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शिक्षक दिवस पर हिमाचल के 16 शिक्षकों को पुरुस्कार, 4 को सम्मान
शिमला- शिक्षक दिवस के उपलक्ष पर आज हिमाचल प्रदेश के 16 शिक्षकों को राजभवन में आयोजित राज्य स्तरीय उत्सव समारोह में राज्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जिसमे राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके चार शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की उपस्थिति में यह सम्मान दिया गया।
राज्यपालआचार्य देवव्रत ने पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डा. एस. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके जन्म दिवस के अवसर पर देश भर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की उपस्थिति में वर्ष 2017 के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा पुरस्कारों का वितरण किया गया।
राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि
एक अच्छा इंसान बनने के लिए शिक्षा मुख्य आधार है। बच्चों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्य एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करना है, इसलिए शिक्षकों पर छात्रों में नैतिक मूल्यों का संचार करने की बड़ी जिम्मेवारी है। जीवन में दोहरे चरित्र के साथ नहीं जीना चाहिए।अध्यापन एक पुनीत व्यावसाय है तथा इसमें शिक्षकों को बेहद जिम्मेदारी के साथ अपने आचरण, चरित्र तथा विचारों से छात्रों को प्रभावित कर उन्हें ईमानदारी से कर्तव्यों को पालन करना सिखाना चाहिए।\
पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए राज्यपाल ने शिक्षक समुदाय से और अधिक वचनबद्धता व समर्पण के साथ कार्य करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक सक्षम हो तो वह छात्रों में अच्छे संस्कार संचारित कर सकता है।
सम्मानित शिक्षकों की सूची
1.सुरेश कुमार विद्यार्थी, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला उदयपुर
2.अदिति कंसल,वरिष्ठ माध्यमिकपाठशाला राजुपरा
3.धर्मपाल,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कियोलीधार
4. राकेश कुमार,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रिकांगपिओ
5.विजय भारत दीक्षित,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला थुरल
6.जोगिन्द्रपाल,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला काँगड़ा
7.मनीषा कुमारी, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पालमपुर
8. प्रेम राज शर्मा,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लक्क्ड़ बाजार
9.जगत राम शर्मा,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हलां
10.हरिदास चौहान,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ज्यूरी
11.छेरिंग गटुक, केन्द्रीय प्राथमिक पाठशाला सिचलिंग
12.चौकस राम,रा.प्रा.पा.धनगोटा
13.हरि चंद, रा.प्रा.पा. चिलेज
14. दलीप सिंह चौहान,केन्द्रीय प्राथमिक पाठशाला बड़योगी
15.जोगिन्द्र सिंह,केन्द्रीय प्राथमिक पाठशाला मट्टाहणी
16.जय प्रकाश श्याम,रा.प्रा.पा.शरण कांडल
चार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता जिन्हें सम्मानित किया गया
1.भूपेन्द्र गुप्ता, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला प्रधानाचार्य भूमति
2.कृष्ण चंद, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पौड़ाकोठी
3.नरेश कुमार शास्त्री,वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शोरशण
4.श्याम लाल सीएचटी,केन्द्र प्राथमिक पाठशाला सगिरठी
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है। आज हिमाचल प्रदेश बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी प्रदेश की भूमिका निभा रहा है तथा एक सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश को देश में युवाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए बड़े राज्यों में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है।
उन्होंने कहा कि साक्षरता दर, जो वर्ष 1951 में 7.98 प्रतिशत थी, आज बढ़कर 88 प्रतिशत हो गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता था। लेकिन आज, विद्यार्थियों को उनके घरद्वार के समीप बुनियादी एवं उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश में 15636 स्कूल तथा 129 कॉलेज कार्यरत हैं। वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान दूरदराज के क्षेत्रांं में 50 नये कॉलेज खोले गए हैं और आज लड़कियां उच्च शिक्षा के मामले में अधिकांश संस्थानों में लड़कों को पीछे छोड़ रही हैं।
राज्य सरकार ने छात्रों के कौशल उन्नयन के उददेश्य से प्रदेश के 967 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा आरम्भ की है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पुरस्कृत शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि
इस उत्कृष्ट व्यावसाय में अपने जीवनकाल में पुरस्कार प्राप्त करना गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि शिक्षक सभ्य समाज की रीढ़ हैं तथा उन्हें विद्यार्थियों को न केवल ज्ञानवर्धक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए, बल्कि छात्रों में आरम्भ से ही अनुशासन, नैतिक मूल्य, आदर्श व सैद्धांतिक ज्ञान का संचार करना चाहिए।
इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर लेडी गवर्न दर्शना देवी, निदेशक उच्च शिक्षा बीएल बिंटा, वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, मुख्य सचिव वीसी फारका, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न स्कूलों के अध्यापक एवं विद्यार्थी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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