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दक्षिण एशियाई देशों की महिला एथलीटों ने साझा की धीरज और मज़बूत इरादे की हौसला देने वाली कहानियाँ
भारत की राजधानी दिल्ली से दूर मणिपुर की रहने वाली साइखोम मीराबाई चानू के बारे में चंद दिनों पहले तक ज्यादातर भारतीय न के बराबर जानते थे
कुछ ऐसा ही हाल असम की लवलीना बोरगोहेन, पंजाब की कमलप्रीत कौर, हरियाणा की सविता पुनिया, पंजाब की गुरजीत कौर, झारखंड की सलीमा टेटे या निक्की प्रधान का था। ये सब ओलम्पिक में भाग ले रहीं महिला खिलाड़ी हैं। हाँ, पीवी सिंधू को हम सब कुछ सालों से ज़रूर जानने लगे हैं। इन स्त्रियों में कोई वज़न उठा कर पटखनी दे रहा है तो कोई मुट्ठी की कला दिखा रहा है। तो किसी ने इतना ज़ोरदार चक्का फेंका कि सबकी आँखें खुली की खुली रह गयीं। किसी की फ़ुर्ती तो किसी की पैनी निगाहें सामने वाली हॉकी खिलाड़ी के हर वार को जब नाकाम करतीं तो लोग दाँतों तले अँगुलियाँ दबाने लगते तो किसी ने बिजली सी तेज़ी दिखाई और फ़िर सुनाई दिया गोल। ये खिलाड़ी अब मशहूर हो गयी हैं।।
हालाँकि, इन महिला खिलाड़ियों को शोहरत के इस मुकाम तक पहुँचने के लिए जितनी बाधाएँ पार करनी पड़ी होंगी, उतनी किसी बाधा दौड़ के धावक को नहीं करनी पड़ती होगी। इसीलिए ये ओलम्पिक में खेल रही और झंडा गाड़ रही हमारी बेटियाँ सिर्फ़ भारत की ही नहीं, पूरे दक्षिण एशियाई खिते की स्त्रियों की फ़ख़्र की वजह हैं। आज हमारे सभी पड़ोसी मुल्क भी गर्व कर रहे है इन बेटियों की कामयाबी से महिलाओं खिलाडी की इस शोहरत के पीछे की कहानी, मंजिल तक पहुचने के इनके संघर्ष, पूरे दक्षिण एशियाई खिते की एक है।
इसी विषय पर समझ बनाने के लिए, साउथ एशिया पीस एक्शन नेटवर्क (सपन – SAPAN) पिछले दिनों दक्षिण एशियाई देशों की अनेक महिला खिलाडीयों को एक साथ जोड़ा आर उनकी ऑनलाइन मीटिंग रखी गई। लगभग 14 खिलाड़ी एक साथ आयीं।इन्होंने अपने सामने आने वाली चुनौतियों और कामयाबियों पर चर्चा की. दिल को छू लेनी वाली कहानियाँ साझा कीं. हौसला देने वाली एकजुटता दिखायी।
इस ऑनलाइन मीटिंग का विषय था, ‘खेल में महिलाएँ: चुनौतियाँ और कामयाबियाँ.’ रविवार, 25 जुलाई को आयोजित यह चर्चा दो घंटे से ज़्यादा वक़्त तक चली।
इस बैठक में भविष्य में सहयोग के लिए कई विचार आये. इसमें एक किताब तैयार करने और दक्षिण एशियाई महिला एथलीटों का एक संघ बनाने की बात भी शामिल है।
मैंने हार नहीं मानी: ख़ालिदा पोपल
अफगानिस्तान की महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान ख़ालिदा पोपल ने कहा, ‘जंग ने हमसे सब कुछ छीन लिया है।’
उन्होंने कहा, ‘किसी न किसी को तो कदम उठाना पड़ता. मुझे परेशान किया गया. बहुत बुरा-भला कहा गया. हमला किया गया। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मेरी लड़ाई सिर्फ़ मेरे लिए नहीं थी। यह मेरी बहनों के लिए था। मेरे देश की बाकी दूसरी सभी स्त्रियों के लिए था।’
ख़ालिदा पोपल ने कहा, ‘दक्षिण एशिया हमारे घर की तरह है. हमारा दर्द एक जैसा है। सिर्फ़ एक चीज़ की कमी है. वह है, हमारे बीच एकता नहीं है।’
‘सपन’ की मासिक शृंखला
खालिदा उन दर्जन भर महिला खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने इस वेबिनार में भाग लिया। साउथ एशिया पीस एक्शन नेटवर्क (सपन) के बैनर तले ‘इमेजिन! नेबर्स इन पीस,’ मासिक शृंखला के तहत यह चौथा वेबिनार था। इस शृंखला का शीर्षक मशहूर वेबसाइट चौक डॉट कॉम के अप्रकाशित संग्रह से लिया गया है। रविवार का यह वेबिनार ‘साउथ एशिया वीमेन इन मीडिय’ (एसएडब्ल्यूएम) के सहयोग से आयोजित किया गया. कार्यक्रम का संचालन ‘ई-शी’ पत्रिका की संपादक एकता कपूर ने किया।
