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एचपीयू में पीजी काउंसिलिंग आज से शुरू, पढ़िए काउंसिलिंग शेड्यूल
प्रदेश विश्वविद्यालय ने पीजीडीएमसी-एमएमसी प्रवेश के लिए शुरू की प्रक्रिया
शिमला- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जुलाई माह से शैक्षणिक सत्र 2017-18 की शुरुआत करने की तैयारियों में विवि प्रशासन जुट गया है। सभी पीजी कोर्सेज के लिए प्रवेश परीक्षाएं करवाने के बाद अब विवि प्रशासन प्रवेश के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू कर रहा है।
सोमवार से ही एचपीयू में काउंसिलिंग की प्रक्रिया पीजी कोर्सेज के लिए शुरू हो जाएगी। प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में सोमवार को दो कोर्सेज के लिए काउंसिलिंग की जाएगी। इसमें पीजीडीएमसी और एमएमसी कोर्स की सीटें भरने के लिए विभाग को सुबह 10 बजे से प्रवेश परीक्षा की मैरिट के आधार पर काउंसिलिंग की जाएगी।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी पीजी कोर्सेज की प्रवेश परीक्षाओं का परिणाम घोषित कर दिया है। प्रवेश के लिए विभागों की ओर से मैरिट लिस्टें तैयार की जा रही हैं। विवि ने विषयवार काउंसिलिंग का शेड्यूल भी जारी कर दिया है। प्रदेश विश्वविद्यालय में इस सत्र 2017-18 के लिए 38614 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया है। इन छात्रों ने अलग-अलग पीजी कोर्सेज में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा दी है, जिन्हें विवि अब प्रवेश परीक्षा की मैरिट के आधार पर काउंसिलिंग कर प्रवेश देने जा रहा है।
यह रहेगा काउंसिलिंग शेड्यूल
एलएलबी तीन वर्षीय कोर्स के लिए 12 जुलाई
मएससी बॉटनी, जूलॉजी व एसएमसी के लिए 14 जुलाई
एमएससी फिजिक्स, केमिस्ट्री, ज्योग्राफी व मैथेमेटिक्स के लिए 15 जुलाई
एमए साइकोलॉजी, पब्लिक एड फिजिकल एजुकेशन, सोशोलॉजी, पालिटिकल साइंस, म्यूजिक, योगा, रूरल डिवेलपमेंट एमबीई व एम कॉम 19 जुलाई
एमए हिस्ट्री, संस्कृत, इंग्लिश, इकोनॉमिक्स, हिंदी, विजुअल आर्ट्स में पेंटिंग, ट्रांसलेशन व सोशल वर्क के लिए 20 जुलाई को साक्षात्कार और प्रवेश प्रक्रिया होगी।
इन सभी कार्सेज की नॉन सबसिडाइज्ड सीटों के लिए 24 जुलाई को प्रवेश प्रक्रिया विश्वविद्यालय प्रशासन करवाएगा।
होस्टल के लिए 21 जुलाई तक आवेदन करें छात्र
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने नए सत्र में प्रवेश की प्रक्रिया जारी रखने के साथ ही विवि के होस्टलों में भी प्रवेश के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नए सत्र में होस्टलों को आबंटित करने के लिए विवि प्रशासन की ओर से छात्रों को विवि की वेबसाइट पर ही एप्लीकेशन फार्म उपलब्ध करवाए गए हैं।
विवि में वर्तमान समय में छात्रों के लिए 15 होस्टलों की सुविधा उपलब्ध है। इसमें से केवल चार ही छात्रावास हैं, जिनमें प्रवेश लड़कों को दिया जाता है। अन्य 12 होस्टलों में केवल विवि में शिक्षा ग्रहण करने वाली छात्राओं को ही प्रवेश विवि प्रशासन देता है।
विवि के होस्टलों में 150 से लेकर 300 से अधिक छात्रों के ठहरने की सुविधा है। बावजूद इसके हर साल हजारों की संख्या में आवेदन विवि के पास प्रवेश के लिए आते हैं, जिनमें से कुछ छात्रों को ही होस्टल की सुविधा मिल पाती है।
होस्टल में प्रवेश सत्र 2017-18 के लिए छात्रों को विवि प्रशासन की ओर से दिया जा रहा है। छात्र जो विवि में पहले, तीसरे या पांचवें सेमेस्टर में प्रवेश ले रहे हैं, वे होस्टल के लिए विवि की वेबसाइट से ऑनलाइन एप्लीकेशन फार्म डाउनलोड कर आवेदन विवि चीफ वार्डन को भेज सकते हैं।
आवेदन की अंतिम तिथि 21 जुलाई रखी गई है। छात्रों को अपने विषय से जुडे़ विभाग के विभागाध्यक्ष से होस्टल प्रवेश के लिए फार्म भरकर उसे सत्यापित करवाना होगा। छात्रों को मैरिट के तहत होस्टल आंबटित किए जाएगा। इस बार छात्रों को होस्टल के लिए आधार नंबर की जानकारी देना भी अनिवार्य किया गया है।
छात्रों को होस्टल तभी मिलेगा, जब वे इसके लिए होस्टल फीस व मैस सिक्योरिटी जमा करवा देंगे। छात्रों को पहचान पत्र के लिए 20 रुपए फीस प्रवेश फीस के अलावा देनी होगी।
प्रवेश को एमए, एमएससी, एलएलबी, एमटीए, एमसीए, एमएड, बीएड के अलावा पीएचडी कोर्स में इस सत्र प्रवेश लेने वाले छात्र ओवदन कर सकेंगे। वहीं विवि प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिस छात्र के खिलाफ विवि की ओर से किसी भी मामले को लेकर एफआईआर दर्ज अगर करवाई गई है, तो उन्हें होस्टलों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
पीएचडी छात्रों को तीन साल तक होस्टल
विवि ने होस्टल के नियमों के तहत विवि में पीएचडी कोर्स में शोधरत शोधार्थियों को केवल तीन साल तक ही होस्टल दिया जाएगा। इसके बाद शोध गाइड और विभाग के विभागाध्यक्ष की ओर से एक रिपोर्ट ली जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर पीएचडी छात्र को छह-छह माह के बाद होस्टल की सुविधा दी जाएगी।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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