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अपने ही वायदे से पलटे किनौर के विधायक, प्रभावित परिवारों को 6 करोड़ मुआवजा देने की थी घोषणा पर अब थमा दिए सिर्फ 2 करोड़ 66 लाख : नेगी
किन्नौर- किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी ने किन्नौर के विधायक एवं विधान सभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी को आड़े हाथों लेते हुए काशंग परियोजना के अंतर्गत प्रभावित परिवारों को निर्माण कम्पनी द्वारा 2 करोड़ 66 लाख रू0 मुआवजा देने की घोषणा को हास्यास्पद व दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
नेगी ने कहा कि चार वर्ष बीतने के पश्चात भी स्थानीय विधायक ने जिला किन्नौर के लोगों को गुमराह करने के अलावा कुछ नहीं किया। जगत सिंह नेगी ने पांगी गांव को पहले 6 करोड़ रू0 देने की घोषणा की थी और आज वह अपने वायदे से मुकर गए और 2 करोड़ 66 लाख रू0 देने में भी असफल हुए हैं। इस तरह 2012 विधान सभा चुनावों के दौरान पग्रामडं के पंचायत चगांव, ऊरनी, मीरू व यूला गांव को 68 करोड़ मुआवजा राशि देने की बात कही थी परन्तु बीते चार वर्षों में एक रूपया राशि देने में भी स्थानीय विधायक विफल हुए हैं। प्रदुषण की जो राशि जारी हुई है वह पूर्व भाजपा सरकार की देन है जिसकी स्वीकृति व आधी राशि में पूर्व भाजपा सरकार के समय ही बंट गई थी।
पूर्व विधायक ने कहा कि इसी तरह कड़छम-वांगतू 1000 मैगावाट परियोजना के अंतर्गत आने वाली पंचायतों जिसमें काफनू, यांगपा, कटगांव, पानवी, रामणी, पूनंग, किल्बा, सापनी, ब्रुआ, शौंग, चासू, कामरू व रोगी पंचायत को 75 हजार रू0 की राशि हर परिवार को देने के चुनावी वायदे को भी इन चार वर्षों में पूरा नहीं कर पाये और इन चार वर्षों में स्थानीय विधायक किन्नौर में चल रही पन विद्युत परियोजनाओं से लाडा के अंर्तगत जो पैसा मिलना है उस पैसे को लेने में भी पूरी तरह असफल साबित हुए हैं जिसके कारण प्रभावित पंचायतों के विकास कार्य भी पूरी तरह ठप्प पड़े हैं।
स्थानीय विधायक पर गंभीर आरोप लगाते हुए नेगी नेगी ने कहा कि स्थानीय विधायक पटेल कम्पनी के साथ पूरी तरह मिले हुए हैं और अपने भाई के अवैध तरीके से खनन कार्य को बढ़ावा देने तथा भाई-भतीजावाद तथा ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं। एक ओर तो किन्नौर के सभी नदी किनारे खनन जो पंचायत एवं स्थानीय लोगों का अधिकार है उस पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और पंचायतों में मनरेगा के काम प्रभावित हुए हैं साथ स्थानीय लोगों के मकान कार्य भी प्रभावित हुए है। एक ओर जहां आम आदमी को रेत, बजरी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर स्थानीय विधायक कानून की धज्जियां उड़ाते हुए रिकांगपिओं के बाजार में लैंटर पर लैंटर डाल रहे हैं।
किन्नौर के पूर्व विधायक नेगी ने कहा कि शोंगठंग-कड़छम 412 मैगावाट परियोजना निर्माण क्षेत्र की प्रभावित पंचायतों जिसमें पुआरी, बारंग, मेवर व शुदारंग शामिल है, को भी 500 दिन के रोजगार की मुआवजा राशि देन में स्थानीय विधायक पूर्णतः विफल हुए हैं। श्रम कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और परियोजना निर्माण से प्रभावित परिवारों के लोगों को रोजगार भी नहीं दिया जा रहा है।
