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दो वर्षों में अपने ऐशो आराम के लिए जनता के पैसों से फिजूलखर्ची के अलावा कुछ भी नहीं कर पाया शिमला नगर निगम:चौहान
शिमला– नगर निगम शिमला में बीजेपी के दो वर्षों का कार्यकाल पूर्णतः विफल रहा है। इन दो वर्षों में पानी व कूड़े की दरों, किराया आदि में वृद्धि कर जनता के ऊपर आर्थिक बोझ डालने व सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने के अतिरिक्त कुछ नहीं किया गया है तथा अपने ऐशो आराम के लिए नई गाड़ियां खरीद कर जनता के पैसों से फिजूलखर्ची को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह कहना है भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के नेता और शिमला शहर के पूर्व मेयर संजय चौहान का।
चौहान का कहना है कि पूर्व नगर निगम के प्रयासों से वर्ष 2016 में पेयजल की सभी योजनाओ को सरकार से अपने अधीन लेने के पश्चात जो ग्रेटर शिमला वाटर सप्लाई एंड सिवरेज सर्कल(GSWSSC) का गठन कर इसमें सुधार का कार्य किया गया था, जिसमें मुख्यतः गिरी, गुम्मा व अश्विनी खड्ड पेयजल योजनाओं की पाइपलाइन व पम्पो को बदलने का कार्य किया गया तथा टैंकों की मुरम्मत की गई, उसका ही नतीजा है कि 20 से 28 MLD मिलने वाला पानी आज 50 MLD से उपर तक पहुंच गया है। परन्तु जिस प्रकार से शिमला शहर में गत वर्ष 2018 में नगर निगम के कुप्रबंधन के कारण पानी के त्राहि त्राहि हुई और विश्वभर में शहर की बदनामी हुई उसके लिए शहरवासी कभी भी वर्तमान बीजेपी शासित नगर निगम को मुआफ़ नहीं करेगी।
2 वर्ष में न तो पानी के मीटर लगा पाया, न ही बिल मीटर रीडिंग के आधार पे दे पाया निगम
वर्तमान नगर निगम की विफलता इससे भी स्पष्ट हो जाती है कि पूर्व नगर निगम ने पूरे शहर के पानी के मीटर बदल कर जून, 2017 से पानी के बिल हर महीने मीटर रीडिंग के आधार पर देने का कार्य जोरो पर आरम्भ कर दिया था परन्तु आज 2 वर्ष बीतने के बावजूद न तो पूरे मीटर बदले गए न ही हर महीने पानी के बिल मीटर रीडिंग के आधार पर दिए जा रहे हैं। हद तो तब हो गई हैं कि कई वार्डो में तो मार्च, 2018 यानी तकरीबन एक साल तीन महीने बीतने के बावजूद पानी के बिल नहीं दिये गए हैं। इससे बीजेपी शासित नगर निगम की विफल कार्यशैली स्पष्ट होती है।
शहर के जीणोद्धार व आधुनिकीकरण के लिए 2906 करोड़ रुपये की स्वीकृत परियोजना में 2 वर्ष के पश्चात कोई प्रगति नही
उन्होंने कहा कि पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2016 में शिमला शहर के लिए पेयजल व सीवरेज के सुधार व सतलुज से 65 MLD अतिरिक्त पानी उपलब्ध करवाने हेतू विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर की परियोजना स्वीकृत करवाई गई थी। इससे शहर में 24×7 पानी शहर में दिया जाना था। परन्तु अभी तक इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है। इसके विपरीत वर्तमान नगर निगम ने प्रदेश सरकार के दबाव के चलते पानी को अपनी परिधि से बाहर कर कंपनी का गठन कर इसके निजीकरण का कार्य कर दिया है।
स्मार्ट सिटी परियोजना, जो कांग्रेस की राज्य सरकार व केंद्र की बीजेपी सरकार के विरोध के बावजूद एक लम्बे संघर्ष के पश्चात उच्च न्यायालय में दखल से पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2016 में शिमला शहर को इसमें सम्मिलित किया था तथा शहर के जीणोद्धार व आधुनिकीकरण के लिए 2906 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की थी। परन्तु आज 2 वर्ष से अधिक समय बीतने के पश्चात अभी तक इसमें कोई प्रगति नही की गई है। इससे नगर निगम व प्रदेश सरकार का शिमला शहर के प्रति उदासीन रवय्या स्पष्ट होता है।
सफाई व्यवस्था पूर्णतःध्वस्थ, महीनों तक नहीं उठ रहा कूड़ा
चौहान ने कहा कि आज शिमला शहर में सफाई व्यवस्था पूर्णतः चरमरा गई है। कई वार्ड तो ऐसे हैं जहाँ महीनों तक कूड़ा नहीं उठ रहा है। पूरे शहर में गंदगी फैली है परन्तु इस ओर नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है। यहां तक कि सत्तारूढ़ बीजेपी के कई पार्षद भी इस पर कई बार प्रश्नचिन्ह लगा चुके हैं। भरयाल स्थित कूड़े से बिजली बनाने वाला प्लांट 2 वर्ष पूर्व लगाया गया है परन्तु वर्तमान नगर निगम इसे चलाने में पूर्णतः विफल रही है और आज इन कूड़े के ढेरों में कई दिनों से आग लगी है औऱ इससे पूरे शहर व इसके साथ लगते क्षेत्रों की हवा में जहर घुल रहा है तथा पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। परंतु नगर निगम इसको रोकने व सफाई व्यवस्था को सुचारू करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है।
