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हिमाचल में कामर्शियल उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी, केवल उद्योगपतियों को राहत

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HP Electricity Board

हर महीने चुकाना होगा अतिरिक्त 10 रुपए का सर्विस चार्ज

शिमला- हिमाचल प्रदेश में दो साल के बाद 19.50 लाख घरेलू और तीन लाख कामर्शियल उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी कर दी गई है। बड़ी बात यह है कि इस दफा विद्युत नियामक आयोग ने उद्योगपतियों को राहत दी है, जिनके लिए विद्युत दरों में कोई इजाफा नहीं किया गया है। अहम बात यह भी है कि घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को हर महीने 10 रुपए का सर्विस चार्ज बढ़ाया गया है, जो कि 50 की जगह अब 60 रुपए हो गया है। वहीं लघु उद्योगों, सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा की जाने वाली वाटर पंपिंग के लिए सर्विस चार्ज 20 रुपए प्रति माह बढ़ाया गया है, जो कि 80 से 100 रुपएहो गया है।

नॉन डोमेस्टिक नॉन कामर्शियल केटागरी के साथ स्ट्रीट लाइटों पर सर्विस चार्ज 30 रुपए बढ़ाया गया है, जो कि 100 रुपए से अधिक होगा। बुधवार शाम को नियामक आयोग ने वित्त वर्ष 2016-17 के टैरिफ की घोषणा की। इस टैरिफ में आयोग ने इस साल के लिए कुल साढ़े तीन फीसदी की बढ़ोतरी की है। हालांकि बोर्ड ने आयोग से 33 फीसदी की बढ़ोतरी मांगी थी। शून्य से 60 यूनिट बिजली प्रतिमाह खर्च करने वाले उपभोक्ताओं की दरों में इजाफा नहीं होगा, जिन्हें सरकारी सबसिडी के बाद एक रुपए प्रति यूनिट की दर से ही बिजली मिलेगी। मगर शून्य से 125 यूनिट बिजली का इस्तेमाल करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के बिल में प्रति यूनिट 20 पैसे की बढ़ोतरी होगी। इन्हें सरकारी सबसिडी के बाद एक रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी। इनकी दर तीन रुपए50 पैसे से बढ़ाकर तीन रुपए 70 पैसे की गई है।

इसी तरह से 126 से 300 यूनिट बिजली का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को बिजली अब चार रुपए 40 पैसे की जगह चार रुपए 60 पैसे में मिलेगी। सरकारी सबसिडी के बाद यह दर दो रुपए 90 पैसे प्रति यूनिट होगी। 300 यूनिट से अधिक इस्तेमाल करने वालों को चार रुपए 95 पैसे की जगह पांच रुपए 10 पैसे प्रति यूनिट की दर लगेगी, जिसमें 15 पैसे का इजाफा किया गया है। सरकारी सबसिडी के बाद यह राशि चार रुपए 35 पैसे की बनेगी।

वहीं प्री-पेड उपभोक्ताओं के लिए दरें चार रुपए 40 पैसे से बढ़ाकर चार रुपए 60 पैसे की गई हैं और सबसिडी के बाद यह दर दो रुपए 90 पैसे बनेगी। इसी तरह से कामर्शियल उपभोक्ताओं के टैरिफ में भी पिछले साल के मुकाबले 10 से 25 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी झेलनी होगी। इस साल सरकार घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए 410 करोड़ रुपए की सबसिडी प्रदान कर रही है, जो कि पिछले साल 380 करोड़ रुपए की थी। बावजूद इसके उपभोक्ताओं के बिल में 15 से 20 पैसे प्रति यूनिट का इजाफा होगा।

सिर्फ उद्योगपतियों को राहत

नियामक आयोग ने उद्योगों के विद्युत टैरिफ में बढ़ोतरी नहीं की है, जिससे इस वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी। प्रदेश में औद्योगिक ढांचे को विकसित करने में भी इससे मदद मिल सकती है। इससे उद्योगों को हिमाचल से कूच करने का बहाना भी नहीं मिलेगा। पिछले साल उनके लिए जो विद्युत टैरिफ था, उसी मुताबिक उन्हें बिल देना होगा।

बिजली बोर्ड को 154 करोड़ का होगा लाभ

बिजली बोर्ड ने आयोग से अपने लिए 1556.70 करोड़ रुपए के राजस्व की मांग रखी थी, जिसमें 33 फीसदी का इजाफा मांगा गया था। आयोग ने उसे साढ़े तीन फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। इस वित्त वर्ष में 4811.58 करोड़ रुपए का राजस्व आएगा। इसमें पिछले साल से 154.48 करोड़ रुपए का इजाफा होगा।
इसलिए बढ़ा टैरिफ