भाग लेने वाले एथलीटों के साथ चर्चा का संचालन एथलीटों के अधिकारों की वकालत करने वाली प्रमुख कार्यकर्ता और जिनेवा स्थित ‘सेंटर फॉर स्पोर्ट एंड ह्यूमन राइट्स’ की निदेशक और ट्रस्टी पायोशनी मित्रा और कराची की खेल पत्रकार नताशा राहील द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
मैं तो लड़के के भेष में क्रिकेट खेलती थी: नूरेना
अंतरराष्ट्रीय स्क्वैश खिलाड़ी नूरेना शम्स, पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के मलाकंद इलाके की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला एथलीट हैं। खालिदा पोपल की तरह नूरेना भी जंग के बीच पली-बढ़ी हैं। नूरेना ने कहा, ‘ मेरे कानों में अब भी बमों के धमाके गूँजते हैं।’ उन्होंने कहा कि उन्हें लगता था कि वे मर जायेंगी और कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा था कि वे स्क्वैश खेलेंगी। वह भी इतने बड़े स्तर पर।
नूरेना ने कहा कि ऐसे क्षेत्र में जहाँ लड़कियों के लिए तालीम हासिल करना ही बहुत बड़ी जद्दोजेहद है, वहाँ कोई खेल खेलना तो कठिन ही कठिन है। उन्होंने बताया, ‘मुझे पेशावर में क्रिकेट खेलने के लिए ख़ुद को एक लड़के के भेष में छिपाना पड़ता था।।’
नूरेना का सुझाव था, ‘…दक्षिण एशियाई लोगों को एक- दूसरे के लिए लगातार खड़े रहना चाहिए. यह किसी ट्रॉफी जीतने की बात नहीं है या इस बारे में भी नहीं है कि पहले किसने क्या किया। हमें जो करना है, मिल-जुलकर एक साथ करना है. एक-दूसरे के लिए खड़े रहना है।’
महिलाओं के लिए खेल का मुद्दा अहम है
‘सपन’ दक्षिण एशिया में अमन, इंसाफ़, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के सिद्धांतों को मज़बूत करने और आगे बढ़ाने वाले व्यक्तियों और संगठनों का एक गठबंधन है. इसकी शुरुआत इसी साल मार्च में हुई. अपने जन्म के बाद से ही ‘सपन’ सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के तौर पर सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा पर काम कर रहा है. ‘सपन’ खेल – और संघर्ष – को, खासकर महिलाओं के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के तौर पर ही देखता है.
इस बीच, टोक्यो में ओलंपिक शुरू हो चुका था. एक तरफ़ ‘सपन’ के कार्यक्रम में महिला खिलाड़ी, खेल को एक पेशे के रूप में अपनाने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में बात कर रही थी और दूसरी ओर भारत की झोली में पहला पदक एक महिला खिलाड़ी ने दिलाया. यह एक ऐसा संघर्ष है जिसका अधिकांश महिला खिलाड़ियों ने सामना किया है… और अक्सर यह संघर्ष घर से शुरू होता है.
लड़कियाँ खेल में आयें, सब सोचें: अशरीन
बांग्लादेशी बास्केटबॉल खिलाड़ी अशरीन मृधा ने जोर देकर कहा कि लड़कियों को खेलों में लाने की जिम्मेदारी केवल खेल संघों और खेल संगठनों की नहीं है. यह ज़िम्मेदारी दोस्तों, परिवारीजनों, चाचाओं-मामाओं, चाचियों-मामियों और भाइयों की भी है. इन सबको महिला खिलाड़ियों को बढ़ाने के लिए आगे आने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा, ‘जेंडर/ लैंगिक असमानता को केवल महिलाओं की समस्या मानकर सुलझाने की ज़रूरत नहीं है.’
विकलांग एथलीटों के सामने और कठिन संघर्ष
विकलांग एथलीटों को और भी कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ता है. गुलशन नाज़ को आंशिक तौर पर देख सकने में दिक़्क़त है. गुलशन, भारत के उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर सहारनपुर की रहने वाली हैं.
