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पहाड़ी खेती की बारीकियां जानने के लिए नौणी विवि के 51 बागवानी छात्र करेंगे किसानों के साथ काम
सोलन– किसानों की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और उनके द्वारा अपनाई जाने वाली कृषि तकनीकों से छात्रों को परिचित करवाने के उद्देश्य से डॉ॰ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी व वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के बीएससी औद्यानिकी के अंतिम वर्ष के 51 छात्र चार सप्ताह के रुरल अवेयरनेस वर्क एक्सपिरियन्स (Rural Awareness Work Experience (RAWE) प्रोग्राम के लिए रवाना होंगें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मानदंडों के अनुसार रावे प्रोग्राम, डिग्री का अनिवार्य हिस्सा है और छात्रों को कार्यक्रम के दौरान एक वेतनमान भी दिया जाता है।
छात्रों को दो समूहों में बांटा गया है और यह छात्र राज्य के सभी चार कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसानों के साथ काम करेंगे। हिमाचल के चार कृषि जलवायु क्षेत्रों कुल्लू, जाछ, चंबा और कंडाघाट में नौणी विवि के क्षेत्रीय अनुसंधान और कृषि विज्ञान केंद्र इन छात्रों की मेजबानी करेंगे। एक सप्ताह की अवधि के बाद, छात्र नए जलवायु क्षेत्र में जाएंगे, जिससे निर्धारित अवधि में सभी जलवायु क्षेत्रों को कवर किया जा सकेगा।
प्रत्येक जोन के अंतर्गत गांवों के एक समूह का चयन किया गया है और छात्रों के छोटे उप समूहों को प्रत्येक गांव से जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य संस्कृति को समझने के साथ-साथ ग्रामीण, सामाजिक सांस्कृतिक परिस्थिति, ग्रामीण विकास, जलवायु परिवर्तन, पशुपालन, फल, सब्जियां और सहकारी काम के बारे में सीखना है। वैज्ञानिक और किसानों की बीच बातचीत भी इस कार्यक्रम का हिस्सा होगी।
छात्रों को रवाना करने से पहले विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने सभी छात्रों से बातचीत की। अपने संबोधन में उन्होंने छात्रों से इस कार्यक्रम का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया। डॉ कौशल ने छात्रों से कहा कि वह खुले दिमाग से जाए, क्योंकि यह उन लोगों से सीखने का एक शानदार अवसर है जो खेतों में बहुत मेहनत करते हैं।
उन्होंने कहा कि अंतिम उपयोगकर्ताओं और हमारे जैसे अन्य संस्थानों में विकसित नई और नवीन तकनीकों के सबसे बड़े हितधारकों के साथ बातचीत करने को यह एक सुनहरा मौका है। विश्वविद्यालय के एंबेसडर होने के नाते, आपको किसानों के साथ बातचीत करके, उनकी समस्याओं का विश्लेषण करने और विशेषज्ञों के परामर्श से उन्हें आसानी से लागू होने वाले वैज्ञानिक समाधान प्रदान करने के इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
डॉ. कौशल ने कहा कि यह कार्यक्रम विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में बागवानी और संबद्ध गतिविधियों के संबंध में ग्रामीण परिवेश को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने छात्रों से समूह और उनकी मेजबानी करने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कोविड़ की रोकथाम प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ केके रैना ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण परिस्थितियों को समझना, किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता देने के साथ-साथ किसानों द्वारा अपनाई गई बागवानी प्रौद्योगिकियों की स्थिति को जानना है। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास के लिए किसान परिवारों के साथ काम करने के कौशल और दृष्टिकोण को छात्रों में विकसित करना है और ग्रामीण क्षेत्रों में संपूर्ण विकास के लिए कृषि परिवारों के साथ काम करने का रवैया बनाना है
औदयानिकी महाविद्यालय की डीन डॉ. अंजू धीमान ने बताया कि कोविड़ के कारण पढ़ाई के व्यावहारिक पहलू में थोड़ी परेशानी हुई थी, लेकिन इस अवसर का उपयोग महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए और इससे कक्षाओं में प्राप्त ज्ञान को वास्तविक दुनिया की स्थितियों में लागू करने और कार्यक्रम के दौरान प्राप्त ज्ञान छात्रों को पेशेवर रूप से विकसित होने में मदद करेगा। डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. एमके ब्रह्मी, डॉ. रश्मी चौधरी, डॉ. प्रमोद वर्मा और डॉ अदितिका शर्मा ने भी छात्रों को संबोधित किया और उनके साथ सुझाव साझा किए।
