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शिक्षा मंत्री के इशारे पर हो रही गैर कानूनी नियुक्तियों के विरोध को दबाने के लिए किया गया सुनियोजित हमला: एस.एफ.आई
शिमला- रविवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में दो गुटों की खूनी झड़प के बाद जंहा ए.बी.वी.पी ने एस.एफ.आई को जिम्मेदार ठहराया है, वंही एस.एफ.आई इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर रैली निकली और धरना प्रदर्शन कर आरएसएस और ए.बी.वी.पी के गुंडा तत्वों को गिरफ्तार करने की मांग की।
एस.एफ.आई ने कहा कि आज फिर आर.एस.एस के लोग लगभग 25 गाड़ियों में पॉटरहिल मैदान में शाखा लगाने आये! इस शाखा में वि.वि. के चीफ वार्डन,MTA विभाग के प्रोफेसर नितिन व्यास और YSP हॉस्टल के वार्डन संदीप सकलानी के साथ साथ वि.वि. के बहुत से कर्मचारी भी थे।
एस.एफ.आई ने आरोप लगाया कि उसके बाद आरएसएस और ए.बी.वी.पी के गुंडे जिसमें नितिन व्यास(प्रॉ। MTA),संदीप सकलानी(वार्डन YSP हॉस्टल),विशाल वर्मा,कार्तिक भोटा, अश्वनी कुमार,योगराज,नवीन कुमार,गौरव अत्री, प्रदीप(योगा विभाग),नरेश,ललित और प्रदीप इत्यादि शामिल थे, डंडो और रडों के साथ होस्टलों में घुसे और छात्रों को डराया धमकाया व होस्टलों में तोड़ फोड़ की
एस.एफ.आई ने आरोप लगाया कि पिछले कल दिनांक 24 मार्च 2019 को सुबह 6 बजे के आस पास जब विश्वविद्यालय के छात्र पॉटरहिल मैदान में क्रिकेट खेलने व मॉर्निंग वॉक के लिए गए थे तो आर.एस.एस के लगभग 40 से 50 लोग डंडों व तेज़धार हथियार लिए गाड़ियों में आते है और मैदान में खेल रहे एस.एफ.आई के लोगों के साथ साथ आम छात्रों पर जानलेवा हमला करते है।जिसमे लगभग 12 छात्र बुरी तरह से घायल हो जाते है।
एस.एफ.आई ने आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे मंशा साफ थी कि जब से एस.एफ.आई ने विश्वविद्यालय में शिक्षा मंत्री सुरेश भरद्वाज के इशारे पर आउटसोर्स के माध्यम से हो रही गैर कानूनी नियुक्तियों का विरोध किया है तब से सुरेश भरद्वाज,वि।वि।प्रशासन,जय राम सरकार और ए.बी.वी.पी के लिए यह चनौती बानी थी कि किस तरह से उनके काले कारनामे को छात्रों और जनता के सामने आने से रोका जाए
एस.एफ.आई का कहना है कि इसीलिए 24 मार्च की सुबह बड़े ही सुनियोजित ढंग से छात्रों पर जानलेवा हमला किया गया ताकि कोई भी छात्र इनके खिलाफ आवाज न उठाये और जनता का ध्यान स्थानांतरित हो जाए।
एस.एफ.आई ने कहा कि पूरा का पूरा वि.वि. प्रशासन और प्रदेश की भाजपा सरकार की शह में आरएसएस और ए.बी.वी.पी ने इस घटनाक्रम को अंजाम दिया है। पुलिस प्रशासन को शिकायत देने के बावजूद भी अभी तक आरएसएस और ए.बी.वी.पी के गुंडों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही नही की गयी है बल्कि उल्टा एस.एफ.आई के लोगो को गिरफ्तार किया गया है।
एस.एफ.आई ने कहा कि इसके साथ साथ वि.वि. प्रशासन रेड के नाम पर आज सुबह 4 बजे होस्टलों में आये और लगभग 40 छात्रों को गिरफ्तार किया गया।
एस.एफ.आई ने कहा कि इसके बाद शाम करीब 4 बजे बालूगंज में जेल से रिहा हुए एस.एफ.आई के साथियों के ऊपर ए.बी.वी.पी के योगराज डोगरा,विशाल वर्मा नवीन सूर्यवंशी,मनमोहन और उनके साथियों द्वारा तेज़धार हथियारों द्वारा जानलेवा हमला किया जाता है जिसमे लगभग 6 को गम्भीर चोटें आई है
एस.एफ.आई ने कहा कि पुलिस प्रशासन इनको गिरफ्तार करने और सरकार इनको रोकने की वजाय इनके साथ खड़ी है।
एस.एफ.आई ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि आरएसएस और ए.बी.वी.पी के गुंडों को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार किया जाए ताकि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र एक सुरक्षित वातावरन में अपनी पढ़ाई कर सके।
शैक्षणिक संस्थानों के अंदर आरएसएस की शाखा को किया जाये प्रतिबंधित:सी.पी.आई.एम
इसके अलावा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की शिमला शहरी कमेटी ने भी आज इस घटना के खिलाफ डीसी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया।
सी.पी.आई.एम ने आरोप लगाया कि जब से प्रदेश मे भाजपा सरकार बनी है यह सरकार शिक्षण संस्थानों का भगवाकरण कर रही है।
सी.पी.आई.एम ने कहा:
विश्वविद्यालय मे ताजा घटनाक्रम का मुख्य कारण यह है कि विश्वविद्यालय मे प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का छात्र समुदाय लगातार पर्दाफाश कर रहा है। भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए आरएसएस अब छात्रों पर हिंसक हमले कर रही है। विश्वविद्यालय छात्र गतिविधियों के लिए होता है लेकिन भाजपा वहां आरएसएस की गतिविधियों को बढावा देकर भगवाकरण करने का प्रयास कर रही है।
सी.पी.आई.एम ने कहा:
विश्वविद्यालय मे आरएसएस व इसका पिछलग्गू प्रशासन विवि मे मैरिट को दरकिनार कर अपने चहेतों को भर्ती करना चाह रही है और इसलिए कैंपस का माहौल खराब कर रही है।
माकपा ने प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन से मांग की है कि विवि व अन्य शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों के अंदर आरएसएस की शाखा को प्रतिबंधित किया जाये।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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