वे कहती हैं, ‘देख सकने में मजबूर यानी दृष्टि बाधित एथलीट को कोई भी प्रायोजित नहीं करना चाहता है.’
महिलाओं खिलाड़ियों के सामने पैसे का संकट
एक बड़ा मुद्दा पैसे या संसाधन का है. बांग्लादेश की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान रूहमाना अहमद सहित अनेक दक्षिण एशियाई एथलीटों ने महिला एथलीटों के सामने इस वजह से आने वाली चुनौतियों और मुश्किलों पर रोशनी डाली.
पाकिस्तान महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान सना मीर ने कहा, ‘महिलाओं को पैसा हासिल करने के लिए ख़ुद को साबित करना पड़ता है. दूसरी ओर, पुरुष न भी जीतें तो उन्हें पैसे की पूरी मदद दी जाती है.’
यहां तक कि जब महिला एथलीट पदक के मामले में पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं, तब भी उन्हें वह शोहरत या पैसा नहीं मिलता जैसा पुरुष खिलाड़ियों को मिलता है. इस मामले में भारत की महिला खिलाड़ियों को हम देख सकते हैं.
महिला खिलाड़ी खेल न छोड़ें: निशा
वेबिनार में भाग लेने वालों ने जेंडर स्टीरियोटाइप तोड़ने की ज़रूरत और अहमियत के बारे में भी चर्चा की. भारत की ओलंपियन तैराक निशा मिलेट जुड़वाँ बेटियों के साथ इस बैठक में शामिल थीं. उन्होंने महिलाओं से अपील की कि प्रतिस्पर्धी खेल छोड़ने के बाद भी वे खेल न छोड़ें. वे खिलाड़ियों की अगली पीढ़ी को बनाने के लिए और उन्हें कोचिंग देने, सलाह देने, बढ़ावा देने में योगदान देने के लिए आगे आयें.
कौन–कौन शामिल हुआ
इस कार्यक्रम में बोलने वाली खिलाड़ियों में भारत की एथलीट और खेल निवेशक आयशा मनसुखानी, श्रीलंका की कार्यकर्ता और पूर्व नेटबॉल खिलाड़ी कैरिल टोज़र, बांग्लादेश की क्रिकेटर चंपा चकमा, बांग्लादेश की पुरस्कार विजेता भारोत्तोलन चैंपियन माबिया अख़्तर शिमांटो, भारत/संयुक्त अरब अमीरात की क्रिकेटर कोच और भारत ए टीम के पूर्व खिलाड़ी रूपा नागराज और नेपाल की राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी प्रीति बराल शामिल थीं.
मैं इनकी बातें सुनकर दंग हूँ: नजम सेठी
प्रमुख विश्लेषक नजम सेठी ने इन सबकी बात सुनने के बाद कहा, ‘मैं बहुत ही मुश्किल हालात में आगे बढ़ने वाली इन खिलाड़ियों के साहस और दृढ़ संकल्प की बातें सुन कर दंग हूँ. कैसे इन्होंने मुस्कुराते हुए अपनी आपबीती सुनायी. मैं बेहत प्रभावित हूँ.’
नजम सेठी ने कहा कि दक्षिण एशिया की सभी महिला एथलीटों को लीडरशिप के मुद्दे, आर्थिक संकट, भेदभाव, स्टीरियोटाइप जैसी समस्याओं से लड़ना-जूझना पड़ रहा है. लेकिन उन्होंने दो और चिंताओं की तरफ़ ध्यान दिलाया. वे चिंता हैं- महिलाओं का वस्तुकरण और यौन उत्पीड़न. उनका कहना था कि इस पर और ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है.
नजम सेठी एक प्रकाशन भी चलाते हैं. उन्होंने कहा कि इस चर्चा में उन्होंने जो कहानियाँ सुनीं, इन सब बातों को तो एक किताब की शक्ल में सामने आना चाहिए. ‘सपन’ टीम इस परियोजना पर काम करने के लिए सहमत हुई है.
इस आयोजन में दक्षिण एशियाई महिला एथलीटों का संघ बनाने का भी विचार आया. अनेक प्रतिभागियों को यह विचार पसंद आया.
वीज़ा मुक्त दक्षिण एशिया
प्रख्यात शिक्षाविद् बायला रज़ा जमील ने कार्यक्रम के दौरान ‘सपन’ के घोषणापत्र को पढ़कर सुनाया. इस घोषणापत्र में वीज़ा मुक्त दक्षिण एशिया के साथ ही व्यापार, पर्यटन और यात्रा में आसानी देने की माँग की गयी है. उन्होंने मौजूद लोगों से इस घोषणापत्र का समर्थन करने का आह्वान किया.
