूर है। सड़क से गाँव तक पहुँचने के लिए करीब दो घंटे का पैदल रास्ता है। अगर इस गाँव में सड़क की सुविधा होती तो अग्निशमन विभाग के द्वारा घर जलने से बचाए जा सकते थे।
इस गांव में सभी घर लकड़ी के काष्ठकुणी शैली के बने थे इसलिए आग तेजी से फैल गई। मौके पर चीख पुकार के बीच लोग मदद के लिए एक दूसरे को पुकारते रहे। इस दौरान पूरे गांव में अफरा-तफरी मची रही। इस घटना में देवता राई नाग का प्राचीन मंदिर भी जल गया है। हालांकि, ग्रामीणों ने काफी मुसकक्त करके देवता के रथ को बचा लिया है। इस आगजनी से नौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
गांव के लोगों ने अपने स्तर पर आग बुझाने का भी काफी प्रयास किया लेकिन वह घरों को जलने से नहीं बचा पाए। अभी आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। आग की इस घटना में लाखों रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।
सड़क सुविधा न होने के कारण अग्निशमन विभाग के लिए आग पर काबू पाना आसान नहीं था। इस गांव तक पहुँचने के लिए सड़क से करीब दो घंटे का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। इस गांव में मोबाइल सिग्नल न होने से दूसरे गांववालों से भी मदद तक नहीं मांगी जा सकी। उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने बताया है कि एसडीएम बंजार की अगवाई में प्रशासन की एक टीम मौके के लिए भेज दी गई है। रविवार को वह खुद घटनास्थल का दौरा करेंगे।
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ई-केवाईसी न होने पर प्रदेश के करीब 45 हजार परिवारों के राशन कार्ड ब्लॉक, जानिए घर बैठे कैसे करें ई-केवाईसी
शिमला: खाद्य नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता मामले विभाग ने एक मोबाइल एप्लिकेशन पीडीएस एचपी फेस एप्प तैयार की है जिसके माध्यम से प्रदेश के राशन कार्ड धारक घर बैठे ई-केवाईसी करवा सकते हैं।
ई-केवाईसी न होने पर प्रदेश के करीब 45 हज़ार परिवारों के राशन कार्ड ब्लॉक कर दिये गये हैं। ऐसे में अब इन राशन कार्ड धारकों को ई- केवाईसी न होने तक डिपुओं में राशन नहीं मिलेगा। राज्य के कईं उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके परिवारों के सदस्य विदेशों या फिर देश के अन्य राज्यों में रह रहे हैं। परिवार में किसी एक सदस्य के ई-केवाईसी न होने पर राशन कार्ड से इस सदस्य को अस्थायी तौर पर ब्लॉक किया गया है। ऐसे में इस एक सदस्य के कोटे का राशन नहीं मिलेगा , जबकि अन्य सदस्य के लिए राशन जारी होगा।
इस एप्प से ई-केवाईसी नि:शुल्क होगी जिसके पश्चात ब्लॉक किया गया राशन कार्ड अनब्लॉक हो जाएगा और उपभोक्ता पहले की तरह डिपुओं में फिर से सस्ते राशन की सुविधा का लाभ उठा सकते है। इसके अलावा लोकमित्र केंद्रों के माध्यम से भी राशनकार्ड को अनब्लॉक किया जा सकता है।
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गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड : सूरज हत्या मामले में आईजी जैदी समेत 8 पुलिस अधिकारी दोषी करार, डीडब्लू नेगी बरी
शिमला: साल 2017 में कोटखाई में हुए गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले से जुड़े सूरज हत्याकांड मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत ने फैसला सुनाया है। अपने फैसले में न्यायालय ने इस मामले में तत्कालीन आईजी जहूर जैदी समेत 8 पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने जहूर जैदी सहित DSP मनोज जोशी, राजिंदर सिंह, दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, रफीक मोहम्मद, रंजीत स्टेटा को दोषी करार दिया गया है। दोषियों को 27 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। वहीं इस मामले में शिमला के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डीडब्लू नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
गुड़िया मामले की जांच करते हुए पुलिस ने सूरज नाम के आरोपी को हिरासत में लिया था। जिसकी पुलिस हिरासत में ही मौत हो गई थी। स्थानीय पुलिस ने सह-आरोपी राजू पर लॉकअप के अंदर सूरज की हत्या का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। मामले में सीबीआई ने उस वक्त के आईजी जहूर जैदी और अन्य पुलिस अधिकारियों को हिरासत में लिया था। सीबीआई जांच में सामने आया कि पुलिस के टॉर्चर से सूरज की मौत हुई थी। उसी मामले में सीबीआई अदालत ने ये फैसला सुनाया है।
