स्वास्थ्य
होम क्वारंटाइन कोविड-19 रोगियों को बेहतर और तुरंत इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएँ: मुख्यमंत्री
शिमला- आज सोमवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्चुअल बैठक के माध्यम से राज्य के उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और चिकित्सा अधिकारियों के साथ कोविड-19 महामारी की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा की होम क्वारंटाइन में रह रहे कोविड-19 रोगियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तुरंत उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 के अभी तक कुल 4186 सक्रिय मामले हैं और गत एक सप्ताह में इसमें तीव्र बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 98 प्रतिशत रोगी होम कोरेन्टीन हैं।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को होम आइसोलेशन किट तैयार रखने के निर्देश दिए हैं ताकि यह होम क्वारंटाइन में रहने वाले कोविड-19 रोगियों को उपलब्ध करवाई जा सके और उन्हें आइसोलेशन के दौरान क्या करें और क्या न करें, के बारे में भी जागरूक किया जा सके और वे चिकित्सकों की सलाह पर ही दवाएं इत्यादि लें।
उन्होंने कहा कि इस किट में च्यवनप्राश, आयुष काढ़ा, सेनेटाइजर, मास्क इत्यादि शामिल किए गए हैं। कोविड-19 रोगियों को होम क्वारंटाइन के दौरान आइसोलेशन के पुख्ता प्रबन्ध किए जाएं ताकि उनके परिवार के अन्य सदस्य कोरोना वायरस से संक्रमित न होने पाएं।
मुख्यमंत्री ने एलोपैथी और आयुष विभाग में बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर कहा कि इससे कोविड-19 रोेगियों को समय पर बेहतर उपचार उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सम्बन्धित प्राधिकरणों को जांच बढ़ाने के निर्देश दिए गए है। उन्होंने कहा कि 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग का टीकाकरण अभियान 12 जनवरी, 2022 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि होम क्वारंटाइन में रहने वाले कोविड-19 रोगियों को आपात स्थिति में परिवहन की समुचित व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए।
स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मी और अन्य सम्बन्धित लोग कोरोना वायरस की दूसरी लहर के सफलतापूर्वक नियंत्रण के दौरान प्राप्त अनुभवों का पूर्ण उपयोग करें।
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हिमाचल में नशीली दवाओं के दुरूपयोग से निपटने के लिए गठित होगा विशेष कार्य बल (STF): मुख्यमंत्री
शिमला– बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जानकारी देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार नशीली दवाओं के दुरूपयोग की गंभीर समस्या से निपटने के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करेगी। इस एसटीएफ का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अथवा पुलिस महानिरीक्षक पद के अधिकारी करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एसटीएफ को विशेष प्रशिक्षण और समर्पित कमांडो बल के साथ तैयार किया जाएगा, जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ प्रशिक्षण भी शामिल होगा। एसटीएफ के लिए कुछ कर्मी पुलिस विभाग से लिए जाएंगे और बाकी अन्य बलों से शामिल किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि एसटीएफ के मुख्य उद्देश्यों में नशीली दवाओं की तस्करी के नेटवर्क को बाधित करना और नष्ट करना, नशीली दवाओं के सरगनाओं और संगठित गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई करना और तेजी से फोरेंसिक प्रोटोकॉल के माध्यम से खुफिया जानकारी एकत्र करना शामिल है। टास्क फोर्स समन्वित छापेमारी करेगी, नशीली दवाओं के व्यापार से जुड़ी अवैध संपत्तियों को जब्त करेगी और नशे के आदि व्यक्तियों का पुनर्वास सुनिश्चित करेगी और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त, सरकार का लक्ष्य नशे के शिकार लोगों के उपचार और पुनर्वास कार्यक्रमों तक पहुंच का विस्तार प्रदान करना है। स्कूलों और कॉलेजों में राज्यव्यापी जागरूकता अभियानों के साथ-साथ ‘हिम वीर’ और ‘हिम दोस्त’ जैसी पहलों के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ाया जाएगा। त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए, सरकार एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) मामलों के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने और फास्ट-ट्रैक जांच और अभियोजन पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एसटीएफ स्वतंत्र रूप से एसटीएफ पुलिस स्टेशनों के माध्यम से या स्थानीय पुलिस और रेंज, जिला या उप-खंड स्तर पर विशेष इकाइयों के सहयोग से मामलों को पंजीकृत करके जांच करेंगे तथा उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों की गतिविधियों की निगरानी भी करेगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि एसटीएफ पुलिस अधीक्षकों के नेतृत्व में धर्मशाला, परवाणू और मंडी में कार्य करेगा, जिसका मुख्यालय शिमला होगा। यह टास्क फोर्स नियमित रूप से सरकार को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