पिछले वेबिनार की तरह ही ‘सपन’ ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिनके आदर्शों को संगठन आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. इनमें आईए रहमान, आसमा जहाँगीर, निर्मला देशपांडे, डॉ. मुब्बशीर हसन, मदनजीत सिंह जैसे लोग शामिल हैं. प्रतिभागियों ने उन प्रमुख दक्षिण एशियाई लोगों को भी याद किया, जिनका पिछले एक महीने में निधन हो गया है. साथी ही उन परिवारों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की जिनके परिवारीजन कोरोना वायरस महामारी के शिकार हुए हैं.
व्यंग्य नाटक ‘कैप्टन समीना’ की प्रस्तुति
वेबिनार में शोएब हाशमी ने खेल में महिलाओं पर एक छोटा व्यंग्य नाटक “कैप्टन समीना” की भी प्रस्तुति की. 1980 के दशक में पाकिस्तान में जनरल जियाउल हक की दमनकारी सैन्य तानाशाही के दौरान इस नाटक का प्रदर्शन हुआ था. हालाँकि, ख़तरों को भाँपते हुए इसे कभी रिकॉर्ड नहीं किया गया था. तब से चीजें बहुत बदल चुकी हैं. इसके बाद भी इस नाटक में महिलाओं के खेल को दबाने का मुद्दा जिस तरह से उठाया गया है, वह आज भी प्रासंगिक है.
वेबिनार के प्रतिभागी इस बात पर एकमत थे कि आगे बढ़ने का रास्ता एकता, एकजुटता और दक्षिण एशियाई सहयोग में है.
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मंत्रिमंडल के निर्णय: वन मित्रों की भर्ती को मंजूरी, 10 अंकों के व्यक्तिगत साक्षात्कार की शर्त समाप्त
शिमला – मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता मंत्रिमंडल की कैबिनेट बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में वन मित्रों की रूकी हुई भर्ती को मंजूरी प्रदान की गई, इंदौरा में फायर स्टेशन को मंजूरी, लाहौल स्पीति के शिंकुला में पुलिस पोस्ट की मंजूरी इसके अलावा अन्य मामलों पर स्वीकृति प्रदान की गई।
बैठक में वन विभाग में 2,061 वन मित्रों की नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की गई, जिसमें 10 अंकों के व्यक्तिगत साक्षात्कार की शर्त को समाप्त कर दिया गया है। बैठक में वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) 2023 में हाल ही में किए गए संशोधन के अनुरूप ईको टूरिज्म नीति-2017 में संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया है।
हमीरपुर में 150 नर्सिंग कर्मियों के भरें जाएंगे पद : –
बैठक में डॉ. राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, हमीरपुर में 150 नर्सिंग कर्मियों के पद सृजित कर भरने का भी निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर में जनरल मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपैडिक्स, एनेस्थीसिया और रेडियोलॉजी विभागों में एसोसिएट प्रोफेसर के छह पद और असिस्टेंट प्रोफेसर के 10 पद सृजित कर भरने का निर्णय भी लिया गया।
इन विभागों में भी भरें जाएंगे पद :-
हमीरपुर जिला के नादौन में एक नया उप-मंडल पुलिस अधिकारी कार्यालय खोलने के साथ-साथ विभिन्न श्रेणियों में पांच पदों को सृजित कर भरने को स्वीकृति प्रदान की गई।
कांगड़ा जिला के इंदौरा में एक नई अग्निशमन चौकी की स्थापना को मंजूरी दी गई। इसके सुचारू संचालन के लिए विभिन्न श्रेणियों के 13 पद सृजित कर भरने को भी मंजूरी प्रदान गई।
लाहौल-स्पीति जिला के केलांग पुलिस स्टेशन के अंतर्गत शिंकुला में एक नई पुलिस चौकी की स्थापना के साथ-साथ विभिन्न श्रेणियों में छह पदों को सृजित कर भरने को भी मंजूरी दी।
राज्य के छह हरित गलियारों के साथ ई.वी चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क का विस्तार :-
मंत्रिमंडल ने राज्य के छह ग्रीन कॉरिडोर के साथ ईवी चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क को निजी हितधारकों को शामिल करने को स्वीकृति प्रदान की। वर्तमान में, ग्रीन ग्रीन कॉरिडोर पर 77 ईवी चार्जिंग स्टेशन पहले से ही कार्यशील हैं। मंत्रिमंडल ने वाहन फिटनेस आकलन के लिए स्वचलित परीक्षण स्टेशन की स्थापना को भी मंजूरी दी, जिसमें उन्नत स्वचलित उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।
शोंगटोंग कड़छम विद्युत परियोजना के संबंध में मंत्रिमंडल उप-समिति की सिफारिशें स्वीकार : –
बैठक में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में 450 मेगावॉट शोंगटोंग कड़छम विद्युत परियोजना के संबंध में मंत्रिमंडल उप-समिति की सिफारिशों को स्वीकृति प्रदान करने का निर्णय लिया गया। इसमें कम्पनी को वित्त वर्ष 2026-27 तक परियोजना को पूरा करना सुनिश्चित करने के निर्देश शामिल हैं।