उन्होनें यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक लाडा के चेयरमैन होने के नाते कम्पनी प्रबन्धनो से लाडा के अंतर्गत जो डेढ़ प्रतिशत जो राशि मिलनी थी उसको लेने में भी असफल हुए हैं। जिसकी वजह से जिला किन्नौर का विकास पूरी तरह ठप्प हो गया है। कोई भी नई योजना लाने में विधायक असफल हुए हैं। केवल पूर्व भाजपा सरकार के समय में स्वीकृत योजनाओं का शिलान्यास व उदघाटन करने के सिवा उन्होनें कोई अन्य नहीं कार्य नहीं किया।
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होटल ईस्टबोर्न के 120 मजदूरों का इपीएफ 2016 के बाद नहीं हुआ जमा, ब्रिज व्यू रीजेंसी, ली रॉयल, तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, वुडविले पैलेस में भी इपीएफ में गड़बड़
शिमला-आज दिनांक 22 अगस्त को हिमाचल के अलग-अलग होटलों से 200 कर्मचारियों ने ईपीएफओ विभाग के बाहर धरना प्रदर्शन कियाI
कर्मचारियों का कहना है कि यह धरना प्रदर्शन शिमला शहर के विभिन्न होटलों में इपीएफ की समस्याओं को लेकर किया गया जिसमें मुख्य समस्या होटल ईस्ट बोर्न, होटल ब्रिज व्यू रीजेंसी, होटल ली रॉयल, होटल तोशाली रॉयल व्यू रिजॉर्ट, होटल वुडविले पैलेस की हैI
हिमाचल होटल मजदूर लाल झंडा महासचिव विनोद ने कहा कि ईस्टबोर्न में लगभग 120 मजदूर कार्यरत है जिसका इपीएफ 2016 से प्रबंधन द्वारा अभी तक जमा नहीं किया गया है और वैसा ही हाल ब्रिज व्यू में भी हैI
वहां पर भी एक साल से प्रबंधक द्वारा पीएफ का पैसा जमा नहीं किया गया हैI विनोद ने कहा कि वही होटल ले रॉयल में मजदूरों का पीएफ का पैसा जिस एक्ट के तहत कटना चाहिए था वह मालिक नहीं काट रहा है और होटल ली रॉयल का इपीएफ वेस्ट बंगाल में जमा किया जाता है जिससे मजदूरों को समस्या का हो रही हैI विनोद ने कहा कि तोशाली में भी मजदूरों का पीएफ के पैसे में कटौती की जा रही है जोकि यूनियन को बिल्कुल मंजूर नहीं होगाी
विनोद ने कहा कि यूनियन ने पीएफ कमिश्नर को इन समस्याओं से अवगत करवाया और पीएफ कमिश्नर ने वादा किया कि 31 अगस्त तक सभी होटलों में प्रबंधन द्वारा की जा रही गड़बड़ियों की पूरी जांच की जाएगी और जहां भी मालिक को द्वारा मजदूरों का पैसा जमा नहीं किया जा रहा है उन मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगीI
इस प्रदर्शन में सीटू राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, सीटू जिला सचिव अजय दुलटा, सीटू जिला प्रधान कुलदीप डोगरा, सीटू जिला उपाध्यक्ष किशोरी डलवालिया,अध्यक्ष बालकराम, कोषाध्यक्ष पवन शर्मा व अन्य साथी कपिल नेगी विक्रम शर्मा सतपाल राकेश चमन मौजूद थे
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शिमला जिला में सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर, बागवानों को सेब मंडियों तक पहुंचाने में में आ रही परेशानी
शिमला-हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से बहुत क्षति हुई हैी इस दौरान 63 जाने गई हैI प्रदेश में आज सैंकड़ो सड़के बन्द पड़ी है राष्ट्रीय उच्चमार्ग व अन्य मुख्य मार्गो पर भी सफर अभी तक जोखिम भरा है। इस आपदा से प्रदेश के लगभग सभी जिले प्रभावित हुए हैं परन्तु शिमला,कुल्लू, सिरमौर, किन्नौर,हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन आदि जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली, पानी व सड़के सुचारू नही है। जिससे क्षेत्र के बागवानों को सेब मण्डिया तक पहुंचाने में बेहद परेशानी हो रही हैी
