एनजीटी ने आदेशों में कहा था कि पर्यावरण क्षति पर 5 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.
हिमाचल सरकार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है. एनजीटी ने शिमला में ढाई मंजिल से ऊपर भवन निर्माण पर रोक लगाने के फैसले को बरकरार रखा है. इसे लेकर सरकार की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका को एनजीटी ने खारिज कर दिया है. ट्रिब्यूनल ने शिमला प्लानिंग एरिया को लेकर पहले दिए अपने आदेशों में भी कोई तबदीली नहीं की है.
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि सरकार एनजीटी की उच्च स्तरीय समिति या सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रख सकती है.
बता दें कि एनजीटी ने 16 नंवबर 2017 को इस मसले पर विस्तार से फैसला सुनाया था. फैसले में कहा था कि शिमला और प्लानिंग एरिया के भीतर ढाई मंजिल से ज्यादा ऊंची इमारत नहीं बनाई जा सकती है.पीठ ने हाईव लेवल कमेटी बनाई थी, जिसमें एक निगरानी और दूसरी कार्यान्वयन समिति शामिल है. बाद में हिमाचल सरकार ने फैसले में समीक्षा के लिए याचिका दाखिल की थी.
ये प्रावधान किए थे
एनजीटी ने आदेशों में कहा था कि पर्यावरण क्षति पर 5 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा. साथ ही निगरानी और कार्यान्वयन समिति हर महीने बैठक करेगी. शिमला में बिना मंजूरी पेड़ नहीं काटे जाएंगे. हर पुराने और नए भवन में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी होगा.
उधर, फोरेस्ट और ग्रीन एरिया और कोर एरिया में 16 नवंबर 2017 के बाद से निर्माण की मंजूरी नहीं होगी. पहले बने निजी और व्यावसायिक भवन यदि नक्शे और एनओसी के अनुरूप होंगे, तभी उन्हें मंजूरी दी जाएगी.
इसमें एक प्रावधान यह भी था कि नक्शे से ज्यादा विस्तार के लिए निजी घर के लिए 5 हजार प्रति वर्ग फीट और व्यावसायिक संरचना के लिए 10 हजार प्रति वर्ग फीट क्षतिपूर्ति देनी होगी. बताया जा रहा है कि सरकार की याचिका खारिज होने के बाद अब सरकार इस मामले में कानूनी सलाह मशविरा कर ही है.
हिमाचल वॉचर हिंदी के एंड्रायड ऐप के लिए यहां क्लिक करें।