प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में विस्तार शिक्षण विधियों के उपयोग से छात्रों में संचार कौशल का विकास और उन्हें विस्तारित और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों से परिचित करवाना भी रावे प्रोग्राम का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। छात्रों को पहले से ही दो सप्ताह के उन्मुखीकरण कार्यक्रम से गुजरना पड़ता है। रावे से लौटने के बाद छात्रों को 2 महीने के लिए इंडस्ट्री अटैचमेंट भी करवाई जाएगी जिसके बाद प्रत्येक समूह द्वारा किए गए कार्य की रिपोर्ट जमा करनी होगी।
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विश्वविद्यालय को आरएसएस का अड्डा बनाने का कुलपति सिंकदर को मिला ईनाम:एनएसयूआई
शिमला- भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने हिमाचल प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों मे भगवाकरण का आरोप प्रदेश सरकार पर लगाया हैं। भाजपा की ओर से एचपीयू के कुलपति को राज्यसभा का उमीदवार बनाने पर प्रदेश सरकार ओर भाजपा नेतृत्व को आडे़ हाथ लेते हुए एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा की एनएसयूआई बीते कई दिनों से प्रदेश विश्वविद्यालय में भगवाकरण को बढ़ावा दिया जाने के खिलाफ मुखर थी।
छत्तर ठाकुर ने बताया की एनएसयूआई ने लगातार कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था,जिसमें उन्होंने कुलपति की योग्यता के खिलाफ लगातार प्रश्न चिन्ह उठाए थे।
वहीं कुलपति के बेटे की फर्जी तरीके से यूजीसी के नियमों के खिलाफ जाकर पीएचडी में दाखिले, इसके अलावा प्रदेश विश्वविद्यालय मे 160+ प्रोफेसरों, गैर शिक्षक वर्ग व आउटसोर्स के माध्यम से सैकडो़ भर्तीयां प्रदेश विश्वविद्यालय में की गई, जिनमें यूजीसी के नियमों की धजियां उडा़ई गई, नियमों को ताक पर रख कर गलत तरीके से कई साक्षात्कार किए गए, विश्व विद्यालय के बुनियादी ढांचे के विकास मे कई घोटाले बाजी की गई, सैनिटाइज़र मशीनों के नाम पर घोटालेबाजी की गई,एनएसयूआई ने इन सभी मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जिसके लिए एनएसयूआई के तीन पदाधिकारियों को असवैधांनिक तरीके से विश्वविद्यालय से निष्कासित भी किया गया।
उन्होंने कहा कि एनएसयूआई के लगातार इन सभी मुद्दों को उठाने के बाद चुनावी वर्ष आते ही अब कुलपति को शिक्षा विभाग से हटा दिया गया।
एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष ने बताया की वाईस चांसलर को राज्यसभा भेजा जाए या लोकसभा लेकिन प्रदेश मे सता परिवर्तन तय है और सरकार बदलते ही प्रदेश सरकार से इन सभी गलत तरीके से हुई भर्तियों की ओर विश्वविद्यालय में हुई घोटालेबाजी की जांच करा कर, दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करवाई जाएगी।
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जब छात्र हॉस्टल में रहे ही नहीं तो हॉस्टल फीस क्यों दे:एसएफआई
शिमला- प्रदेश विश्वविद्यालय के होस्टलों में रह रहे छात्रों की समस्याओं को लेकर आज एचपीयू एसएफआई इकाई की ओर से वित्त अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से एसएफआई ने छात्रों से 2020-2021 के सत्र की हॉस्टल कंटीन्यूशन फीस न लेने की मांग की है।
एसएफआई इकाई अध्यक्ष रॉकी ने कहा कि कोरोना काल की हॉस्टल कंटीन्युशन फीस को माफ़ किया जाना चाहिए क्योंकि कोरोना ने पहले छात्रों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी है और छात्रों ने हॉस्टल सुविधा का उपयोग भी नहीं किया है।
इकाई अध्यक्ष ने कहा कि जब कोरोना काल में छात्र हॉस्टल में रहा ही नहीं तो छात्र हॉस्टल फीस क्यों दे? उन्होंने बताया कि हिमाचल विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला अधिकतर छात्र समुदाय आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से संबंध रखता है। ऐसे में इस समय में जहां तो वि.वि. प्रशासन को छात्रों के लिए फीस पर रियायतें देनी चाहिए थी, वहीं इसके विपरीत विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों से जबरदस्ती फीस वसूलने में लगा हुआ है। जिससे छात्र मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं।
अध्यक्ष रॉकी ने यह भी कहा कि कोरोना काल में सिर्फ परीक्षा के समय ही हॉस्टल खुले थे जिसके लिए छात्रों ने उतने समय की फीस उस समय दे दी थी और उसके बाद उस सत्र में अधिकतर समय हॉस्टल बंद ही रहे थे। अब विश्विद्यालय किस आधार पर छात्रों से फीस मांग रहा है यह सवाल एसएफआई ने वित्त अधिकारी के समाने रखा है।
अध्यक्ष ने बताया कि बहुत से छात्र ऐसे है जिनकी विश्वविद्यालय प्रशासन अब डिग्री लेने पर भी रोक लगा रहा है।
