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पहाड़ी (हिमाचली) को राज्य की आधिकारिक भाषा बनाने की फिर उठी मांग, प्रदेश हाई कोर्ट नें जारी किया जनहित याचिका के सन्दर्भ में आदेश
प्रदेश में संस्कृत बोलने वाले सिर्फ 936 लोग, जबकि पहाड़ी बोलने वाले 40 लाख से अधिक लोग, फिर भी पहाड़ी को राज्य में भाषा का दर्जा न देकर संस्कृत को दे दिया गया।
शिमला-प्रदेश सरकार ने संस्कृत को तो दूसरी भाषा घोषित कर दिया लेकिन पहाड़ी को भाषा का दर्जा देने के लिए कोई कदम अभी तक क्यों नहीं उठाया। ये कहना है अर्श धनोटिया का जिन्होंने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी और मांग राखी थी कि पहाड़ी को हिमाचल प्रदेश की आधिकारिक भाषा घोषित किया जाए। याचिका कर्ता के वकील भवानी प्रताप कुठलेरिया नें इस बारे में उन्होंने कई तथ्य कोर्ट के सामने रखे। 2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में संस्कृत बोलने वाले सिर्फ 936 लोग हैं जबकि पहाड़ी 40 लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। पर फिर भी पहाड़ी को राज्य में भाषा का दर्जा न देकर संस्कृत को दे दिया गया।
याचिका में नई शिक्षा निति 2020 के तहत पहाड़ी (हिमाचली) और अन्य स्थानीय भाषाओँ को पाठशालाओं में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम बनाये जाने, 2021 की जनगणना में पहाड़ी (हिमाचली) को अलग श्रेणी में रखने और साथ ही साथ लोगों, खासकर के युवा वर्ग को जागरूकता शिविरों के द्वारा पहाड़ी को प्रोत्साहन देने और उसे राज्य की मातृ भाषा बनाने की मांग रखने के बारे में भी कहा गया। जिसके जवाब में हाई कोर्ट ने इस संधर्भ में सोमवार को आदेश जारी किए हैं।
न्यामूर्ति मुहम्मद रफ़ीक और न्यायमूर्ति सबीना की पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा “कोर्ट राज्य सरकार को तब तक कोई निर्देश नहीं दे सकते जब तक यह साबित न हो कि पहाड़ी (हिमाचली) की अपनी एक संयुक्त लिपि है और पूरे राज्य में एक ही पहाड़ी बोली प्रचलित है। हालांकि, याचिकाकर्ता को एक सामान्य पहाड़ी (हिमाचली), सामान भाषा के ढांचे और सामान टांकरी लिपि को बढ़ावा देने की दृष्टि से एक शोध करने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के भाषा कला और संस्कृति विभाग से संपर्क करने की स्वतंत्रता है और यदि याचिकाकर्ता प्रतिवादी-राज्य के पास, भाषा एवं संस्कृति विभाग के अतिरिक्त प्रमुख सचिव के माध्यम से पहुँचता है, तो यह कथित विभाग के ऊपर है कि वह उसका निवारण कानून के हिसाब से करें।”
क्या है पहाड़ी भाषा का मतलब
अर्श धनोटिया का कहना है कि पहाड़ी (हिमाचली), हिमाचल प्रदेश में बोली जाने वाली पश्चिमी पहाड़ी बोली शृंखला के लिए इस्तेमाल होने वाला संयुक्त पारिभाषिक शब्द है तथा इसमें मुख्यतः कांगड़ी, मंडयाली, चम्बयाली, कुल्लवी, म्हासुवी पहाड़ी और सिरमौरी आती है। उसके अनुसार हिमाचल प्रदेश के गठन के समय से ही पहाड़ी (हिमाचली) को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग होती रही है। इसे आधिकारिक तौर पर 37 ऐसी अन्य भाषाओं के साथ सूचीबद्ध किया गया है जिन्हें अनुसूचित श्रेणी में रखने की पहले से ही माँग है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वर्ष 1970 और 2010 में इस संदर्भ में प्रस्ताव भी पारित किए जा चुके हैं।
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घोटाला: रोहड़ू में प्रधान निलंबित, फर्जी बिल, समान की खरीददारी में गड़बड़ी व कई अन्य वित्तीय घोटालों की हुई थी पुष्टि
शिमला : विकास खंड रोहड़ू की पंचायत करासा के प्रधान देव राज को फर्जी बिल, समान की खरीददारी में अनियमिताएं बरतने, बिना बजट के अत्याधिक कार्य करवाने इत्यादी घोटालों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और 15वें वित्त आयोग के तहत निलंबित कर दिया है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने प्रधान देव राज को निलंबित करने के आदेश की अधिसूचना जारी कर दी है ।
ग्राम पंचायत करासा के स्थानीय निवासी ने खंड विकास अधिकारी रोहड़ू के पास उक्त प्रधान के खिलाफ लिखित में शिकायत दर्ज की थी। जिसके बाद इस शिकायत की प्रारंभिक जांच की गई।
6 मई 2024 को 135 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंपी गई। जिसमें वर्ष 2020 से 2024 तक विकासात्मक कार्यों में वित्तीय अनियमिताएं पाए जाने की पुष्टि हुई। 1 जुलाई 2024 को जांच में लगे आरोपों को लेकर प्रधान ग्राम पंचायत करासा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 4 जुलाई 2024 को प्रधान ने उक्त आरोपों पर अपना जवाब लिखित में दायर किया।
