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हिमाचल ने प्रस्तावित की 5700 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना
मुख्यमंत्री ने की सोलन, सिरमौर व शिमला ज़िला के विधायकों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता
शिमला- मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए प्रदेश की 5700 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तावित है, जो वर्तमान वित्त वर्ष से 500 करोड़ रुपये अधिक है। इसमें 9.61 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो राज्य की विकास दर 7.7 प्रतिशत से अधिक है।
उन्होंने कहा कि विधायकों की प्राथमिकताओं को पूरा करने के तहत नाबार्ड द्वारा 470 करोड़ रुपये की राशि की विस्तृत परियोजना रिपोर्टों को स्वीकृति प्रदान की है। 1100 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पहले ही नाबार्ड को स्वीकृति के लिए भेजी गई है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित बनाया जाएगा कि कार्यान्वित की जा रही नई योजनाओं का सामाजिक आॅडिट किया जाए ताकि इसके फायदे व नुकसान के कारणों की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। इससे शुरूआत में ही सही करने का अवसर प्राप्त होगा और समय की भी बचत होगी।
मुख्यमंत्री ने शिमला तथा कुल्लू में कार्यान्वित अटल मिशन फाॅर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफोर्मेशन (अमृत) योजना, कौशल विकास योजना, मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना तथा कई अन्य योजनाओं के सामाजिक आॅडिट पर बल दिया। उन्होंने सभी विकासात्मक परियोजनाओं को सुनियोजित समय सीमा के अंदर पूर्ण करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को नई दिल्ली में आयोजित स्टेट आॅफ स्टेट कनक्लेव के दौरान बड़े राज्यों में शिक्षा तथा समग्र विकास में श्रेष्ठ घोषित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में चम्बा, हमीरपुर तथा नाहन में तीन मेडिकल काॅलेजों के साथ-साथ 168 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान खोले गए हैं। राज्य सरकार द्वारा मण्डी के नेर चैक स्थित ईएसआईसी मेडिकल काॅलेज का अधिग्रहण भी किया गया है।
उन्होंने कहा कि बेराज़गार युवाओं के कौशल विकास के लिए 500 करोड़ रुपये की कौशल विकास भत्ता योजना कार्यान्वित की गई है। इस योजना के तहत 1.52 लाख युवा लाभान्वित हुए हैं। इसके अतिरिक्त एशियन विकास बैंक द्वारा 640 करोड़ रुपये की सहायता राशि से युवाओं को औद्योगिक घरानों तथा आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कौशल विकास निगम स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश में नए उद्योगों को स्थापित करने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण किया है, ताकि रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो। इसके लिए मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि बद्दी में कौशल विकास केन्द्र भी स्थापित किया गया है।
उन्होंने वन स्वीकृति मामलों में तेजी लाने के निदेश दिए। वन विभाग के कर्मचारी सरकार का हिस्सा हैं और उनका यह दायित्व बनता है कि विकास कार्य में तेजी लाने के लिए शीघ्र वन स्वीकृतियां प्रदान करें। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसे मामलों में सकारात्मका रवैया अपनाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने समय पर कार्य पूरा न करने वाले ठेकेदारों को बदलने के निदेश दिए। उन्होंने कहा कि धर्मपुर-कसौली सड़क को चैड़ा किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने विभिन्न आकार की पानी की पाइपें खरीदने को भी कहा ताकि लोगों को पेयजल कनेक्शन उपलब्ध करवाए जा सकें।
प्रदेश सरकार ने राज्य में 228 मुख्य पेयजल योजनाओं की समीक्षा की है और इसके लिए 50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 25 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने विभागों को विधायकों की प्राथमिकताओं पर ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने सड़क परियोजना की तुरंत मंजूरी सुनिश्चित बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग, वन व राजस्व विभाग के अधिकारियों की नियमित बैठकें करने को भी कहा। उन्होंने सिंचाई योजनाओं व हैंडपम्पों का सही रख-रखाव सुनिश्चित बनाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने बार-बार मुरम्मत की जाने वाली पुरानी पम्पिंग मोटरों को नई मोटरों से बदलने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हमेशा ही विधायकों व उनकी विकासोन्मुखी प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए तैयार रहते हैं।
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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे
शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।
डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।
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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण
पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।
राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।
कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।
सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।
आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।
सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।
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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद
शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।
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