क्या था गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामला :
6 जुलाई 2017 को कोटखाई में एक स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया था। बालसन के ताली खोलना गांव की रहने वाली 10वीं की छात्रा 4 जुलाई को अपने भाई के साथ स्कूल गई थी, लेकिन घर वापस नहीं लौटी। 5 जुलाई को लड़की का पता न चलने पर माता-पिता ने उसकी तलाश शुरू की। 6 जुलाई को किसी ने लिंक रोड से करीब 100 मीटर ऊपर दांडी जंगल में एक लड़की का शव नग्न अवस्था में पड़ा देखा और इस बारे में सभी को सूचित किया। घटनास्थल के पास से लड़की की वर्दी भी बरामद हुई। घटना की सूचना मिलते ही सैकड़ों ग्रामीण, उप-मंडल मजिस्ट्रेट और पुलिस उपाधीक्षक ठियोग मौके पर पहुंचे। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। शुरुआती जांच में यह कहा गया कि छात्रा की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।
इसके बाद अज्ञात आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 376 और पोस्को (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और अपराध की जांच के लिए तीन विशेष टीमें गठित की गई। 10 जुलाई 2017 को तत्कालीन आईजी जहूर जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी ( स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम ) गठित की गई जिसमें दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, मनोज जोशी, राजिंद्री सिंह, रफी मोहम्मद व रंजीत सतेता शामिल थे।
11 जुलाई 2017 की रात को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आधिकारिक और सत्यापित फेसबुक पेज पर कथित तौर पर चार तस्वीरें पोस्ट की गईं थी, साथ में लिखा था कि ये चार लोग स्कूली छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के भयावह मामले के पीछे के संदिग्ध हैं। लेकिन तस्वीरें वायरल होने के तुरंत बाद अचानक से हटा दी गईं थी
13 जुलाई 2017 को एसआईटी ने रेप-मर्डर के आरोप में छह लोगों ( आशीष चौहान उर्फ आशु (29), सुभाष सिंह बिष्ट (42) और दीपक उर्फ देपू (38), राजिंदर सिंह उर्फ राजू (32), सूरज सिंह (29) और छोटू (19) को गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों को उनके निवास स्थान कोटखाई से गिरफ्तार किया गया था।
एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए छह आरोपियों पर पत्रकारों और अधिकांश लोगों ने संदेह जताया और कईं सवाल भी उठाए। लोगों को असली दोषियों को बचाने की साजिश का आभास हुआ और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग उठने लगी। वहीं पुलिस ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र की आधिकारिक फेसबुक वॉल पर शेयर की गई कुछ लोगों की तस्वीरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लोगों का सवाल था कि वह तस्वीरें अखिर क्यों हटा दी गई।
वहीं 15 जुलाई 2017 को दो संदिगधों जिनकी फोटो मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर पोस्ट की गई थी , उन्हें पूछताछ और सैंपल के लिए पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। जिनके बारे में कहा जा रहा था कि वे दोनों बहुत प्रभावशाली परिवारों से जुड़े हैं। संदिग्धों को भारी पुलिस बल की तैनाती के तहत शिमला के रिप्पन अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए लाया गया जिसमें उनके सीरम और डीएनए प्रोफाइलिंग नमूने लिए गए । कथित तौर पर मेडिकल जांच के बाद संदिग्धों को छोड़ दिया गया। हालांकि,बाकी दो लोगों के बारे में कुछ नहीं कहा गया।
पुलिस हिरासत में अचानक हुई सूरज की मौत:
इसके बाद एक और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया। 17 और 18 जुलाई की रात के बीच पुलिस हिरासत में सूरज की अचानक हत्या हो गई। पुलिस ने हत्या की पुष्टि की और कहा कि आरोपी राजिंदर (32) ने सूरज सिंह (29) को जमीन पर पटक कर उसकी हत्या कर दी। मारपीट और हत्या का समय आधी रात के आसपास का बताया गया। पुलिस ने सूरज की हत्या के लिए सह-आरोपी राजिंदर को दोषी ठहराया और तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी ने भी इसका समर्थन किया। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और रवैये पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया ।
