इको टूरिज्म
निष्कासित छात्र नेताओं का निष्कासन वापिस ले विश्विद्यालय प्रशासन वर्ना उग्र होगा आंदोलन:एनएसयूआई
शिमला- हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय में आज कार्यकारिणी परिषद की बैठक के चलते माहौल तनावपूर्ण रहा। सभी छात्र सगठनों ने अपनी-अपनी मांगों को लेकर परिसर में धरना प्रदर्शन करने के साथ ही परिषद के सदस्यों का घेराव भी किया।
छात्र संगठन एनएसयूआई ने भी अपनी मांगों को ईसी सदस्यों के सामने रखा और सदस्यों का घेराव किया।
कुलपति कार्यालय के बाहर ही एनएसयूआई के कार्यकर्ता जुट गए और वहां बैठक में भाग लेने जाने वाले सदस्यों को रोक कर उन्हें अपना सात सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।
अपने इस मांग पत्र के बारे में बताते हुए एनएसयूआई इकाई के अध्यक्ष रजत भारद्वाज ने कहा कि एनएसयूआई मुख्य रूप से विश्विद्यालय से निष्कसित किए गए छात्र नेताओं को लेकर आंदोलनरत हैं।
उन्होंने कहा कि अगर एनएसयूआई के इन नेताओं का निष्कासन वापिस नहीं लिया जाता तो एनएसयूआई बहुत जल्द एचपीयू में उग्र आंदोलन करेगी।
इसके साथ ही अपनी अन्य मांगों में एनएसयूआई ने पीएचडी में यूजीसी के नियमों को दरकिनार कर कुलपति व अन्य प्रोफेसर के बच्चों के प्रवेश को तत्काल रद्द करने,यूजी और पीजी कक्षाओं के लंबित पड़े परीक्षा परिणामों को जल्द घोषित करने, ईआरपी सिस्टम की खामियों को जल्द से जल्द दुरुस्त करने और कोरोना काल में राहत के तौर पर छात्रों की कम से कम 6 महीने की फीस माफ़ करने के साथ ही वि.वि.के सभी शोधार्थियों को वैकल्पिक वजिफा प्रदान करने और छात्रावास आवंटन मे ईडब्लूएस( EWS) वर्ग को विशेष रूप से शामिल करने की मांग उठाई है।
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गन्दगी ने लगाया चेडविक फॉल की खूबसूरती को ग्रहण, गंदगी देख निराश लौट जाते हैं पर्यटक
शिमला- देवदार के शांत जंगल के बीच करीब 100 मीटर की ऊंचाई से जब पानी झरने का रूप लेकर गिरता है तो दिल छू देने वाला नजारा हर किसी के भी कदमों को रोक देता है। देवभूमि में ऐसे कई मनोरम दृश्य हैं। ऐसा ही एक झरना राजधानी शिमला में है, जिसे चैडविक फॉल के नाम से जानते हैं।
ये भी पढ़ें: शिमला का लोकप्रिय चैडविक फॉल(20 चित्रों में)
अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के कारण यह देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। विश्व पर्यटन पर अलग पहचान बनाने के बावजूद चेडविक फॉल का अस्तित्व खतरे में है। कभी इस झरने के पानी का प्रयोग लोग पीने के लिए करते थे, लेकिन आज यहां हर तरफ गंदगी का आलम है। समरहिल से महज दो किलोमीटर दूर यह झरना विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। अफसोस की बात है कि पर्यटन की दृष्टि से इतना महत्त्वपूर्ण स्थान संवारा ही नहीं गया। इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए रोजाना सैकड़ों देशी व विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन आसपास गंदगी देख निराश होकर लौट जाते हैं।
चैडविक फॉल के लिए समरहिल नेरी सड़क से होते हुए सन्होग स्कूल तक निजी टैक्सियों या बस के जरिए पहुंचा जा सकता है। यहां से झरने तक पहुंचने के लिए पैदल जाना पड़ता है। झरने के पास न तो कोई खाने-पीने का कोई प्रबंध है और न ही कोई अन्य सुविधा। पर्यटकों को स्थानीय लोगों द्वारा खोले गए छोटे-मोटे ढाबों से ही गुजारा करना पड़ता है। यहां पर ऐसा कोई होटल भी नहीं है, जहां पर्यटक एक-दो दिन के लिए रुक सकें।
प्राचीन मान्यता के मुताबिक
स्थानीय लोगों का कहना है कि जहां झरने का पानी गिरता है, वहां एक तालाब है और वहीं पर एक बड़ी चट्टान है। कभी यहां पर एक राक्षस रहता था। राक्षस को भोजन के रूप में गांव के लोग यहां पर सत्तू रखते थे। जब राक्षस ने ज्यादा तंग करना शुरू किया तो लोग देवता की शरण में चले गए। देवता ने राक्षस को बड़ी चट्टान के नीचे दबा दिया।
