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परीक्षा केंद्रों में जैमर स्थापित करने का प्रस्ताव
“पुलिस, इंटैलीजैंस एजेंसियांे एवं हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिकारी एवं कर्मचारियों के संयुक्त प्रयासों से कर्मचारी चयन आयोग ( एसएससी) की लिखित परीक्षा के दौरान नकल के लिए पूरी तरह संगठित अवैध धंधे का भण्डाफोड़ करने के दृष्टिगत राज्य में परीक्षा केंद्रों में जैमर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है”
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के. एस. तोमर ने आज यहां कहा कि राज्य में परीक्षा केंद्रों में जैमर स्थापित करने के लिए धनराशि उपलब्ध करवाने के लिए प्रदेश सरकार को शीघ्र ही प्रस्ताव भेजा जाएगा।
तोमर की अध्यक्षता में हाल ही में आयोग की बैठक मे यह निर्णय लिया गया। आयोग के सदस्य डाॅ. डी. सी. कटोच एवं प्रो. जे. सी. शर्मा भी बैठक में उपस्थित थे।
तोमर ने कहा कि हिमाचल प्रशासनिक सेवाएं (एचएएस) , हिमाचल न्यायिक सेवाएं (एचजेएस), राज्य स्तरीय प्रवक्ता पात्रता परीक्षा (एसएलईटी) इत्यादि जैसी विभिन्न परीक्षाओं के दौरान नकल की कोई भ्ी गुंजाईश न रहे, इसके लिए एहतियाती पग उठाने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि आयोग केवल एसएससी की लिखित परीक्षा का आयोजन करता है, जो संयुक्त स्नातक स्तर , कनिष्ठ अभियंता ( सिविल एण्ड इलैक्ट्रिकल), केंद्रीय पुलिस बलों में उप.निरीक्षक तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल इत्यादि में सहायक उप-निरीक्षक की भर्ती से संबंधित है। उन्होंने कहा कि नकल की किसी भी संभावना को रोकने के लिए तकनीक का उपयोग सुनिश्चित बनाया जाए इसलिए जैमर लगाना आवश्यक है।
तोमर ने कहा कि परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों की जांच पर बल दिया जाएगा। यह कार्य प्रदेश के विभिन्न परीक्षा केंद्रों में स्थानीय पुलिस के सहयोग से किया जाएगा। संदेहास्पद तत्वों पर निगरानी रखने के लिए परीक्षा निरीक्षकों को जागरूक किया जाएगा।
आयोग ने उम्मदवारों से परीक्षा एवं छंटनी परीक्षा के लिए वसूले जा रहे शुल्क में संशोधन करने का निर्णय भी लिया गया है। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से परीक्षा शुल्क के रूप में 400 रुपये तथा हिमाचल प्रदेश के अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों से परीक्षा शुल्क के रूप में 100 रुपये वसूले जाएंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के पूर्व सैनिक तथा दृष्टिहीन/ दृष्टिबाधित उम्मीदवारों से कोई भी शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
तोमर ने कहा कि भविष्य में आयोजित की जाने वाली राज्य स्तरीय प्रवक्ता पात्रता परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 750 रुपये तथा हिमाचल प्रदेश के अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों के लिए 188 रुपये होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के पूर्व सैनिक तथा दृष्टिहीन /दृष्टिबाधित उम्मीदवारों से कोई भी शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा के लिए शुल्क अधोसंरचना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा- निर्देशों के अनुरूप इस परीक्षा की संचालन समिति की अनुमति के उपरांत लागू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि आयोग ने बेहतर गोपनीयता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित बनाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं पर एल्फान्यूमैरिक फिक्शियस अनुक्रमांक लगाने के स्थान पर ‘ष्बार कोड’ आरम्भ करने का निर्णय लिया है।
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पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन व आरोपी का घर जलाना ओछी राजनीति : मुख्यमंत्री
चंबा – मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चम्बा जिला के सलूणी में हुए हत्याकांड के मामले में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह शायद देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें सभी आरोपियों को पकड़ा जा चुका है और पुलिस की समयोचित कार्रवाई के बावजूद भाजपा इस पर शोर-शराबा जारी रखे हुए है। उनका यह प्रदर्शन पूर्णतया अवांच्छित है और इसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में शामिल सभी लोगों की गिरफ्तारी के बावजूद घटना के पाँच दिनों के बाद भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े लोगों ने आरोपी के घर को आग की भेंट चढ़ा दिया।
प्रदेश सरकार की ओर से बार-बार आश्वस्त किया गया है कि इस मामले में संलिप्त सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद विरोध प्रदर्शन समझ से परे है और भाजपा इस मामले में ओछी राजनीति कर रही है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस मामले की संवदेनशीलता को देखते हुए पुलिस ने चौबीस घंटों के भीतर सभी आरोपियों को हिरासत में ले लिया। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी तथा सरकार द्वारा राष्ट्रीय जांच एजैंसी से मामले की जांच करवाने सम्बंधी मांग स्वीकार करने के बावजूद भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी रखना तर्कहीन है।