एसएफआई इकाई ने कहा है कि अगर जल्द से जल्द इन छात्र मांगों को पूरा नहीं किया गया तो आने वाले समय में एसएफआई आम छात्रों को लामबंद करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी।
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एचपीयू की स्वतयत्ता बहाली की मांग को लेकर एबीवीपी ने शिक्षा मंत्री को सौंपा ज्ञापन
शिमला- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्वायत्तता बहाली की मांग को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ऐतिहासिक पिंक पैटल पर धरना प्रदर्शन किया गया।
एबीवीपी इकाई सचिव कमलेश ठाकुर ने कहा कि प्रदेश का प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अधिनियम 1970 के अनुच्छेद 21 एवं 28(1) में वर्ष 2015 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से किए गए संशोधन की वजह से विश्वविद्यालय के विकास कार्य तथा छात्र हितों में शीघ्र निर्णय लेने की प्रक्रिया में बहुत बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि बीते वर्ष 22 जुलाई को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान इन संशोधनों को वापिस लेने तथा विश्वविद्यालय की स्वायतता को पुनः बहाल करने की घोषणा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ओर शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर की ओर सेकी गई थी जिसका विद्यार्थी परिषद ने स्वागत किया था,लेकिन अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से इस घोषणा का पूरा नहीं किया गया है जिसके कारण विश्वविद्यालय में कई विकास कार्यों और नियुक्तियों को लेकर बाधाएं आ रही है।
कमलेश ने कहा की किसी भी विश्वविद्यालय के विकास तथा गुणवत्ता के लिए उसकी पूर्णतः स्वायतता का होना अति आवश्यक है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्वायतता न होने की वजह से विश्वविद्यालय के विकास से संबंधित और महत्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी होना विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों व कर्मचारियों के लिए सही नहीं है। स्वायतता बहाल न होने के कारण विवि प्रशासन विश्वविद्यालय से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय नहीं ले पा रहा है ।
इकाई सचिव ने कहा कि अनुच्छेद 28(1) के अंतर्गत विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं गैर शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों के पदों का सृजन व पदों की भर्तियां, पदोन्नति नियमों का निर्माण एवं संशोधन इत्यादि सर्वप्रथम प्रदेश सरकार की वित्त समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित है। उसके पश्चात वह प्रस्ताव कार्यकारिणी परिषद में विचारार्थ/ अनुमोदनार्थ हेतु प्रस्तुत किया जाता है जिस वजह से विश्वविद्यालय में विकासशील कार्य करने में बहुत समय लगता है।
उन्होंने कहा जहां तक पदों की भर्तियां व उनके सृजन का सम्बंध है, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों व गैर शिक्षकों की भर्तियां व पदों का सृजन प्रदेश सरकार के आदेशानुसार और स्वीकृति के बाद ही संभावित होती है। कई बार कुछ प्रकरणों पर विश्वविद्यालय को शीघ्र कार्रवाई ओर शीघ्र निर्णय लेना बहुत आवश्यक होता है,लेकिन उपरोक्त अधिनियम में संशोधन की वजह से इन कार्यों में बहुत देरी हो जाती है।
विद्यार्थी परिषद का मानना है कि विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान के लिए विकास कार्यो में और महत्वपूर्ण निर्णय लेने में देरी होना प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों व कर्मचारियों के लिए सही नहीं है।
विद्यार्थी परिषद प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि अधिनियम 1970 के अनुच्छेद 21 एवं 28 में वर्ष 2015 में किए गए संशोधन पर सरकार पुनः विचार करे ओर प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों व कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त अधिनियम में किए गए संशोधन को पुनः इसके मूल रूप में बहाल करे, ताकि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्वायतता यथावत बनी रहे।
धरने प्रदर्शन के उपरांत एबीवीपी एचपीयू का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा और सरकार से मांग की है कि प्रदेश सरकार जल्द से जल्द विवि की स्वायतता को बहाल करे ताकि विवि प्रशासन अपने बलबूते पर विश्वविद्यालय के विकास एवं अन्य मुद्दों पर फैसले ले सके।
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