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शिमला का ये निजी स्कूल कमा रहा बड़े-बड़े उद्योगों से भी कई गुणा ज़्यादा मुनाफा, अभिभावक मंच का प्रदर्शन
शिमला-छात्र अभिभावक मंच का निजी स्कूलों की मनमानी,लूट व भारी फीसों के खिलाफ प्रदर्शन जारी है! चैप्सली स्कूल के बाद आज दिनांक मार्च 30 को मंच ने डीएवी स्कूल माल रोड़ पर प्रदर्शन किया।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि डीएवी स्कूल में भारी लूट हो रही है। उनसे 45 हज़ार से लेकर 80 हज़ार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि नर्सरी की फीस भी 45 हज़ार है। माल रोड़ व लक्कड़ बाजार स्थित डीएवी स्कूल की वार्षिक आय 11 करोड़ रुपये है। इसमें से 4 करोड़ रुपये अध्यापकों व कर्मचारियों के वेतन में खर्च हो रहे हैं। हर वर्ष स्कूल की रिपेयर,लैबों व स्मार्ट क्लास रूमों को मॉडर्न करने आदि पर लगभग 2 करोड़ रुपये खर्च आता है। कुल 11 करोड़ रुपये की आय में से 6 करोड़ रूपये सालाना खर्चा है। इस तरह 1800 बच्चों की संख्या वाला यह स्कूल 5 करोड़ रुपये वार्षिक शुद्ध मुनाफा कमा रहा है।
मेहरा ने कहा
इसी तरह न्यू शिमला स्थित डीएवी स्कूल में छात्रों की संख्या लगभग 4500 है। यहां का मुनाफा लगभग 12 करोड़ रुपये है। इस तरह दोनों स्कूलों को मिलाकर कुल वार्षिक मुनाफा लगभग 17 करोड़ रुपये बनता है। अगर इसमें टूटू का डीएवी स्कूल भी जोड़ दिया जाए तो मुनाफा 20 करोड़ रुपये पार कर जाएगा।
मेहरा ने कहा है कि इस से साफ है कि यह संस्था कई बड़े-बड़े उद्योगों से भी कई गुणा ज़्यादा मुनाफा कमा रही है व शिक्षा को बाजार बना रही है।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि इसके द्वारा दिये गए 27 अप्रैल 2016 के आदेशों की अवमानना का स्वयं संज्ञान लें व अवमानना करने वालों पर कड़ी कार्रवाई अमल में लाएं।
उन्होंने कहा कि निजी स्कूल संस्थाएं प्रतिवर्ष 5 से 20 करोड़ रुपये मुनाफा कमा रही हैं परन्तु इसके बावजूद न अपनी स्कूल बसें चलाती हैं जैसा कि हिमाचल उच्च न्यायालय कह चुका है और न ही पार्किंग व्यवस्था करती हैं जैसा हालिया उच्च न्यायालय के निर्देश से स्पष्ट है।
मेहरा ने कहा है कि निजी स्कूल न तो उच्च न्यायालय और न ही नगर निगम शिमला के निर्देशों की परवाह करते हैं व ढाक के तीन पात की तरह काम काम करते हैं। निजी स्कूल खुलेआम मनमानी करते हैं और न तो सरकार के निर्देशों की पालना करते हैं और न ही न्यायालय के आदेशों को मानते हैं। इसलिए बेहद ज़रूरी है कि कानून बनाकर इनकी तनाशीही,मनमानी व लूट पर रोक लगाई जाए।
इस प्रदर्शन के दौरान निजी स्कूलों के मनमानी के साथ साथ डीएसपी प्रमोद शुक्ला की कार्यप्रणाली के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई। मंच का कहना है कि डीएसपी का रवैया और कार्यप्रणाली तानाशाहीपूर्ण है!
पिछले एक माह से निजी स्कूलों की लूट खसूट व भारी फीसों के खिलाफ विरोद प्रदर्शन कर रहे छात्र-अभिभावक मंच के सदस्यों पर पुलिस ने धारा 144 तोड़ने का हवाला देकर मुकदमा दायर कर दिया था!
शिमला पुलिस ने मंच पर धारा 143 और 188 के तहत सदर पुलिस थाना में केस दायर किया है! पुलिस के अनुसार चुनाव के समय में मंच बिना किसी अनुमति के ये प्रदर्शन कर रहा था!
