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कोटखाई केस: सीबीआई की टीम पहुंची शिमला, शुरू की जांच
शिमला- शिमला के कोटखाई में गुड़िया गैंगरेप एंड मर्डर केस में दिल्ली से सीबीआई की टीम शनिवार को शिमला पहुंच गई है।उन्होंने अपनी जांच टीम बना ली है। दैनिक समाचार-पत्र में छपी खबर के मुताबिक: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई के एसपी राम गोपाल इस टीम के प्रमुख हैं। एसपी राम गोपाल इसके प्रमुख हैं। बताया ये भी जा रहा है कि जांच एजेंसी ने इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया है। साथ ही विभिन्न धाराओं के तहत केस भी दर्ज कर लिया गया है हालांकि, अभी इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।
सूत्रों के अनुसार सीबीआई सबसे पहले मामले से संबंधित सभी अहम जानकारी पहले शिमला पुलिस से हासिल करेगी। साथ ही मामले से जुड़े दस्तावेज, हत्या आदि की रिपोर्ट भी अपने अधीन लेगी।इसके बाद मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि सीबीआई उन लोगों को भी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है जो अभी तक पुलिस जांच के दायरे में नहीं आए थे। सीबीआई की टीम गुड़िया के परिजनो से बातचीत कर सकती है। साथ ही घटनास्थल का मुआयना भी करेगी।
सीबीआई के लिए सबसे अहम कड़ी सूरज की पत्नी
सूत्रों के अनुसार सीबीआई के लिए सबसे अहम कड़ी सूरज की पत्नी नेपाली मूल की महिला को माना जा रहा है। इसका पति गुड़िया मामले में खुद आरोपी रहा है लेकिन लोग इसे निर्दोष करार दे रहे थे। इसकी कोटखाई थाने में ही हिरासत में हत्या कर दी थी। यह हत्या मंगलवार आधी रात को हुई थी। इसे लेकर एक अन्य आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद मृतक की पत्नी ने जिस तरह का बयान मीडिया में दिया है, उसने पुलिस की कहानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सीबीआइ ने लॉकअप में मारे गए आरोपी सूरज की पत्नी का बयान दर्ज किया। सूरज की पत्नी को सुरक्षा भी प्रदान की गई है। सूरज की पत्नी ने कहा था कि उसके पति को कुछ रसूखदारों ने मोहरा बनाया था, जबकि उसका कोई कसूर नहीं था।
हालांकि अगले दो दिनों में महिला का बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज करवाया जाएगा। हालांकि अभी सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। लेकिन पुलिस से सारा रिकॉर्ड कब्जे में ले लिया है। सीबीआइ ने चंडीगढ़ के एसपी रामगोपाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआइटी का गठन किया है। गौरतलब है कि सीबीआइ को हाईकोर्ट ने जांच के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। इस बीच मामले में अन्य आरोपियों को 27 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
बीती रात आरोपियों को अदालत में पेश किया गया था। जांच को हाथ में लेने के बाद सीबीआई गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ करने के साथ साथ सोशल मीडिया से इनपुट्स भी जुटाएगी। सूरज की पत्नी के संगीन रहस्योद्घाटन के बाद पुलिस ने उसे सुरक्षा दे दी है।सूरज की पत्नी के साथ हर समय चार महिला व चार पुरुष पुलिस कांस्टेबल और एक सीबीआइ इंस्पेक्टर भी रहेगा। ममता से पूछताछ कोटखाई थाने में हुई। एसपी शिमला सौम्या ने सुरक्षा देने की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की निष्पक्षता से जांच होगी। ममता व उसके बच्चों को शिमला लाकर गुप्त स्थान पर रखा गया है।
सूरज के शरीर पर बेल्ट व डंडों के निशान
दैनिक समाचार-पत्र में छपी खबर के मुताबिक: कोटखाई थाने के लॉकअप में मारे गए आरोपी सूरज की पीठ व अन्य हिस्सों पर बेल्ट के निशान थे। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक ऐसा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चल रहा है। सिर पर किसी तेज हथियार से हमला करने के बारे में कोई भी सबूत नहीं है। सूरज के गुप्तांग में मामूली चोटें रिपोर्ट में साफ जाहिर हुई हैं। आरोपी को जेल के अंदर रखा जाता है, उसकी बेल्ट, कलम या अन्य संवेदनशील वस्तुओं को अलग रख लिया जाता है। ऐसे में सूरज के शरीर पर उक्त निशान कैसे आए। उसकी दोनों टांगों में डंडों के निशान भी हैं। सवाल उठ रहा है कि सूरज की मौत कहीं पुलिस रिमांड में मारपीट से तो नहीं हुई। हालांकि पुलिस महानिदेशक ने किसी भी आरोपी को थर्ड डिग्री से इन्कार किया था।
सूत्रों के मुताबिक सूरज को दो आरोपियों सुभाष और राजू से अलग रखा था, लेकिन मौत से करीब एक घंटे पूर्व ही इन्हें एक लॉकअप में लाया गया। जिस लॉकअप में शव मिला था, वहां खून के निशान भी नहीं पाए गए। अगर राजू का सिर जमीन पर पटका गया तो फिर सिर से खून क्यों नहीं निकला।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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