पुरानी योजनाओं का शिलान्यास कर किया जा रहा दिखावा व प्रचार
पूर्व नगर निगम द्वारा आरम्भ की गई परियोजनाएं जिनमे पार्किंग, पार्क, फुटब्रिज, सामूदायिक भवन,रोपवे, तहबाजारियों के पुनर्वास, शहरी गरीब के लिए आवास, लेबर होस्टल, लक्कड़ बाज़ार से लिफ्ट व लिफ्ट से छोटा शिमला टनल आदि के निर्माण में वर्तमान नगर निगम कोई रूचि नहीं दिखा रही हैं। आज भी आई जी एम सी, विकास नगर, कैथू, स्नोव्यू, रामनगर, पंथाघाटी, ढली आदि स्थानों जो पार्किंग व फुटब्रिज का निर्माण कार्य होना है उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कसुम्पटी में जो शहर का आधुनिकतम रानी ग्राउंड पार्क का निर्माण जो 90 प्रतिशत वर्ष 2017 में पूर्ण हो गया था पिछले 2 वर्षों में शेष 10 प्रतिशत कार्य भी पूर्ण कर इसे जनता को समर्पित नही किया गया है। केवल पुरानी योजनाओं का शिलान्यास कर दिखावा व प्रचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित नगर निगम अपनी व शहरवासियों की बहुमूल्य सम्पत्तियों जिसमें ऐतिहासिक टाउन हॉल, टूटीकंडी क्रॉसिंग बहुउद्देश्यीय कॉम्प्लेक्स व पार्किंग, लिफ्ट, पार्क आदि को सुरक्षित रखने में पूर्णतः विफल रही है। टाउन हॉल जो शुरू से ही नगर निगम की सम्पत्ति है और इसमें नगर निगम का कार्यालय रहा है इसे हासिल करने में वर्तमान नगर निगम कोई रूचि नहीं दिखा रहा है और सरकार की मंशा में सहमति प्रदान कर इसे किसी संस्था को गुपचुप तरीके से देने के लिए कार्य किया जा रहा है। जोकि शहर की जनता के साथ एक बड़ा धोखा किया जा रहा है।
सब्जी मंडी, अनाज मंडी, टिम्बर मार्किट व ट्रांसपोर्ट एरिया को शहर से बाहर शिफ्ट करने के लिए नहीं किया कोई भी कार्य
वर्तमान नगर निगम द्वारा शहर से सब्जी मंडी, अनाज मंडी, टिम्बर मार्किट व ट्रांसपोर्ट एरिया को शहर से बाहर पूर्व नगर निगम द्वारा चिन्हित स्थानों में शिफ्ट करने के लिए कोई भी कार्य नहीं किया गया है। इससे जनता को रोजाना लगने वाले ट्रैफिक जाम से निजात मिलनी थीं तथा कारोबारियों को भी खुले में कारोबार का अवसर प्राप्त होना था।
निगम अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में विफल
चौहान ने ये भी आरोप लगाया कि वर्तमान नगर निगम अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में विफल रहा है। आज चाहे स्वास्थ्य विभाग में सफाई कर्मचारी हो या जल आपूर्ति विभाग का कंपनी में भेजा कर्मचारी हो वह सभी प्रताड़ित व शोषित महसूस कर रहे हैं। सैहब सोसाइटी के कर्मचारियों का काम का बोझ तो बढ़ाया जा रहा है परन्तु इनका वेतन नही बढ़ाया जा रहा है। जल आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों को जबरन कंपनी की सेवा शर्तों पर कार्य के लिए मजबूर किया जा रहा है। सरकार द्वारा नई भर्ती पर रोक से कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। ऐसे हालात पैदा कर अब पानी के साथ साथ अब सफाई भी ठेके पर देने का कार्य वर्तमान नगर निगम ने किया है।
बीजेपी शासित नगर निगम शिमला गत दो वर्षों में शहर के विकास को दिशा देने व पूर्व नगर निगम द्वारा स्वीकृत योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में भी पूर्णतः विफल रही है। शहर में विकास का चक्र ठप हो गया है। बीजेपी शासित नगर निगम ने जनविरोधी नीतियों को लागू कर जनता पर आर्थिक बोझ लादने का कार्य किया है। मूलभूत सुविधाओं जैसे पानी, सफाई, बिजली, पार्किंग, सड़क आदि का निजीकरण कर जनता की जेब मे डाका डाला जा रहा है। चौहान ने कहा कि सी.पी.एम. इन जनविरोधी नीतियो को बदलने के लिए इनके विरुद्ध जनता को लामबंद कर जनआंदोलन करेगी और ये तब तक जारी रहेगा जब तक बीजेपी की सरकार व नगर निगम इनको नहीं बदलेगी तथा जनता को बेहतर सुविधाएं व राहत नहीं प्रदान करेगी।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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