हिमाचल के शिक्षा निदेशालय के द्वारा मार्च 18, 2019 को जारी किये गए दिशा निर्देशों को दरकिनार करते हुए चैप्सली स्कूल ने अपनी प्लस वन कक्षा की फीस एक ही साल में 28 हज़ार से 63 हज़ार कर दी! इसी के चलते अभिभावकों में रोष पैदा हो गया और बीते वीरवार को मंच ने स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन किया था! इसके बाद पुलिस ने अभिभावकों के ऊपर केस दर्ज़ कर दिया!
इसी तरह 22 मार्च को ऑकलैंड स्कूल के बहार प्रदर्शन के बाद भी इन्ही धाराओं के तहत मंच के खिलाफ मुकदमा दायर किया था!
आज के प्रदर्शन के बाद भी पुलिस ने इन्ही धाराओं के तहत एक और केस दर्ज़ कर किया है!
मंच ने इसे पुलिस की तानाशाही करार दिया है। मंच ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि पुलिस की इस कार्यप्रणाली के खिलाफ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर पुलिस की तानाशाही पर रोक लगाने व डीएसपी प्रमोद शुक्ला को तुरन्त निलंबित करने की मांग की जाएगी।
मंच ने कहा है कि पुलिस स्कूल प्रबंधनों के साथ मिलकर मंच के नेताओं के खिलाफ चाहे जितने मर्ज़ी मुकद्दमे बना ले परन्तु मंच निजी स्कूलों के खिलाफ चलाये जा रहे आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा।
उन्होंने हिमाचल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश से मांग की है कि शिमला शहर के डीएसपी प्रमोद शुक्ला को तुरन्त निलंबित करके उन पर जांच बिठानी चाहिए क्योंकि उनकी कार्यप्रणाली पक्षपातपूर्ण है।
मंच के संयोजक ने आरोप लगते हुए कहा,
यह डीएसपी साहब एक तरफ हिमाचल उच्च न्यायालय के 27 अप्रैल 2016 के निर्णय को लागू करवाने के लिए आंदोलनरत अभिभावकों पर मुकद्दमे लाद रहे हैं वहीं उच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाने वाले स्कूल प्रबंधकों पर काँटेम्पट ऑफ कोर्ट के तहत कोई मुकद्दमा दर्ज नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल उच्च न्यायालय के आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि जो भी संस्थान फीसों व अन्य मामलों पर उच्च न्यायालय का आदेश नहीं मानेंगे उनपर काँटेम्पट ऑफ कोर्ट के तहत मुकद्दमे दर्ज होने चाहिए।
मेहरा ने कहा,
इसके बावजूद डीएसपी प्रमोद शुक्ला उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर मुकद्दमा दर्ज करने के बजाए उच्च न्यायालय के आदेशों की रक्षा करने वालों के खिलाफ मुकद्दमे दर्ज कर रहे हैं। इस घटनाक्रम से साफ हो गया है कि डीएसपी साहब न्यायालय के आदेशों का सम्मान नहीं करते हैं। इसलिए डीएसपी के ऊपर कॉंटेप्ट ऑफ कोर्ट के तहत मुकद्दमा दर्ज किया जाए व उन्हें तुरन्त प्रभाव से निलंबित किया जाए।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के घटनाक्रम में भी विजेंद्र मेहरा ने डीएसपी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है!
मेहरा ने कहा कि वंहा पर दराट जैसे खतरनाक तेज़ धारधार हथियार के साथ पकड़े गए युवक पर आर्मज़ एक्ट व रायोटिंग के तहत मुकद्दमा दर्ज करने के बजाए महज़ 107,51 के तहत साधारण मुकद्दमा दर्ज करके हिंसा फैलाने वालों की रक्षा की तथा संविधान व कानून को ताक पर रख दिया। उन्होंने कहा कि दोषियों के बचाव करने के लिए उन्होंने दराट जैसे खतरनाक हथियार को कृषि उपकरण बता दिया।
उन्होंने कहा,
यदि ऐसा अधिकारी संवेदनशील पद पर बना रहेगा तो न केवल संविधान खतरे में पड़ेगा बल्कि उच्च न्यायालय का भी माखौल बनकर रह जायेगा।
मंच ने कहा है कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए कानून,पॉलिसी व रेगुलेटरी कमिशन नहीं बनता है।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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