लिफ्ट हो रहा झरने का पानी
चैडविक फॉल से चायली, गड़ावग व पॉटरहिल के लिए पानी लिफ्ट होता है। बावजूद इसके सांगटी के अधिकतर घरों की गंदगी इसी झरने में बहाई जा रही है। पानी इतना दूषित हो गया है कि ग्रामीणों के पशु तक बीमार होने लगे हैं।
Photo: Himachal Watcher
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राज्य पर्यटन विकास निगम की हिमाचल पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल
“हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य , कला, संस्कृति एवं आतिथ्य को सभी तक पंहुचाने तथा प्रदेश में और अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने अन्य राज्यों के पर्यटन विकास निगमों तथा प्रसिद्ध होटल श्रंृखलाओं के साथ आपसी सहयोग का निर्णय लिया है, इस कार्य के लिये विभिन्न निगमों के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जाएंगे और एक.दूसरे की परिसंपत्तियों का विक्रय भी किया जाएगा”
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के प्रबन्धक निदेशक सुभाशीष पांडा ने यह आज यहां यह जानकारी दी कि निगम ने एक दूसरे की पर्यटन से संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम, गुजरात पर्यटन विकास निगम, पश्चिमी बंगाल पर्यटन विकास निगम, ओडि़शा पर्यटन विकास निगम, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगमों के साथ मामला उठाया है। इसके अतिरिक्त, ताज होटल गु्रप, रिजाॅर्ट्स एवं पैलेसिज़, ओबराय होटल एंड रिजाॅर्ट्स ग्रुप,आईटीसी लिमिटेड ;मौर्य शैर्टनद्ध होटल डिवीज़न को हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने राज्य में स्थित अपने होटलों में इन होटलों से आने वाले अतिथियों को सुविधाएं देने का प्रस्ताव भी दिया है।
सुभाशीष पांडा ने कहा कि विभिन्न राज्यों के पर्यटन विकास निगमों के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित करने से यह सभी निगम हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटलों में आॅनलाईन बुकिंग कर पाएंगे तथा अतिथियों के लिए इंटरनेट के माध्यम से ही परिवहन सुविधाएं भी आरक्षित कर पाएंगे। यह सुविधा 15 प्रतिशत कमीशन के आधार पर होगी। इस प्रकार जो पर्यटक हिमाचल आकर राज्य पर्यटन विकास निगम के होटलों में ठहरना चाहते हैं और निगम की परिवहन सुविधाओं का लाभ उठाना चाहते हैंए को सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली व गोवा पर्यटन विकास निगम के साथ बुकिंग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
उन्होंने इन विख्यात होटल श्रृंखलाओं के प्रबन्ध निदेशकों को पत्र लिखकर यह सूचित किया है कि वे आपसी लाभ के आधार पर हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इस प्रकार उनके यहां ठहरने वाले आगंतुकों को हिमाचल प्रदेश के चिन्हित होटलों में ठहरने की सुविधा दी जाएगी। चायल पैलेस, कैसल नग्गर, कुल्लू ;धरोहर परिसम्पत्ति, होली.डे.होम शिमला एवं
पीटरहाॅफ शिमला, पाईनवुड, बड़ोग, लाॅगहट्स आॅरचर्ड हट्स, मनाली ;लग्ज़री काॅटे्ज, धौलाधार एवं भागसू होटल धर्मशाला, चिंतपूर्णी हाईट्स, मणिमहेश, डलहौजी, इरावती, चम्बा इत्यादि हिमाचल पर्यटन विकास निगम की सूची में शामिल वह विख्यात होटल हैं जहां पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
पांडा ने विश्वास जताया कि निगम के यह प्रयास इसकी आय बढ़ाने में लाभप्रद सिद्ध होंगे। निगम राज्य के कुछ चिन्हित होटलों में धनाढ्य पर्यटकों की जरूरतें पूरी करने में समक्ष है।
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