पार्किंग सुविधाओं के संचालन की समीक्षा के लिए कैबिनेट उपसमिति का गठन :–
शिमला शहर में पीपीपी मॉडल के अन्तर्गत संचालित पार्किंग सुविधाओं के संचालन की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडल उप-समिति के गठन को मंजूरी प्रदान की गई। समिति की अध्यक्षता राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी करेंगे। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह और नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी इस समिति के सदस्य होंगे। शिमला के विधायक हरीश जनारथा विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। यह समिति लिफ्ट पार्किंग, छोटा शिमला पार्किंग, संजौली पार्किंग, न्यू बस स्टैंड पार्किंग और टुटीकंडी पार्किंग की समीक्षा करेगी।
मंत्रिमंडल ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) का प्रशासनिक नियंत्रण अतिरिक्त महानिदेशक (होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा) को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त, एसडीआरएफ का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए अधिकतम दो वर्षों की अवधि के लिए होमगार्ड की प्रतिनियुक्ति को भी मंजूरी दी गई।
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गोबिंद सागर झील में क्रूज़ ट्रायल शुरू, अक्तूबर के अंत तक उपलब्ध होगी सुविधा
बिलासपुर-जिला बिलासपुर में इस वर्ष अक्तूबर के अंत तक पर्यटकों को क्रूज की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। इस बारे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जानकारी देते हुए कहा कि गोविंद सागर झील में क्रूज चलाने का ट्रायल आरम्भ कर दिया गया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिलासपुर से मनाली या कुल्लू तक हेली टैक्सी सेवा शुरू करने पर भी विचार कर रही है।
वहीं जिला ऊना के अंदरौली में गोविंद सागर झील में जल क्रीड़ा गतिविधियां भी शुरू होने वाली हैं। जिसे शुरू करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं और संभवतः इस माह के अंत तक इन्हें जारी कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत तक जल क्रीड़ा गतिविधियों, पैराग्लाइडिंग और अन्य संबद्ध गतिविधियों सहित साहसिक खेलों को शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन साहसिक गतिविधियों को औपचारिक रूप से शुरू करने के लिए शीघ्र ही अंदरौली में गोविंद सागर झील कार्निवल का आयोजन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला कांगड़ा के पौंग बांध में भी साहसिक खेल गतिविधियां शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस दिशा में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के मतियाल और जसवां- परागपुर विधानसभा क्षेत्र के नंगल चौक क्षेत्र में पौंग बांध में जल क्रीड़ा– गतिविधियां शुरू करने की अनुमति मिल गई है।
पर्यटन विभाग जून, 2025 तक शिकारा, क्रूज फ्लोटिंग रेस्तरां, हाउस बोट तथा अन्य जल आधारित खेल गतिविधियों का संचालन शुरू करने की योजना बना रहा है।
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शिमला में एचआरटीसी ने शुरू की मोबिलिटी कार्ड की सुविधा,जानिए कहां बनेगा कार्ड
शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम ने अपने तीन काउंटर, बुकिंग काउंटर मॉल रोड शिमला, पुराना बस अड्डा शिमला व अन्तर्राज्य बस अड्डा टूटीकंडी शिमला में नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) यात्रियों को जारी करने हेतू सुविधा उपलब्ध करवा दी है।
अब इच्छुक व्यक्ति हिमाचल पथ परिवहन निगम के उपरोक्त बुकिंग काउंटर से अपने नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड जारी करवा सकते हैं।
इस कार्ड का मूल्य 100 रु होगा और इसका उपयोग यात्री हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में यात्रा पत्र लेने के लिए कर सकेंगे।
इस कार्ड के उपयोग के लिए किसी प्रकार की इंटरनेट सुविधा की आवश्यकता नहीं होगी। शुरुआत में यह कार्ड शिमला लोकल की बसों में उपयोग किया जा सकेगा तथा अगले चरण में यह सुविधा हिमाचल पथ परिवहन निगम के अन्य क्षेत्रों की बस सेवा में भी उपलब्ध करवा दी जाएगी।
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