इस घटना से लोगों में और रोष भर गया। स्थानीय लोगों द्वारा एसआईटी पर असली दोषियों को बचाने का संदेह और भी पक्का हो गया। सीबीआई जांच की मांग उठी। लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर उग्र विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मामले में न्याय की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदेश में कईं जगह उग्र प्रदर्शन हुए तो यह केस 19 जुलाई को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हवाले कर दिया। सीबीआई को दो दिनों के भीतर एक विशेष जांच दल गठित करने और कोटखाई बलात्कार और हत्या मामले की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया गया।
सूरज की हत्या के बाद उसकी पत्नी ने दिया चौंकाने वाला बयान :
वहीं मामले में एक और नया मोड़ आया ,सूरज की पत्नी ने हिंदी दैनिक भास्कर को दिए गए बयान में बताया कि उसके पति ने उसे 9 जुलाई को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले उसके साथ हुई बातचीत का खुलासा न करने को कहा था। उसकी पत्नी के अनुसार सूरज ने उसे भरोसा दिलाया था कि वह छह महीने में जेल से वापस आ जाएगा और फिर वे गरीब नहीं रहेंगे। उसने उससे कहा था कि उसके लौटने के बाद वे नेपाल में रहेंगे। उसकी पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति को इस जाल में फंसाने के लिए पैसे का लालच दिया गया था और इसमें उच्च अधिकारी शामिल हैं। पत्नी को डर था कि इस खुलासे के बाद उनके पति की तरह उनकी भी हत्या कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अपने बच्चों की जान के डर से वह अब तक चुप थी।
सूरज हत्या मामले में अधिकारी गिरफ्तार :
22 जुलाई को सीबीआई ने दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। एक नाबालिग लड़की के बलात्कार और हत्या की जांच से संबंधित और दूसरा नेपाली आरोपी सूरज सिंह की रहस्यमय परिस्थितियों में पुलिस हिरासत में मौत की जांच से संबंधित।
29 अगस्त 2017 को सीबीआई ने सूरज की हिरासत में हत्या के लिए एसआईटी के प्रमुख जहूर एच जैदी, आईजी, दक्षिणी रेंज, डीएसपी, ठियोग, मनोज जोशी और छह अन्य सहित नौ पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में, सीबीआई ने शिमला के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को भी नवंबर 2017 में गिरफ्तार कर लिया।
उस वक्त हिमाचल की जनता के अनुसार सीबीआई देवदूत बनकर आई थी। लोगों को उम्मीद थी की सीबीआई की जांच से गुड़िया को इंसाफ जरुर मिलेगा।
लकड़हारा नीलू दोषी करार :
सीबीआई ने अदालत को बताया कि एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए शेष पांच आरोपी निर्दोष हैं और उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया और प्रताड़ित किया गया। सीबीआई की टीम ने अगले ग्यारह महीनों तक जांच की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 28 मार्च 2018 को हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई। अंततः सीबीआई से निराश होकर अदालत ने सीबीआई की क्षमता पर सवाल उठाया और इसके निदेशक को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होने को कहा।
इस समन के तुरंत बाद ही सीबीआई ने दावा किया कि इस मामले को सुलझा लिया गया है, जिसमें एक लकड़हारे नीलू को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने सीबीआई द्वारा आरोपी के खिलाफ दिए गए 14 में से कम से कम 12 सबूतों को सही पाया। घटनास्थल से लिए गए नमूने के साथ उसके डीएनए का मिलान सबसे महत्वपूर्ण सबूतों में से एक माना।
28 अप्रैल 2021 को सीबीआई जज राजीव भारद्वाज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आरोपी नीलू को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (आई), 376 9 (ए) और 302 और पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत सभी चार आरोपों में दोषी ठहराया। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई और इसके बाद मामले को बंद माना गया।
लकड़हारे नीलू का बयान :
हालांकि नीलू ने मीडिया से कहा कि वह निर्दोष है और उसे सीबीआई ने फंसाया है। उसने सीबीआई पर जान से मारने की धमकी समेत कई गंभीर आरोप लगाए। उसने न्यूज 18 को बताया कि उसे धमकी दी गई कि उसे भी 18 जुलाई 2017 को पुलिस हिरासत में मारे गए आरोपी सूरज की तरह ही मार दिया जाएगा। न्यूज 18 की खबर के अनुसार उसने यहां तक कहा कि उसे फंसाने के लिए उसकी मां को बंधक बना लिया गया था। उसने कहा कि वह इस फैसले को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा।