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HMPV से न घबराएँ, यह एक सामान्य वायरस: स्वास्थ्य मंत्री
शिमला- एचपीएमवी एक सामान्य वायरस है और इससे घबराने की आवश्यकता नही है। यह कोई नया वायरस नहीं है और 2001 से भारत सहित विभिन्न देशों में प्रचलन में है। हर वर्ष वयस्क और बच्चे इस वायरस से प्रभावित होते हैं और ठीक हो जाते हैं। इस वर्ष भी भारत में नियमित निगरानी के दौरान एचपीएमी के कुछ मामले दर्ज किए गए हैं लेकिन हिमाचल में अब तक इससे जुड़ा एक भी मामला सामने नहीं आया है।
यह जानकारी स्वस्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने मंगलवार को स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचपीएमवी) के संबंध में आयोजित बैठक के दौरान दी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एचपीएमवी ‘वायरस ऑफ कन्सर्न’ नहीं है और इसे एक सामान्य वायरस की तरह ही देखा जाना चाहिए जिससे आसानी से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सहित प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग एचपीएमवी पर लगातार नजर बनाए हुए है। देश भर में अब तक इन्फलुएंजा जैसी बीमारी और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के मामले सामान्य स्तर पर हैं। हिमाचल में भी ऐसे मामलों में किसी प्रकार की असमान्य वृद्धि दर्ज नहीं हुई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस वायरस के आम लक्षण खांसी, बुखार और नाक बंद होना है। यह संक्रमण खांसने, छींकने, छूने या हाथ मिलाने से फैलता है।
उन्होंने प्रदेशवासियों से सावधानी बरतने का अनुरोध करते हुए कहा कि यदि किसी को खांसी या बुखार आदि के लक्षण नजर में आएं तो वह नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपनी जांच करवाएं तथा किसी के साथ सम्पर्क से बचे।
उन्होंने कहा कि मास्क लगाएं, समय-समय पर हाथों को साबुन से धोने, खांसते या झींकते समय मुंह और नाक को ढकने तथा बीमार होने की स्थिति में घर पर आराम करने आदि उपायों को अपनाकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यदि निकट भविष्य में एचपीएमवी के मामलों में उछाल आता है तो भी स्वास्थ्य विभाग ऐसे मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश में पर्याप्त स्वास्थ्य अधोसंरचना, बिस्तरों की संख्या, ऑक्सीजन, सिलैण्डर की उपलब्धता सहित सभी तरह के पुख्ता इंतजाम है।
उन्होंने प्रदेश सरकार एचपीएमवी के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आगामी रणनीति को अपनाएगी।
स्वास्थ्य
भाजपा सरकार का बजट दिशाहीन, कर्मचारी और बेरोजगारों को किया निराश: मुकेश अग्निहोत्री
शिमला- हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आज सीएम जयराम ठाकुर ने वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया। सरकार अपने इस बजट को सभी वर्गों के हित का बजट करार दे रही है और इस बजट को जनता हित का बजट बता रही है तो वहीं कांग्रेस ने इस बजट को दिशाहीन बताया है।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि सरकार से सिर्फ आगामी चुनाव के मद्देनज़र कुछ लोगों को लुभाने की कोशिश बजट के ज़रिए की है। जबकि सरकार ने कमर्चारियों के सभी मांगों में से एक को भी बजट में शामिल नही किया। बजट में आउटसोर्स कर्मचारियों का सरकारी कर्मचारी बनाने की मांग की भी बजट में कोई जिक्र नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि इस बजट में एसएमसी शिक्षकों को नियमित करने का कोई जिक्र नही है। ऐसे में ये बजट कर्मचारियों के लिए निराशा लेकर आया है। इसके अलावा बजट में रोजगार को लेकर कोई बात नही की गई। वहीं सरकार सिर्फ अपने लोगों को ही बैक डोर एंट्री से नौकरियां दे रही है।
बजट में 30 हज़ार नौकरियां देने की बात की गई है , जिसपर मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार पर आरोप लगाया कि अब तक के कार्यकाल में सरकार रोजगार देने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है, ऐसे में 6 महीने में कहा से नौकरी देगी।
मुकेश अग्निहोत्री सरकार पर आरोप लगाया कि बजट में महंगाई पर काबू पाने और काम करने की कोई बात नहीं की गई और महंगाई के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से फेल हुई है।
उन्होंने कहा कि यह बजट घाटे का बजट है। इस बजट के बाद यह अंदेशा भी है कि सरकार आने वाले समय में भारी कर्ज लेगी जिससे प्रदेश पर और ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ेगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पिछले बजट में विकास पर 44% पैसा विकास पर खर्च होने के लिए रखा गया था जबकि इस बजट में विकास पर मात्र 29% पैसा ही रखा गया है। ऐसे में प्रदेश में विकास पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर है।
अग्निहोत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री का फोकस सिर्फ चंद रियायतें बांटने तक ही सीमित हो चुका है और पुरानी बातों को ही इस बजट में रिपीट किया गया है। उन्होंने कहा कि यह जयराम सरकार का अंतिम बजट है लिहाजा सरकार को ऐसा बजट पेश करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है आर्थिक बोझ आगामी कांग्रेस सरकार पर ही पड़ेगा।
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