मुख्यमंत्री नें यह भी कहा कि केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा जांच को मुद्दा बना रही है जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए एक फोन कॉल पर यह जांच शुरू करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे प्रतीत हो रहा है कि इस घटना को राजनीतिक रंग देते हुए भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव-2024 को ध्यान में रखते हुए ऐसी तरकीबें अपना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर यह होता कि भाजपा प्रदेश हित से जुड़े मामलों एवं हिमाचल के अधिकारों के लिए केंद्र के समक्ष आवाज उठाती, जिससे कि प्रदेशवासियों का भी भला होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के हितों को प्राथमिकता देने के लिए आन्दोलन में कांग्रेस पार्टी भी अपना पूर्ण सहयोग देगी। राज्य के हितों की रक्षा करने की दिशा में प्रदेश सरकार तथा विपक्ष की साझा जिम्मेदारी पर बल देते हुए उन्होंने जल उपकर तथा विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं में निःशुल्क बिजली की रॉयल्टी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भाजपा को प्रदेश सरकार का साथ देने का परामर्श भी दिया।
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अगर 25 वर्षों से आतंकीयों से जुड़े थे चंबा हत्याकांड के आरोपी के तार तो सरकारें क्यूँ देती रही शरण : आम आदमी पार्टी
चंबा- जिला चंबा के सलूनी इलाके में हुए (मनोहर, 21) हत्याकांड की घटना राजनीतिक रूप लेती जा रही है। पक्ष -विपक्ष में बयानबाजी का दौर जारी है। इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
इसी कड़ी में हिमाचल आम आदमी पार्टी ने चम्बा में हुई मनोहर की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की है। आम आदमी पार्टी नेता चमन राकेश आजटा ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम को जिस प्रकार से राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है वो बहुत ही चिंता का विषय है।
इसके साथ ही आजटा ने यह भी कहा कि यदि नेता विपक्ष जयराम ठाकुर जी के बयानों में सच्चाई है तो यह जांच का विषय है। आजटा नें पूछा कि अगर पिछले 25 वर्षो से इस घटना के लिए जिम्मेवार व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से बेशुमार दौलत इक्कठी कर रहा था तो वहां का प्रशासन व राज्य सरकारें 25 वर्ष से उसे क्यों शरण दे रही थी?
“इस व्यक्ति के तार क्या किसी आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए है , या किसी पार्टी और नेता विशेष की शरण में वो पलता रहा जिसका खामयाज़ा एक गरीब युवा को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ा। क्या इस आरोपी ने इस तरह की अन्य घटनाओं को भी अंजाम दिया था या उनमें संलिप्त रहा था।” आजटा ने जयराम पर यह सवाल उठाते हुए कहा।
आपको बता दें कि बीते दिन जयराम ठाकुर ने हत्या के इस मामले में गहरी साजिश की आशंका जताते हुए तथा आरोपियों के तार आतंकियों से जोड़ते हुए कहा था कि नोटबंदी के दौरान आरोपी ने 95 लाख नोट बदले व उसके खाते में दो करोड़ की राशि जमा है, जबकि आरोपी के पास इतना बड़ा कोई भी आय का साधन नहीं है।
जयराम ने आरोप लगाया था कि आरोपी के पास तीन बीघा ज़मीन है जबकि कब्जा 100 बीघा जमीन पर कर रखा है। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया था कि चंबा में 1998 में हुए सतरुंडी आतंकी हमले में 35 लोगों की मौत हुई थी और उससे भी आरोपी के तार जुड़े थे।
साथ ही आजटा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से कानून को हाथ में लेकर घरों को जलाने, गाडियां तोड़ने और माहौल खराब करने की घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ करवाई करने की अपील की है, ताकि राजनीति की आड़ में हिमाचल जैसे प्रदेश का नाम खराब न हो।
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चंबा हत्याकांड: धारा 144 तोड़ने से रोका तो धरने पर बैठे भाजपा नेता
चंबा-मनोहर हत्याकांड के सात दिन बाद भी इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है, एक स्थान पर चार से ज्यादा लोगों का एकीकृत होना मना है और साथ ही इलाके के आस पास के सभी स्कूलों को भी एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है।
भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि भाजपा ने तय किया है कि भाजपाई 17 जून को प्रदेश के सभी 12 जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
सीएम के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने एक प्रेससवार्ता में कहा कि हत्या के कारणों की प्रशासन द्वारा पूरी जांच करवाई जा रही है। चौहान नें कहा कि जिन लोगों ने हत्या की है उनको गिरफ्तार कर लिया गया है और कानून निश्चित तौर पर अपना कार्य कर रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, तथा उनके साथी सदस्य जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं वह तर्कसंगत नहीं है। कानून द्वारा मुज़रिमों को हिरासत में ले लिया गया है, गुनहगार सलाखों के पीछे है तथा पूरे मामले की सख्ती से जांच कारवाई की जा रही है। चौहान ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा एनआईए से जांच की मांग को लेकर कहा कि वह अगर लिखित में सरकार को मांग दे दें तो सरकार इसके लिए भी तैयार है।
चौहान ने जयराम पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री रहे है, एक जिम्मेदार नागरिक हैं, तथा धारा 144 का मतलब भी वह अच्छे से समझते हैं, फिर भी उसकी अवहेलना करने पर अड़े हैं। चौहान नें पूछा कि इसका क्या अर्थ निकलता है।
चौहान नें यह भी कहा कि इसके बावजूद भी पुलिस तथा प्रशासन द्वारा कानून के दायरे में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष और कुछ चुने हुए लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन विपक्ष फिर भी अपने साथ पूरी भीड़ को आगे ले जाने के लिए अड़ा रहा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के जिम्मेदार लोग अगर इसके बावजूद भी राजनीति करना चाहते हैं तो तो यह बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने विपक्ष की मंशा पर सवाल खड़े किये। उन्होंने पूछा कि वह सच मे पीड़ित परिवार से मिलना चाहते थे या इसस घटना को मात्र राजनीतिक दृष्टि से मुद्दा बनाना चाहते थे?