यह कहना है भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की ज़िला कमेटी शिमला के सचिव व पूर्व मेयर संजय चौहान का। उन्होंने प्रदेश सर्कार से इस क्षति का तुरंत आंकलन करवा कर इसकी क्षतिपूर्ति की मांग की है।
उन्होंने कहा कि शिमला जिला के चौपाल, रोहड़ू, रामपुर व ठियोग तहसीलों में अधिक जान व माल की क्षति हुई है। आज भी चौपाल, चिढ़गांव रामपुर तहसील के अधिकांश क्षेत्र अन्य हिस्सों से कटे हुए हैं। शिमला जिला में अधिकांश सम्पर्क मार्ग या तो बन्द है या सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रहे हैं। जिला में सेब का सीजन पूरे यौवन पर है तथा सड़को का सुचारू रूप से कार्य न करना बागवानों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। सड़क मार्ग सुचारू न होने से सेब सड़ने की कगार पर आ गया है।
चौहान ने कहा कि रोहड़ू – देहरादून वाया हाटकोटी मार्ग बंद होने से बागवानों को बेहद परेशानी उठानी पड़ रही है क्योंकि जुब्बल,रोहड़ू,चिढ़गांव आदि क्षेत्रों से अधिकांश सेब इसी मार्ग से मण्डिया में भेजा जाता है।
पार्टी ने मांग की है कि आपदा से हुई इस क्षति का आंकलन तुरंत करवाया जाए तथा प्रभावितों को इसका उचित मुआवजा तुरंत दिया जाए। इसके अतिरिक्त बन्द पड़े सभी मुख्य व लिंक मार्गो को तुरंत खोला जाए ताकि बागवानों को उनका सेब मण्डिया तक पहुचाने में आ रही परेशानी को समाप्त किया जाए। चौहान ने कहा कि यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठती तो पार्टी आंदोलन के लिए मजबूर होगी।
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वी वी की कक्षाओं में छत से टपक रहा पानी, खिड़कियों के शीशे टूटे हुए, पीने के पानी की भी नहीं है कोई सुविधा
शिमला-आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एसएफआई की लॉ फैकल्टी कमेटी ने विभाग की समस्याओं के मद्देनजर विभाग के अध्यक्ष सुनील देष्ट्टा को मांग पत्र सौंपा।
लॉ विभाग एसएफआई सचिव अमरीश का कहना है कि विभाग में टॉप फ्लोर में पानी का रिसाव हो रहा है लेकिन प्रशासन इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।छात्रों को टपकती छतो तथा पानी से तर कमरों में अपनी शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। छात्रों ने कहा कि सोशियोलॉजी विभाग की कक्षाओं की भी यही स्थिति है।
विभाग में छात्रों को कंप्यूटर लैब की सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। क्लास रूम की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं।विभाग में एक्वागार्ड की उचित सुविधा नहीं है। छात्रों ने मांग कि है कि लॉ विभाग के हर फ्लोर पर एक एक्वागार्ड लगाया जाए।
फैकल्टी अध्यक्ष करण ने कहा कि विभाग में बिना एंट्रेंस एग्जाम दिए एडमिशन देने की कवायद हो रही है जिसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग ने पहले ही बहुत कम अंक लिए हुए छात्रों को एडमिशन दे दी है।अब बिना एंट्रेस एग्जाम एडमिशन देना तर्कसंगत नहीं है।
एस एफ आई ने कहा कि यदि इन मांगों पर जल्द कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई तो विभाग के छात्रों को लामबंद कर आंदोलन का रास्ता इख्तियार किया जायेगा।
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