सीबीआई जांच से परिवार और स्थानीय लोग असंतुष्ट :
2018 में ग्यारह महीने की जांच के बाद सीबीआई ने दावा किया था कि उसने मामले को सुलझा लिया है और गुड़िया के साथ बलात्कार और हत्या के लिए एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। इसने इस रिपोर्ट से इनकार किया कि यह सामूहिक बलात्कार था। गिरफ्तार आरोपी एक लकड़हारा था। परिवार और जनता सीबीआई के निष्कर्षों से संतुष्ट नहीं थे और उनका मानना था कि असली अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।
इससे सीबीआई की जांच संदेह के घेरे में आ गई थी, जब दो फोरेंसिक विशेषज्ञों ने अदालत में गवाही दी थी कि फोरेंसिक परीक्षण की विश्लेषण रिपोर्ट से पता चला है कि गुड़िया के बलात्कार और हत्या में एक से अधिक लोग शामिल थे।
लोगों को आज भी इस जांच पर संदेह है। लोग आज भी सीबीआई द्वारा की गई इस जांच से असंतुष्ट है। आज भी सवाल उठते है कि मामले में अचानक से सिर्फ एक व्यक्ति लकड़हारे नीलू को आरोपी कैसे ठहराया गया। जहां तक इस मामले को सामूहिक दुष्कर्म माना जा रहा था वहां सीबीआई ने इस मामले में सिर्फ एक आरोपी को कैसे गिरफ्तार कर लिया।
उन फोटो का क्या जो तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए थे और कुछ देर बाद ही हटा दिए गए थे ? एसआईटी की टीम ने क्यूं छह लोगों को झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया था ? आखिर किसे बचाने की कोशिश की जा रही थी ? यह सवाल ऐसे है जिनका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है।
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धर्मशाला में पहली 750 किलोवाट की सौर ऊर्जा परियोजना शुरु, प्रतिदिन तैयार होगी 2,000 यूनिट बिजली
कांगड़ा: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने 17 जनवरी को धर्मशाला में स्थापित की गई पहली 750 किलोवाट की सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया। 8,500 वर्ग मीटर भूमि पर 4.74 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना से प्रतिदिन लगभग 2,000 यूनिट बिजली पैदा होगी, जिससे हर महीने 2.80 लाख रुपये की आय होगी। इस परियोजना का निर्माण कार्य अक्तूबर, 2023 में शुरू किया गया था और नवम्बर, 2024 में पूरा हुआ।
परियोजना की विशेषता :
इस परियोजना में 1,364 सौर पैनल शामिल हैं जो व्यापक सुरक्षा उपायों से सुसज्जित हैं विद्युत सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अर्थिंग और बॉन्डिंग सिस्टम भी है। हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड ने इस परियोजना से उत्पादित बिजली खरीदने के लिए समझौता किया है।
200 पंचायतें ‘ग्रीन पंचायत’ के रूप में होंगी विकसित :
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार सरकार 200 किलोवाट के ग्राउंड-माउंटेड सोलर प्लांट लगाकर 200 पंचायतों को ‘ग्रीन पंचायत’ के रूप में विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ऊना जिले में 32 मेगावाट की पेखूबेला सौर ऊर्जा परियोजना 15 अप्रैल, 2024 को जनता को समर्पित की गई थी। अप्रैल से अक्तूबर 2024 तक इस परियोजना से साढ़े छह महीने में 34.19 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की गई, जिससे 10.16 करोड़ रुपये की कमाई हुई। इसके अतिरिक्त, ऊना जिले के भंजाल में 5 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना 30 नवंबर, 2024 से शुरू की गई, जबकि 10 मेगावाट की अघलौर सौर ऊर्जा परियोजना का निर्माण शीघ्र ही पूर्ण हो जाएगा।
वर्ष 2026 तक देश का पहला ‘हरित ऊर्जा राज्य’ बनेगा हिमाचल :
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार वर्ष 2026 तक हिमाचल प्रदेश को देश का पहला ‘हरित ऊर्जा राज्य’ बनाने के लिए प्रयासशील है। उन्होंने कहा कि 72 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली सात सौर ऊर्जा परियोजनाएं जल्द ही आवंटित कर दी जाएंगी। इसके अतिरिक्त, 325 मेगावाट क्षमता वाली आठ परियोजनाओं के लिए सर्वेक्षण और अध्ययन कार्य चल रहे हैं।
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