शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 गैर-लोकतांत्रिक और छात्र विरोधी : एसएफआई
शिमला-एसएफआई (SFI) हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के खिलाफ राज्यपाल ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया। एसएफआई का मानना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गैर-लोकतांत्रिक तरीके से बिना संसद सदनो मे चर्चा किए तैयार की गयी है। यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरी तरह से छात्र विरोधी है।
उन्होंने कहा कि इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा छात्रों को शिक्षा से वंचित किया जाएगा तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के क्षेत्र मे निजीकरण और शिक्षा के व्यापारीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा मे शोध को भी ख़त्म किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से फाउंडेशन स्टेज मे प्री-नर्सरी की बात की गयी है जो की तीन वर्ष से आठ वर्ष तक के बच्चों के लिए है। इसमें आंगनबाड़ी को शामिल करके आंगनबाड़ी को भी कमज़ोर करके ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति छात्रों को शिक्षा से वंचित करने वाली नीति है।
उन्होंने बताया कि इस नीति में छात्रों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भाषा न सिखाते हुए, मात्र क्षेत्रीय भाषा पर जोर दिया गया है। जिससे आने वाले समय में छात्रों के भविष्य मे कई समस्याएं उत्पन्न होगी। इसके साथ छात्रों को वोकेशनल मे लकड़ी, बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाने इत्यादि सिखाया जाएगा जोकि छात्र के सम्पूर्ण विकास और तर्कशक्ति तथा बुद्धिमता को बढ़ावा देने से कहीं सम्बन्ध नहीं रखता है।
उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति के तहत छात्रों को आर्ट्स के साथ साइंस के विषय और कॉमर्स के साथ साइंस और आर्ट्स के विषय पढ़ने का प्रावधान है जो छात्र की किसी भी एक स्ट्रीम में विशेष नहीं है। इसका खामियाजा हिमाचल प्रदेश के छात्र 2013 मे रूसा और सीबीसीएस के माध्यम से भुगत चुके है।
उन्होंने बताया कि इस शिक्षा नीति के तहत महाविद्यालयों मे डिग्री पूरी करने की अवधि चार वर्ष हो जाएगी, जिसमें अगर कोई छात्र एक वर्ष तक पढ़ाई करता है तो उन्हें सर्टिफिकेट, दो वर्ष तक पढ़ाई करने पर एडवांस डिप्लोमा, तीन वर्ष के बाद डिग्री और चार वर्ष के बाद बैचलर डिग्री दी जाएगी, जोकि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। जहां सरकार को शिक्षा के स्तर को और सुदृढ़ बनाना था, वहीं इस नीति के माध्यम से शिक्षा के स्तर को गिरा रही है।
एसएफआई ने प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी मे बिना प्रवेश परीक्षा के हुए दाखिलो को रद्द करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि बिना प्रवेश परीक्षा के दाखिलों से शोध की गुणवत्ता मे कमी आएगी। यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि जो छात्र प्रवेश परीक्षा पास नहीं कर सकते, वो किस तरीके का शोध करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कुलपति काबिल छात्रों को दरकिनार करके अपने चहेतों को पीएचडी मे प्रवेश दे रहे है।
शिक्षा
टर्म-2 परीक्षा की कंपार्टमेंट-इंप्रूवमेंट परीक्षा के लिए अब 25 तक करें आवेदन
शिमला- हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से मार्च-अप्रैल 2022 में संचालित की जाने वाली नियमित परीक्षार्थियों की टर्म-2 परीक्षा के लिए कंपार्टमेंट, एडिशनल विषय, अंग्रेजी केवल, इंप्रूवमेंट ऑफ परफोरमेंस के पात्र परीक्षार्थियों के लिए प्रवेश पत्र ऑनलाइन भरने की तिथि अब 25 फरवरी तक बढ़ा दी गई है।
बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार सोनी ने बताया कि अब छात्र 25 फरवरी तक प्रवेश पत्र भर सकते है और विलंब शुल्क 100 रुपये के साथ 28 फरवरी तक तिथि को बढ़ा दिया गया है।
डॉ. सोनी ने बताया कि मैट्रिक और जमा दो श्रेणी के पात्र परीक्षार्थी अपने प्रवेश पत्र संबंधित विद्यालय के माध्यम से विलंब शुल्क 100 रुपये के साथ 28 फरवरी तक केवल ऑनलाइन प्रेषित करवा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि मार्च 2022 में संचालित की जाने वाली नौवीं और 11वीं कक्षाओं की द्वितीय अवधि परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन कक्षा बार प्रश्नपत्र मांग, शुल्क प्राप्ति के लिए ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन विद्यालयों के लिए अंतिम तिथि को 28 फरवरी की गई है।