इसके बाद जब प्रधान के लिखित जवाबों का अवलोकन पंचायत के रिकॉर्ड के साथ किया गया, तो जांच में पाया गया कि प्रधान की ओर से अपने बचाव में जो तथ्य पेश किए गए है वह तथ्य ठोस नहीं पाए गए है।
प्रधान देव राज द्वारा फर्जी बिल, समान की खरीददारी में अनियमिताएं बरतने, कार्यों के बजट को स्थानांतरित करने, अधूरे कार्यों, मजदूरों के खातों में सीधे मजदूरी न ट्रांसफर करने, एक ही व्यक्ति को बिना कोटेशन के कार्य आवंटित करने, बिना बजट के अत्याधिक कार्य करवाने, तकनीकी अनुमति के बिना कार्य करने आदि की अनियमिताएं जांच में सामने आई है।
ऐसे में उपायुक्त ने हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 145 (1) (c) के तहत प्रधान को अपने कार्य में लापरवाही बरतने के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इसके साथ ही पंचायत से जुड़ा सारा रिकॉर्ड स्टोर, स्टॉक, स्टांप आदि जो प्रधान के पास मौजूद है उसे पंचायत सचिव को सौंपने के आदेश जारी किए है।
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आबकारी विभाग की बड़ी कार्रवाई, 85 हजार लीटर अवैध कच्ची शराब को कब्जे में लेकर किया नष्ट
शिमला- राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने अवैध शराब मामले में एक बड़ी कार्रवाई की है। विभाग की नूरपुर टीम ने पंजाब के साथ लगते सीमांत क्षेत्र छन्नी वैली में अवैध शराब बनाने वालों पर इस कार्रवाई को अमल में लाया है ओर 85 हजार लीटर कच्ची शराब को कब्ज़े में लेकर नष्ट किया है।
राज्य कर एवं आबकारी विभाग के आयुक्त युनूस ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग की ओर से इस कार्रवाई में पंजाब आबकारी विभाग व पंजाब पुलिस और इंदौरा पुलिस थाना की सहायता ली गई थी।
उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग को इस क्षेत्र में अवैध शराब के बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थी। जिसके अंतर्गत नूरपुर टीम के सदस्यों ने पंजाब के सीमांत क्षेत्र में पंजाब आबकारी विभाग व पंजाब पुलिस के सहयोग से इस क्षेत्र में अवैध शराब बनाने वालों पर संयुक्त कार्रवाई की।
उन्होंने बताया कि सीमांत क्षेत्र होने की वजह से कार्रवाई करने में शुरू में कुछ कठिनाइयां भी आई लेकन इसके बावजूद भी विभाग ने इस क्षेत्र में कार्रवाई की और (85000 लीटर लाहन) कच्ची शराब को कब्जे में लिया और कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद अवैध शराब को नष्ट किया गया है।
यूनुस ने बताया कि विभाग अवैध शराब बनाने वालों पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है और भविष्य में भी यह कार्रवाई विभाग जारी रखेगा।
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13 फरवरी को आपदा जोख़िम से बचाव पर उमंग आयोजित करेगी वेबिनार
शिमला- उमंग फाउंडेशन की ओर से रविवार 13 फरवरी को आपदा जोख़िम से बाचव विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञ और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के लिए कार्य कर चुके नवनीत यादव उमंग फाउंडेशन के वेबीनार में “आपदा जोखिम से बचाव का अधिकार” विषय पर युवाओं के साथ चर्चा करेंगे। वह दिव्यांगों को आपदा के समय सुरक्षित बचाने के तरीके भी बताएंगे।
कार्यक्रम के संयोजक संजीव शर्मा ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में मानवाधिकार जागरूकता पर संस्था का ये 22वां साप्ताहिक कार्यक्रम होगा।
गूगल मेल पर 13 फरवरी को शाम 7:00 बजे लिंक http://meet.google.com/zop-pbkn-heg के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुआ जा सकता है। यहां ‘उमंग फाउंडेशन शिमला’ के फेसबुक पेज पर भी लाइव उपलब्ध रहेगा।
उन्होंने कहा कि आपदा जोखिम से बचाव को लेकर समाज में जागरूकता की कमी है। विशेषकर दिव्यांग व्यक्तियों को भीषण आपदा के समय कैसे सुरक्षित निकाला जाए, यह एक बड़ा मुद्दा है।
‘आपदा जोखिम से बचाव का अधिकार’ विषय पर आपदा जोखिम प्रबंधन से जुड़े संगठन डूअर्स के कार्यक्रम निदेशक और जापान, थाईलैंड, सेनेगल एवं नेपाल में अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रमों में नवनीत यादव हिस्सा ले चुके हैं।
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