टैरिफ बढ़ाने के कारणों को साफ करते हुए आयोग ने कहा है कि पिछले साल बोर्ड को सरकार से 132.99 करोड़ रुपए की राशि नहीं मिल पाई, जोकि उसके पिछले टैरिफ में जोड़ी गई थी। इससे उसे नुकसान हुआ है जिसे दूर किया जाना था। बोर्ड को सरकार से अंतरिम राहत की भी उम्मीद थी लेकिन उसकी उम्मीदें धूमिल हो गई थीं।

Photo: visiontek/Representational Imagw

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हिमाचल की तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर लगे 76,000 से अधिक सेब के पौधे

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nauni university himachal pradesh

शिमला- डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय में पहाड़ी कृषि एवं ग्रामीण विकास एजेंसी(हार्प), शिमला द्वारा एक अनुभव-साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में जिला किन्नौर के निचार विकास खंड के रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों के 34 किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जीएम नाबार्ड डॉ. सुधांशु मिश्रा मुख्य अतिथि रहे जबकि नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ रविंदर शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर एस रतन ने कहा कि यह कार्यक्रम एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के तहत रूपी, छोटा कम्बा और नाथपा ग्राम पंचायतों में वर्ष 2014 से आयोजित किया जा रहा है। परियोजना को नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसे हार्प द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताया कि यह एक बागवानी आधारित आजीविका कार्यक्रम है जिसे किसानों की भागीदारी से लागू किया गया है। इन तीन ग्राम पंचायतों में 435 एकड़ भूमि पर 76,000 से अधिक सेब के पौधे लगाए गए हैं और 607 परिवार लाभान्वित हुए हैं।

डॉ. सुधांशु मिश्रा ने यह भी कहा कि नाबार्ड हमेशा सामाजिक-आर्थिक उत्थान कार्यक्रमों के संचालन में आगे रहा है। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानों से अपने सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने का आग्रह किया।

अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने नाबार्ड और हार्प के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय किसानों को तकनीकी रूप से समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. नरेद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हार्प ने कृषक समुदाय के समन्वय से दुर्गम क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों में काम किया है। इस अवसर पर एक किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने वाले किसानों के तकनीकी प्रश्नों को संबोधित किया गया।

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हिमाचल सरकार पुलिसकर्मियों का कर रही है शोषण

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hp police

पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है,कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है,राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है,हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

शिमला सीटू राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। कमेटी ने यह कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की मांगों का पूर्ण समर्थन करती है। आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा है कि प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों का शोषण कर रही है।

राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि वर्ष 2013 के बाद नियुक्त पुलिसकर्मियों को पहले की भांति 5910 रुपये के बजाए 10300 रुपये संशोधित वेतन लागू किया जाए व उनकी अन्य सभी मांगों को बिना किसी विलंब के पूरा किया जाए।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में भी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि जेसीसी बैठक में पुलिसकर्मियों की मांगों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

सीटू कमेटी ने कहा कि सबसे मुश्किल डयूटी करने वाले व चौबीस घण्टे डयूटी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को इस बैठक से मायूसी ही हाथ लगी है। इसी से आक्रोशित होकर पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे। उनके द्वारा पिछले कुछ दिनों से मैस के खाने के बॉयकॉट से उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों के साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी नवउदारवादी नीतियों की मार से अछूते नहीं है। कमेटी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की डयूटी बेहद सख्त है। कई-कई बार तो चौबीसों घण्टे वर्दी व जूता उनके शरीर में बंधा रहता है।

कमेटी ने यह भी कहा है कि थानों में स्टेशनरी के लिए बेहद कम पैसा है व आईओ को केस की पूरी फ़ाइल का सैंकड़ों रुपये का खर्चा अपनी ही जेब से करना पड़ता है। थानों में खाने की व्यवस्था तीन के बजाए दो टाइम ही है। मैस मनी केवल दो सौ दस रुपये महीना है जबकि मैस में पूरा महीना खाना खाने का खर्चा दो हज़ार रुपये से ज़्यादा आता है। यह प्रति डाइट केवल साढ़े तीन रुपये बनता है, जोकि पुलिस जवानों के साथ घोर मज़ाक है। यह स्थिति मिड डे मील के लिए आबंटित राशि से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के बने बहुत सारे थानों की स्थिति खंडहर की तरह प्रतीत होती है जहां पर कार्यालयों को टाइलें लगाकर तो चमका दिया गया है परन्तु कस्टडी कक्षों,बाथरूमों,बैरकों,स्टोरों,मेस की स्थिति बहुत बुरी है। इन वजहों से भी पुलिस जवान भारी मानसिक तनाव में रहते हैं।

