संदीप कौर का दिन किसी भी दूसरी मां की तरह सुबह शुरू होता है. वह यह सुनिश्चित करती हैं कि उनकी 90 बच्चियां अच्छी तरह खा-पीकर तैयार हो जाएं और स्कूल जाएं.
पिछले 25 साल से वह कोशिश कर रही हैं कि इन बेटियों को न सिर्फ़ अच्छी शिक्षा मिले, बल्कि अच्छे संस्कार भी मिलें, जिन्हें वह प्रार्थनाओं और प्रवचन से देने की कोशिश करती हैं.
किसी दूसरी मां की तरह संदीप अपनी बेटियों को लाड-प्यार करती हैं, बड़ी बहन की तरह उनका साथ देती हैं लेकिन एक बात में वह दूसरों से जुदा हैं- उनकी सभी बेटियां कभी अनाथ थीं, जिन्हें उन्होंने गोद लिया है.
मां भी, बहन भी
एक मारे गए चरमपंथी धरम सिंह कश्तीवाल की पत्नी संदीप कौर कश्तीवाल ने अमृतसर के निकट सुल्तानविंड में भाई धरम सिंह ख़ालसा चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की है.
यह ट्रस्ट 1,000 से ज़्यादा बच्चियों की शिक्षा का ख़र्चा उठाती है.
राज्य के विभिन्न इलाक़ों की लड़कियां राज्य के अलग-अलग संस्थानों में उच्च शिक्षा हासिल कर रही हैं. संदीप बताती हैं कि इनमें से कुछ बीटेक, एलएलबी, एमबीए, एमएससी, एमसीए कर रही हैं.
संदीप बताती हैं, “मैंने 1996 में मारे गए चरमपंथियों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए ट्रस्ट की स्थापना की थी. मैं नहीं चाहती थी कि वह अपने अतीत में डूबें बल्कि अपना करियर बनाने पर ध्यान दें और अच्छा इंसान बनें.”
पंजाब में कन्या भ्रूण हत्या और समाज में बच्चियों की उपेक्षा से परेशान संदीप ने उन बच्चियों को गोद लेना शुरू किया, जिनके मां-बाप नहीं थे या जिनके परिजन उनकी पढ़ाई का ख़र्च तक नहीं उठा सकते थे.
वह कहती हैं, “मैं उन्हें नहीं पढ़ाती बल्कि विभिन्न स्कूलों में भेजती हूं और उनकी फ़ीस का और रहने का इंतज़ाम करती हूं. हालांकि यह आसान काम नहीं है क्योंकि इसके लिए पर्याप्त चंदा नहीं मिल पाता.”
बड़ी लड़कियां छोटी बच्चियों की पढ़ाई में और घरेलू काम में मदद करती हैं. वह हमेशा संदीप की नज़र में रहती हैं और बड़ी बहन या मां की तरह प्यार पाती हैं. संदीप उन्हें मां का सा प्यार देती हैं और उनकी पोषण संबंधी और शैक्षिक ज़रूरतों का ख़्याल रखती हैं.
वह कहती हैं, “जब लोग उन्हें अनाथ कहते हैं या बेचारी ग़रीब बताते हैं तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. यह सब मेरे बच्चे हैं और मैं उनकी मां, बहन और अभिभावक हूं.”
गर्भ में ही लिया गोद
उनके ट्रस्ट ने अब तय किया है कि वह अनचाही और लावारिस नवजात बच्चियों को बचाएगा और उन्हें घर की सुरक्षा और भविष्य देगा.
दो साल पहले संदीप ने एक अनचाही बच्ची को तब गोद ले लिया था जब वह अपनी मां के गर्भ में थी.
वह बताती हैं कि उन्हें किसी के ज़रिए पता चला था कि एक महिला इसलिए गर्भपात करवाने जा रही थी क्योंकि गर्भ में लड़की थी. वह उस महिला के घर गईं और प्रार्थना की कि वह गर्भवात न करवाएं और जन्म के बाद बच्ची को उनके ट्रस्ट में ले आएं.
वह कहती हैं, “कन्या भ्रूण हत्या के ख़िलाफ़ क़दम उठाने का यह बहुत ज़रूरी समय है. यह सामाजिक बुराई है और हमने तय किया है कि हम ‘कन्या भ्रूण हत्या के ख़ात्मे के लिए’ काम करेंगे.”
वह गर्व के साथ कहती हैं, “हमारी तीन लड़कियां आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रही हैं.”
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