शिक्षा
प्रदेश के स्कूलों में शुरू की जाए योग और मनोविज्ञान की कक्षाएं: एबीवीपी
शिमला- प्रदेश के स्कूलों में योग और मनोविज्ञान की कक्षाएं शुरू करने की मांग लंबे समय से होती आ रही है,लेकिन अभी तक प्रदेश के स्कूलों में यह कक्षाएं शुरू नहीं हो पा रही है। अब एक बार फिर से एबीवीपी ने सरकार से प्रदेश के स्कूलों ने योग और मनोविज्ञान विषय की कक्षाएं शुरू करने की मांग की है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इकाई के अध्यक्ष आकाश नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार को राज्य के प्रत्येक विद्यालय में योग और मनोविज्ञान विषय की कक्षाएं शुरू करनी चाहिए।
आकाश नेगी ने कहा कि आजकल के तनाव भरे जीवन को सरल बनाने में योग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है और कोरोना सहित अन्य बीमारियों के इलाज में योग पद्धति को लोग काफी पसंद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि युवा भी अपने आप को फिट रखने के लिए योग की शरण ले रहे हैं। योग व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूती प्रदान कर रहा है।
विद्यार्थी परिषद ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए। बाल्यकाल एक ऐसी अवस्था होती है जब मानसिक-भावनात्मक और बौद्धिक विकास की प्रक्रिया गति पकडती है।
मन किसी एक बात पर ठहर नहीं पाता और दिमाग सवालों से भर उठता है। इस उम्र में किशोर अपनी रचनात्मकता के शीर्ष पर होते हैं, लेकिन अगर चूक हो जाए तो विध्वंसक होने में भी देर नहीं लगती। ऐसे में उनके जीवन कि दशा और दिशा बदलने में योग और मनोविज्ञान से मदद मिलेगी।
इकाई अध्यक्ष ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार इन विषयों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करती है तो इस कदम से नए रोजगार भी सृजित होंगे। प्रत्येक वर्ष बहुत से छात्र विश्वविद्यालय से योग और मनोविज्ञान विभाग से उत्तीर्ण होकर निकलते हैं। उन छात्रों को प्रदेश के स्कूलों में नियुक्ति प्रदान कर के स्कूलों में योग और मनोविज्ञान की कक्षाओं को सुचारु रूप से चलाया सकता हैं।
उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को मध्यनज़र रखते हुए प्रदेश सरकार को योग और मनोविज्ञान की कक्षाएं प्रत्येक विद्यालय में अगले शैक्षणिक सत्र से शुरू करनी चाहिए और विद्यार्थी परिषद आशा करती है कि प्रदेश सरकार जल्द से जल्द उनकी इस मांग को पूरा करेगी।
शिक्षा
तकनीकी शिक्षा बोर्ड धर्मशाला की परीक्षाओं और प्रैक्टिकल का शेड्यूल जारी, 23 फरवरी से शुरू होंगीं परीक्षाएं
शिमला- हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के पाठ्यक्रम एन-2017 के तीसरे और पांचवे सेमेस्टर की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 7 फरवरी से शुरू होंगी। इसी पाठ्यक्रम की थ्योरी की परीक्षाएं 14 फरवरी से करवाई जाएंगी और प्रथम सेमेस्टर की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 14 फरवरी और थ्योरी की परीक्षाएं 23 फरवरी से शुरू होंगीं।
तकनीकी शिक्षा बोर्ड के सचिव आरके शर्मा ने जानकारी दी कि कोविड-19 के कारण बोर्ड ने जनवरी में परीक्षाएं स्थगित कर दी थीं। अब सरकार के निर्देशों के बाद बोर्ड ने इन्हें करवाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम एन-2017 के तहत प्रथम सेमेस्टर की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 14 फरवरी तथा थ्योरी की परीक्षाएं 23 फरवरी से शुरू होंगी।
उन्होंने बताया कि दूसरे,चौथे और छठे सेमेस्टर (री-अपीयर),प्रथम व दूसरे वर्ष डी फार्मेसी (री-अपीयर) तथा पाठ्यक्रम एन-2012 के पहले से छठे सेमेस्टर (स्पेशल चांस) के विद्यार्थियों की थ्योरी की परीक्षाएं भी 14 फरवरी से शुरू होंगी।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में सभी सरकारी और निजी बहुतकनीकी संस्थानों के प्राचार्यों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बोर्ड की वेबसाइट पर भी सूचना उपलब्ध है।
शर्मा ने बताया कि कोविड-19 के कारण बोर्ड ने जनवरी में परीक्षाएं स्थगित कर दी थीं। अब सरकार के निर्देशों के बाद बोर्ड ने इन्हें करवाने का निर्णय लिया है।
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