सीटू ने कहा कि पुलिस में स्टाफ कि बहुत कमी है या यूं कह लें कि बेहद कम है व कुल अनुमानित नियुक्तियों की तुलना में आधे जवान ही भर्ती किये गए हैं जबकि प्रदेश की जनसंख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है यहाँ तक पुलिस के पास रिलीवर भी नहीं है।

आरोप लगाते हुए कमेटी ने कहा कि प्रदेश की राजधानी शिमला के कुछ थानों के पास अपनी खुद की गाड़ी तक नहीं है। वहीं पुलिस कर्मी निरन्तर ओवरटाइम डयूटी करते हैं। इसकी एवज में उन्हें केवल एक महीना ज़्यादा वेतन दिया जाता है। इस से प्रत्येक पुलिसकर्मी को वर्तमान वेतन की तुलना में दस से बारह हज़ार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें लगभग नब्बे साप्ताहिक अवकाश,सेकंड सैटरडे,राष्ट्रीय व त्योहार व अन्य छुट्टियों के मुकाबले में केवल पन्द्रह स्पेशल लीव दी जाती है।

सीटू कमेटी ने यह भी कहा कि वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में बने पुलिस एक्ट के पन्द्रह साल बीतने पर भी नियम नहीं बन पाए हैं। इस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मियों को सुविधा तो दी नहीं जाती है परन्तु कर्मियों को दंडित करने के लिए इसके प्रावधान बगैर नियमों के भी लागू किये जा रहे हैं जिसमें एक दिन डयूटी से अनुपस्थित रहने पर तीन दिन का वेतन काटना भी शामिल है। पुलिसकर्मियों की प्रोमोशन में भी कई विसंगतियां हैं व इसका टाइम पीरियड भी बहुत लंबा है। हैड कॉन्स्टेबल से एएसआई बनने के लिए सत्रह से बीस वर्ष भी लग जाते हैं।

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किन्नौर में लापता पर्यटकों में से 2 और के शव बरामद, 2 की तालाश जारी,आभी तक कुल 7 शव बरामद

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kinnaur trekker deaths

शिमला रिकोंगपिओ में 14 अक्तुबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल की ट्रैकिंग पर निकले 11 पर्यटकों में से लापता चार पर्वतारोहीयों में से दो  पर्वतारोहियों के शवो को आई.टी.बी.पी व पुलिस दल द्वारा पिछले कल सांगला लाया गया था जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगला में दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया।

यह जानकारी देते हुए उपायुक्त किन्नौर अपूर्व देवगन ने बताया कि इन दोनों की पहचान कर ली गई है जिनमे मे एक उतरकाशी व दूसरा पश्चिम बंगाल से सम्बंधित था।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा आज एक शव वाहन द्वारा उतरकाशी को भेज दिया गया है जहाँ शव को जिला प्रशासन उतरकाशी को सौंपा जाएगा। जब कि दूसरा शव वाहन द्वारा शिमला भेजा गया है जिसे शिमला में मृतक के परिजनों को सौंपा जायेगा।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि अभी भी लापता दो  पर्यटकों की तलाश आई.टी.बी.पी के जवानों द्वारा जारी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों उतरकाशी से छितकुल के लिये 11 पर्वतारोही ट्रेकिंग पर निकले थे जो बर्फबारी के कारण लमखंगा दर्रे में फंस गये थे जिसकी सूचना मिलने पर जिला प्रशासन द्वारा सेना के हेलीकॉप्टर व आई.टी.बी.पी के जवानों की सहायता से राहत व बचाव कार्य आरम्भ किया था। सेना व आई.टी.बी.पी के जवानों ने 21 अक्टूबर को दो पर्यटकों को सुरक्षित ढूंढ निकाला था। इसी दौरान उन्हें अलग अलग स्थानों पर पाँच ट्रेकरों के शव ढूंढ निकलने में सफलता मिली थी। जबकि 4 पर्यटक लापता थे जिसमे से राहत व बचाव दल को 22 अक्तुबर को 2 शव ढूढ़ निकालने में सफलता मिली थी। अभी भी दो पर्यटक लापता हैं जिनकी राहत व बचाव दल द्वारा तलाश जारी है।

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